टंडनजी की सहृदयता

asiakhabar.com | July 21, 2020 | 4:07 pm IST

विकास गुप्ता

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। लालजी टंडन का राजनीतिक करियर
पार्षद बनने से शुरू हुआ था। उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। उनके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी
बाजपेयी से बहुत करीबी संबंध थे। लालजी टंडन अटलजी को खुद कहते थे कि वह उनके दोस्त, पिता और भाई
सब थे। लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में लखनऊ में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी
टंडन आरएसएस से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक कालीचरण डिग्री कॉलेज लखनऊ से किया। लालजी टंडन की 26
फरवरी शादी 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। लालजी टंडन के तीन बेटे हैं, एक बेटा आशुतोष टंडन योगी
सरकार में मंत्री है। संघ से जुडऩे के दौरान ही लालजी टंडन की मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से
हुई। धीरे-धीरे वह अटलजी के बहुत करीब आ गए। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने
राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका निभाई। लालजी टंडन ने अपना राजनीतिक करियर
1960 से शुरू किा। वह दो बार सभासद चुने गए। दो बार विधान परिषद के सदस्य बने। वह इंदिरा गांधी की
सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक सफर को उड़ान मिली। 90 के दशक में
उत्तर प्रदेश में बनी बीजेपी और बीएसपी की सरकार में उनका अहम रोल था। बताया जाता है कि मायावती लालजी
टंडन को राखी बांधती थीं और इसी के चलते उन्होंने लालजी टंडन की बात मानकर भाजपा से गठबंधन किया।
1978 से 1984 तक और फिर 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार यूपी विधानपरिषद के सदस्य रहे।
1991 में वह यूपी के मंत्री पद पर भी रहे। 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार विधायक का चुनाव जीते।
1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे। 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद लखनऊ की
लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन ने यहां से चुनाव लड़ा। 2018 में उन्हें उन्हें बिहार का राज्यपाल और
फिर बाद में मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।
लाल जी टंडन ने मात्र 11 महीने के कार्यकाल में ही राजभवन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। उनके लंबे
सियासी अनुभव, स्वभाव की सरलता और कामकाज की पारदर्शिता ने सभी को प्रभावित किया। यही वजह रही कि
मध्य प्रदेश में सियासी संग्राम के बाद, 22 विधायकों का इस्तीफा और कमल नाथ सरकार का पतन भी हुआ
लेकिन राज्यपाल के रूप में टंडन की भूमिका बेदाग और निर्विवाद बनी रही। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से उनके
दशकों पुराने रिश्ते हैं लेकिन सरकार गिरने के बाद भी दोनों के संबंधों में कोई अंतर नहीं आया। कमल नाथ सहित
अन्य नेताओं ने उनकी कार्यशैली की कई अवसर पर तारीफ भी की। मध्य प्रदेश में हुए सत्ता पलट और सियासी
उथल-पुथल के दौरान इस संवेदनशील मामले में भी उन्होंने पूरी पारदर्शिता रखी। संविधान और विधि विशेषज्ञों की
राय के साथ अपने लंबे अनुभव के आधार पर न्याय संगत फैसले लिए। राज्यपाल की कुर्सी संभालते ही टंडन ने
कमल नाथ सरकार के साथ रिश्तों को गरिमामय ऊंचाइयां देते हुए नई ऊर्जा का अहसास करा दिया। इतना ही नहीं
तकरार के मुद्दों को भी पूरी गंभीरता से डील कर उनका न सिर्फ सुखांत किया और नया मैसेज भी दे दिया। यह
कहने से भी नहीं चूके कि मैं कोई रबर स्टैंप नहीं, वीटो पॉवर भी मेरे पास है।
उनके कामकाज पर उम्र का असर कभी नजर नहीं आया, जब सियासी संग्राम जोरों पर था तब राजभवन में
रतजगा की स्थिति बनी रही। भोर होने तक सचिवालय में विधि विशेषज्ञों और अधिकारियों से राय मशविरा कर

उन्होंने फैसले लिए। देश में ऐसे सत्ता परिवर्तन कई राज्यों में हुए लेकिन अमूमन राज्यपाल की भूमिका को लेकर
खूब सवाल उठे और आरोप भी लगे लेकिन टंडन की कार्यशैली इसका अपवाद रही। उनके निर्णयों पर कोई उंगली
नहीं उठा सका। सही मायने में उन्होंने अपनी संविधान संरक्षक की भूमिका को सर्वोपरि रखा। प्रदेश में सियासी
उथल-पुथल जब चरम पर थी, संख्या बल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने दावे-प्रतिदावे थे ऐसे
नाजुक समय में भी उन्होंने सरकार के आमंत्रण पर विधानसभा जाकर अभिभाषण पढ़ा। इस दौरान भी वह पक्ष-
विपक्ष को संविधान और नियम-परंपराओं के पालन की नसीहत देना भी नहीं भूले।
राज्यपाल टंडन ने परंपरा से हट कर कई क्रांतिकारी बदलाव किए सामाजिक सरोकारों के साथ राजभवन के दरवाजे
जनता-जनार्दन को खोलने की पहल को आगे बढ़ाया। जैविक खेती, पशुपालन नस्ल सुधार और डेयरी को लेकर खूब
नवाचार किए। किसानों को नई तकनीक सीखने राजभवन आने का न्यौता तक दे दिया। राजभवन में विधायिका,
कार्यपालिका और न्यायपालिका के लोगों को बुलाकर खुला संवाद किया। मीडिया के मित्रों से भी उन्होंने खुलकर
बेलाग बातचीत की नई परंपरा शुरू कर सबको चौंका दिया। उनके अनुभव और प्रशासनिक दक्षता का ही कमाल था
जब गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर फर्जी फोन कॉल आया तो उन्होंने तुरंत ही उसे ताड़ लिया और जांच के बाद
आरोपियों को सींखचों के पीछे भिजवाया।


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