संयोग गुप्ता
जीवन में असंभव कुछ भी नहीं है। विश्वास मनुष्य के सफल जीवन का सूत्र है। सफल लोगों के जीवन
के संस्मरण और घटनाएं उनकी दृढ़ संकल्पशक्ति को उजागर करती हैं। पाश्चात्य विद्वान इमर्सन ने
उत्साह का संचार करते हुए कहा है कि इतिहास साक्षी है कि मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव
सभी पराजित होते हंै। आप जितना सोचते हैं, उससे अधिक पा सकते हैं, लेकिन उसके लिए धैर्य,
संकल्प और आत्मविश्वास जरूरी है। रिचर्ड सील का कथन प्रासंगिक है कि आत्मशक्ति इतनी दृढ़ और
गतिशील है कि इससे दुनिया को टुकड़ों में तोड़कर सिंहासन गढ़े जा सकते हैं।
दुनिया में सबसे तीक्ष्ण बुद्धि के माने गए वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन की सफलता की कहानी ऐसी ही
आत्मशक्ति की बड़ी मिसाल है। उन्होंने एक नहीं, अनेक नए प्रयोग और आविष्कार किए थे। विज्ञान की
अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाया है। यह उनकी सतत और सुदीर्घ लगन का परिणाम है। इसलिए यह
निश्चित है कि जल्दी और बिना मेहनत की सफलता स्थायी नहीं होती। हम उसे जितना जल्दी पाते हैं,
उतनी ही जल्दी गंवा भी देते हैं। सफलता तभी ठहरती है, जब उसे पाने के आवश्यक तत्व आप में
मौजूद हों। जब आप अपनी सबसे बड़ी चुनौती के सामने दृढ़ता से खड़े होते हैं तब आप एक योद्धा की
तरह निखरते हैं। ग्रीक दार्शनिक फिलॉस्फर हेरोडोट्स का कथन सत्य है कि प्रतिकूलताएं हमारी मजबूती
को सामने लाती हैं।
हर आदमी ने भ्रम पाल रखे हैं। अधिक मोह, अधिक आकांक्षा, अधिक स्वाद और अधिक तृप्ति की दौड़
में इंसान अपने ही भाग्य को डरावना बना देता है, जबकि अच्छे पुरुषार्थ और नेक-नीयत से आदमी अपने
भाग्य को बदल सकता है। संत तिरुवल्लुवर ने जीवन में पुरुषार्थ को उपयोगी मानते हुए कहा है कि यदि
किसान हाथ पर हाथ धरकर बैठे हों, तो संसार का त्याग करने वाले संतों को भी मोक्ष नहीं मिल सकता।
एक ज्योतिषी ने किसी को कहा कि तुम्हारा भविष्य खराब है। उस व्यक्ति ने उसी दिन से अच्छा
पुरुषार्थ करना प्रारंभ कर दिया और उसका भविष्य अच्छा हो गया। पुरुषार्थ के द्वारा व्यक्ति अपनी
जन्म-कुंडली को भी बदल देता है। ग्रहों के फल-परिणामों को भी बदल देता है, भाग्य को बदल देता है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हम जैसा बोते हैं, वैसा काटते हैं।