-प्रभात कुमार-
विकास और विनाश का डंका एक साथ, ज़ोर शोर से बज रहा हो तो टमाटर भी महंगे कैसे न हों। टमाटर महंगे होने का पहला असर रसोई पर पड़ता है। उधर टमाटर ऐसे इतराते हैं मानो हलवाई ने स्वादिष्ट मिठाई सजाई हो, इधर घर पर टमाटर उपलब्ध न होने के कारण पत्नी ‘स्वादिष्ट’ सब्जी बनाने से इंकार कर देती है। हमने पत्नी से निवेदन किया, माहौल को सकारात्मक बनाए रखें और टमाटर महंगे हो जाने का फायदा उठाएं। उन्होंने मेहरबानी की और दही और इमली की ग्रेवी में लाजवाब सब्जी बना डाली। टमाटर न खरीद पाने का फायदा हो गया। कहा गया है ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’। सो हमने उन परिचितों से बात की जो हमेशा बिना टमाटर के ही सब्जी खाते हैं और पूर्णतया स्वस्थ भी हैं। टमाटर ही क्या, खाने की कोई भी चीज़ महंगी होकर, इनसान को किफायत से खर्च करना सिखा देती है। टमाटर महंगे होने के कारण ही नए तरीके से सब्जियां पकाई जाती हैं। सब्जियां शौक और मेहनत से पकाकर, कितने हफ्तों से न मिली न दिखी पड़ोसन को देने चली जाती हैं। उन्हें फेसबुक पढऩे से ज्यादा फेस टू फेस गप्पें मारना अच्छा लगने लगता है।
कुछ उत्साही गृहणियां नया ज़रूर पकाकर ज़्यादा से ज्यादा लाइक्स पाने में भी जुट जाती हैं। टमाटर की जगह दही या इमली उपयोग होती है जो सस्ती पड़ती है और ग्रेवी भी अधिक बनती है। टमाटर ज़्यादा दिन महंगे ही रहें तो पत्नियां, जिन्हें अच्छी दही जमाना नहीं आता, सीख जाती हैं। यह बातें नवयुगीन वधुओं के सन्दर्भ में नहीं कर सकते क्योंकि टमाटर जैसी ‘सिल्ली’ वस्तु उनकी ‘प्रीओरिटी’ में नहीं है। बागवानी के शौकीनों को गमलों में टमाटर उगाने की प्रेरणा मिलती है, साथ में धनिया, पुदीना, मिर्च, कड़ी पत्ता, अजवाइन भी घर में उगने लगते हैं। थोक विक्रेताओं और कोल्ड स्टोरेज वालों का लाभ बढ़ जाता है जो टमाटर महंगा बेचने की जुगाड़ करते हैं। टमाटर सस्ते हों तो भी हम प्रत्येक टमाटर छांट कर लेंगे और कहेंगे ठीक लगा लो भैया, वह बात अलग है कि दुकानदार सड़ते हुए टमाटरों को उल्टा कर रखते हैं ताकि एक बार बिक जाएं। टमाटर फल है सब्जी नहीं और जब सेब, टमाटर वाली दरों पर मिल रहे हों तो सेब प्रयोग करना चाहिए। ‘सेब पेस्ट’ में छौंकी सब्जी कई रसोइयों में पहली बार बनेगी और सेल्फी लेकर प्रसिद्ध कर देगी।
ख़ास हो जाने वाले टमाटर रसोई में नहीं होंगे तो पत्नियां साबित कर देंगी कि असली स्वाद खाद्य पदार्थों में नहीं, प्रेम और समर्पण में छिपा है। पति तारीफ करेंगे तो पत्नियों को अन्य फायदे भी हो सकते हैं। देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास अगर बदल न दिया हो तो कहीं एक पृष्ठ पर लिखा है महंगे प्याज़ ने एक बार सरकार गिरवा दी थी, मगर अभी ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि फिलहाल, टमाटर महंगा है। वैसे, टमाटरों ने महंगे बिक कर बागवानों के चेहरों और परिवारों में रौनक ला दी है और अब बहुतों के ऋण खाते एनपीए होने से बच जाएंगे। इससे कुछ बैंक शाखाओं की साख बची रहेगी। टमाटर महंगे होने के नुकसान आपको पता हैं, मगर यहां लिखने नहीं हैं। जब विकास की धुन पर सकारात्मकता, सुन्दर लुभावना नृत्य कर रही तो संतुष्ट रह कर केवल ताली बजानी चाहिए।