
डॉ. एम. के. निराला
25 अप्रैल को मनाया जाने वाला ‘राष्ट्रीय डीएनए दिवस’, विज्ञान की दो बड़ी सफलताओं को याद करता है — डीएनए डबल हेलिक्स की खोज और मानव जीनोम प्रोजेक्ट की पूर्णता। लेकिन आज, यह दिन केवल विज्ञान का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हजारों बच्चों की सुनने और बोलने की चुनौतियों के पीछे छिपे अनुवांशिक कारणों को समझने का अवसर भी है।
बोलने की देरी और सुनने की परेशानी: शुरुआत होती है डीएनए से, आज भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें न तो सही सुनाई देता है, न ही वे साफ़ बोल पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में सुनने की समस्या जन्मजात होती है और उसके पीछे कोई न कोई जीन दोष (जैसे GJB2, Connexin 26) जिम्मेदार होता है। इन्हीं कारणों से बच्चों में भाषा विकास रुक जाता है, बोलने में देरी होती है, और धीरे-धीरे उनके सामाजिक विकास पर भी असर पड़ता है। जिन्हें शब्द नहीं मिलते, उनके डीएनए में हैं जवाब डाउन सिंड्रोम, फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम, रेट सिंड्रोम जैसे कई आनुवांशिक विकार, बच्चों के बौद्धिक और भाषाई विकास को गहराई से प्रभावित करते हैं। FOXP2 जैसे जीन, भाषा सीखने की क्षमता से सीधे जुड़े होते हैं — और जब इनमें बदलाव होता है, तो बच्चा शब्द तो सुनता है, लेकिन बोल नहीं पाता।
इसी तरह, ऑटिज़्म, स्पीच एप्रैक्सिया और डेवलपमेंटल लैंग्वेज डिसऑर्डर जैसे न्यूरोविकासीय विकारों में भी डीएनए का प्रभाव देखा गया है।
उम्मीद की आवाज़: स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट और ऑडियोलॉजिस्ट इन बच्चों के जीवन में उम्मीद लेकर आते हैं ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (ASLPs)। ये विशेषज्ञ न केवल समस्या की पहचान करते हैं, बल्कि: बच्चों को स्पीच थैरेपी, भाषा अभ्यास, और ऑडिटरी वर्बल थेरेपी प्रदान करते हैं। कॉकलियर इम्प्लांट या हियरिंग एड के साथ बच्चों को बोलना सिखाते हैं। माता-पिता को मार्गदर्शन देते हैं कि वे घर पर भी सही तरीके से संवाद करें। और सबसे ज़रूरी – बच्चों को अपना आत्मविश्वास वापस दिलाते हैं।
पुनर्वास विशेषज्ञों से अपील*इस डीएनए दिवस पर मैं, एक वाक् चिकित्सा विशेषज्ञ होने के नाते, सभी पुनर्वास पेशेवरों से अपील करता हूं।
हर बोलने या सुनने में देरी वाले बच्चे की आनुवांशिक जांच पर विचार करें।
प्रारंभिक हस्तक्षेप (Early Intervention) को प्राथमिकता दें। मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम के साथ मिलकर काम करें।
और हर बच्चे को एक बेहतर भाषा, सुनने और सीखने का भविष्य देने के लिए एकजुट हों।
जीन में भले ही चुनौतियाँ हों, सही समय पर सही देखभाल हर बच्चे की आवाज़ को आज़ादी दे सकती है।