-सनत जैन-
जी-20 के शिखर सम्मेलन में भारत को घोषणा पत्र के एजेंडा को बनाने में सफलता हासिल हुई है। सर्वसम्मति से सभी 83 बिंदुओं पर घोषणा पत्र पर सहमति बना ली गई है। अफ्रीकी यूनियन को जी 20 का नया सदस्य बनाया गया है। वैश्विक पर्यावरण के लिए एक नया एलाइंस बनाने पर सहमति हो गई है। भारत जी -20 के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। घोषणा पत्र को लेकर सदस्य देशों के बीच में जो विवाद था।भारत के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों का उपयोग करते हुए जो प्रयास किए। उसमें भारत को सफलता हासिल हुई। सभी 83 बिंदुओं पर सहमति बना ली गई। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, यूक्रेन युद्ध के स्थान पर सारी दुनिया में स्थाई शांति का प्रस्ताव लाकर सहमति बनाई। वहीं परमाणु युद्ध की धमकी के मामले में रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा कहे गए शब्द, यह युद्ध का काल नहीं है। इसका उपयोग करते हुए परमाणु हमले को रोकने के लिए सहमति बनाई गई। भारत ने जी-20 देश की बैठक में चंद्रयान-3 मिशन के लिए भी भारत के लिए बधाई हासिल कर ली। यह भारत की सफलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए, दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनो का पालन करने का प्रस्ताव शामिल किया। निश्चित रूप से जी-20 के शिखर सम्मेलन में जो प्रस्ताव शामिल किए गए हैं उनमें केवल चर्चा नही होनी चाहिए, सम्मेलन में जो निर्णय लिए जाए उनका अक्षरस पालन करने की जिम्मेदारी भी सदस्य देशों की होनी चाहिए। तभी इस तरीके की बैठको और सम्मेलन की सार्थकता होगी।
G20 की बैठक में व्यक्तियों के अधिकार,धार्मिक प्रतीकों, पवित्र पुस्तकों के विरुद्ध दुष्प्रचार का विरोध करते हुए यह कहा गया है की सारी दुनिया के देश, धर्म, आस्था और विश्वास स्वतंत्रता में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण ढंग से सभा करने का अधिकार, एक दूसरे पर आश्रित सामाजिक संबंधों को मजबूत करने, धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की अशुद्धता और भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई में सभी देशों की भूमिका होनी चाहिए। आतंकवाद को लेकर भी घोषणा पत्र में कहा गया है, कि सभी धर्म की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जाए। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इसे सबसे गंभीर खतरा बताया गया है। घोषणा पत्र के अनुसार एक समग्र दृष्टिकोण और एक अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने की बात कही गई है। आतंकवादी समूह की सुरक्षित पनाहगाह, आतंकवाद गतिविधियां संचालन की स्वतंत्रता, बिना रोकटोक आवाजाही, उनके वित्तीय और भौतिक मदद को रोकने के लिए भी प्रस्ताव में चर्चा होगी। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना और निर्णय को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकासशील एवं गरीब देश के हितों को लेकर भी चर्चाएं होंगी। बैठक में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की भूमिका को लेकर भी g20 के शिखर सम्मेलन में चर्चा होगी। g20 का यह पहला शिखर सम्मेलन नहीं है, जी-20 के सम्मेलन में इसी तरह के निर्णय पहले भी लिए जा चुके हैं। यह सब कागजों और घोषणाओं तक सीमित रहते हैं। आम सहमति बनती है, लेकिन इसका कोई क्रियान्वय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता हो।ऐसा दिखता नहीं है।सारी दुनिया के देशों में जिस तरह से युद्ध का माहौल देखने के लिए मिल रहा है। व्यापारिक प्रतिस्पर्धा और कर्ज की अर्थ व्यवस्था को लेकर सारी दुनिया के देशों के बीच मतभेद बढ़ते ही जा रहे हैं। पर्यावरण की दृष्टि से सारी दुनिया के देश विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। विकसित राष्ट्र लगातार कई दशकों से पर्यावरण को लेकर जो प्रस्ताव और कानून अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार किए गए। उसका पालन नहीं किया गया। इसका खामियाजा गरीब और विकासशील देशों को लंबे समय से उठाना पड़ रहा है। चिंता जताना अलग बात है, उन चिंताओं का समाधान होना अलग बात है ।संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभी संस्थाओं के होते हुए भी पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध चल रहा है। इन सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की कोई कारगर भूमिका साबित नहीं हुई है। समरथ को नहीं दोष गुसाई की तर्ज पर समर्थ देश अपनी मनमानी कर रहे हैं। उसको रोकने का प्रयास और साहस अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं मैं नहीं दिखा।
नाही समर्थ देशों ने उनकी परवाह की। जिसके कारण एक बार फिर प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध जैसे हालात, दुनिया के सभी देशों के बीच में देखने को मिलाने लगे हैं। जी-20 का यह शिखर सम्मेलन एक सार्थक ,सफल सम्मेलन के रूप में दुनिया में एक इतिहास बनाये। जिन विषयों को शामिल किए गया है। उनमें जो भी निर्णय लिए जाएं, उनका पालन सभी देश पूरी ईमानदारी के साथ करें। दुनिया को एक नई दिशा और दशा इस शिखर सम्मेलन से मिले। यह सम्मेलन सारी दुनिया के लिए एक उपदेश की तरह ना हो। सभी देश लिए गए निर्णय का ईमानदारी के साथ पालन करें। सारी दुनिया के देशों में स्थाई शांति स्थापित हो। जियो और जीने दो के सिद्धांत पर आधारित सम्मेलन तभी सफल होगा और विश्व बंधुत्व की भावना सभी देशों के लिए हितकारी रूप में सामने आएगी।