सुनील चौरसिया ‘सावन’
अम्बर से घनघोर घन, चूमे झुकि-झुकि भूमि।
गिरि पर मौसम सम-विषम, चहके चटका चूमि।। -सावन
हिमाद्रि का गगनचुम्बी मौसम रंगरसिया है। जेठ की चिलचिलाती धूप में जब पूरी दुनिया तड़पती है उस वक्त हिमालय पर्वत की मनमोहक टेंगा घाटी में रिमझिम रिमझिम बरसता है मनभावन सावन। सिर्फ टेंगा घाटी में ही नहीं है अपितु दिरांग घाटी, सेला पास या यूं कहें तवांग; सर्वत्र जेठ में भी सावन ही सावन का मनभावन मौसम रहता है। दल के दल श्वेत श्यामल बादल शिखर से लिपटे रहते हैं। जब भी हम पर्यटन के लिए निकलते हैं तो अपने साथ छाता को लेकर चलते हैं। पता नहीं कब मौसम अपना रंग बदल दे। यहां की धूप धोखेबाज है। घाटी में खिली खिली सी रहती है और देखते ही देखते में बादलों से लिपट कर तुहीन कण सा धूप में लिपटकर बरसने लगती है। यहां के मौसम की पूंजी चेरापूंजी की भांति नहीं है। यहां मौसम का संगम है। पल भर में धूप, पल भर में वर्षा, पल भर में सर्दी और पलक झपकते ही उमस भरी गर्मी। जो भी हो टेंगा घाटी का मौसम बहुत ही मनभावन है, निराला है।
बरसात के मौसम में टेंगा घाटी रसदार बन जाती है। घनघोर घन अम्बर से उतर कर धरा पर कभी दौड़ने लगते हैं तो कभी रेंगने लगते हैं। टेंगा घाटी में अवस्थित हमारा केंद्रीय विद्यालय कभी-कभी बादल का चादर ओढ़ कर छिप जाता है। उस वक्त दृश्य दर्शनीय होता है। कभी-कभी तो मौसम इतना प्यारा हो जाता है कि गगनचुंबी चोटिया भी नहीं दिखती हैं । जिधर देखो उधर बादल ही बादल। बादलों का सिर्फ रंग ही नहीं बदलता है अपितु उसके रूप भी बदलते हैं। मानो एक चित्रकार चित्र बना बना कर मिटा रहा हो फिर बना रहा हो।शायद इसी मौसम को निरेख कर गीतकार ने लिखा है, ‘मेरा यार बदल ना जाए मौसम की तरह।’ देवदार से लिपटे हुए वारिद जेठ में भी मनभावन सावन का आनंद प्रदान करते हैं। पर्यटन की दृष्टि से टेंगा घाटी, दिरांग घाटी और तवांग रमणीय स्थल हैं।
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर की एक और विशेषता है। भले ही यहां दिन-रात बारिश हो जाए मगर आपको चुल्लू भर पानी भी देखने को नहीं मिलेगा। बारिश होती रहती है और पानी प्रवाहित हो कर सरिता में समाहित होता रहता है। यही कारण है कि यहां की नदी बारहों महीना कलकलाती रहती है और हरी-भरी घाटी कल कल की निनाद से गूंजती रहती है। इसी भाव को मैंने भोजपुरी में अभिव्यक्त किया है-
कलकल कलकल छलछल छलछल गूंजे हरिहर घाटी।
महमह महके चहचह चहके आसमानी माटी।।
पतरकी नदी झूमे पहाड़े पर बारो मसिया।
बात कहें सांचे सुनील चौरसिया।।
केंद्रीय विद्यालय टेंगा वैली में स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी पद पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए पता नहीं कब तक प्रकृति मां की सुखद गोद में हम मौज करेंगे लेकिन इतना जरुर पता है कि प्रकृति मां का यह प्यार- दुलार हमारे जेहन में जीवन भर रहेगा।