जनधन के ख़र्च में पारदर्शिता हो प्रतिस्पर्धा नहीं?

asiakhabar.com | May 7, 2023 | 6:37 pm IST
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-तनवीर जाफ़री-
देश को साफ़ सुथरी व भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने के दावे के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले अरविन्द केजरीवाल आये दिन किसी न किसी विवाद में घिरे रहते हैं। उनकी सरकार ने दिल्ली में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में निश्चित रूप से कई अभूतपूर्व कार्य किये हैं परन्तु यह भी सच है कि 2015 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद से अब तक केवल दिल्ली से ही उनकी पार्टी के लगभग एक दर्जन नेताओं को गिरफ़्तार भी किया जा चुका है। उनके सबसे वफ़ादार सहयोगी व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय आबकारी नीति ‘घोटाला’ मामले में जेल में हैं। इससे पहले आप के वरिष्ठ मंत्री सत्येंद्र जैन को ईडी ने गत वर्ष मई में कथित तौर पर हवाला लेन-देन से जुड़े धन शोधन के एक मामले में गिरफ़्तार किया था। इस तरह अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन से जुड़े एक मामले में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में आप विधायक अमानतुल्ला ख़ान फ़िलहाल ज़मानत पर हैं। और अब तो आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का नाम भी बहुचर्चित दिल्ली शराब घोटाले की पूरक चार्जशीट में शामिल कर दिया गया है। हालांकि अभी ईडी ने राघव चड्ढा को आरोपी अथवा संदिग्ध नहीं कहा है।
इनदिनों भ्रष्टाचार के जिस ताज़ातरीन आरोप का आम आदमी पार्टी विशेषकर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सामना कर रहे हैं वह है दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित उनके सरकारी आवास की मरम्मत का मामला। आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने 45 करोड़ रुपये अपने आवास और कार्यालय की मरम्मत, रखरखाव व सौंदर्यीकरण पर ख़र्च कर दिये। आरोप यह भी है कि इसमें वियतनाम मार्बल, करोड़ों के पर्दे, करोड़ों के क़ालीन व मंहगे से मंहगे उत्पाद इस्तेमाल में लाये गये । बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी कथित तौर पर 45 करोड़ रुपये ख़र्च करने को लेकर केजरीवाल पर हमलावर है। भाजपा, केजरीवाल को ‘शाही राजा’ और ‘महाराजा’ आदि बता रही है तो दूसरी तरफ़ आम आदमी पार्टी यह कहकर इस ख़र्च को न्यायसंगत बता रही है कि यह घर 80 वर्ष पुराना जर्जर व असुरक्षित भवन है जो पूरी तरह असुरक्षित था। यह मुख्यमंत्री आवास 1942 में बनाया गया था और दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफ़ारिश की थी।
पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह नवीनीकरण नहीं बल्कि पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है। वहां मुख्यमंत्री केजरीवाल का शिविर कार्यालय भी है जिस पर लगभग 44 करोड़ रुपये ख़र्च हुये है। गोया मकान के पुराने ढांचे को नव निर्माण के साथ बदला गया है। परन्तु भाजपा,आप की ओर से दी जा रही इन सफ़ाइयों को ख़ारिज करते हुये केजरीवाल को ‘शाही जीवन बिताने वाला राजा’ कह रही है और उनके विरुद्ध धरना-प्रदर्शन करते हुये ‘नैतिकता’ के आधार पर उनसे इस्तीफ़े की मांग कर रही है। भाजपा उन्हें याद दिला रही है कि कहाँ तो सत्ता में आने से पहले केजरीवाल कहा करते थे कि सत्ता में आने पर वे सरकारी घर, सुरक्षा और सरकारी गाड़ी आदि सुविधायें नहीं लेंगे परन्तु उन्होंने सारी सुविधायें तो ली हीं साथ ही अपने घर को सजाने के लिए 45 करोड़ का ख़र्च भी कर दिया। और वह भी उस दौरान केजरीवाल करोड़ों का ख़र्च कर अपने घर को सजा रहे थे जब दिल्ली कोविड के चपेट में थी?
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए यह विवाद खड़ा किया गया है। सिंह ने आरोप लगाया क‍ि स्वयं को फ़क़ीर कहने वाले प्रधानमंत्री 500 करोड़ रुपये ख़र्च कर अपने लिए नया घर बनवा रहे हैं। और जिस घर में वह इस समय रह रहे हैं, उसके जीर्णोद्धार पर भी 90 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए हैं। प्रधानमंत्री के लिये 8400 करोड़ का विमान ख़रीदा गया। वे 12 करोड़ की कार से चलते हैं। सवा लाख रुपए के पेन से लिखते हैं। वे 10 लाख का सूट पहनते हैं तथा 1.6 लाख का चश्मा लगाते हैं। संजय सिंह के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल के घर की मरम्मत में भी 15 करोड़ रुपए खर्च हो गए, गुजरात के मुख्यमंत्री का नया विमान 191 करोड़ रुपए में ख़रीदा गया। परन्तु भाजपा सेंट्रल विस्टा को देश की धरोहर बताकर प्रधानमंत्री द्वारा 500 करोड़ रुपये का अपना नया घर बनाने को न्यायसंगत बताती है और शेष ख़र्चों को भी ज़रूरी बताती है।
जनता के पैसों को निर्दयता से ख़र्च करना दरअसल नेताओं की पुरानी आदत है। पूर्व में जयललिता व मायावती जैसे कई नेता भी जनता के पैसों पर ऐश करने व इसे बेदर्दी से ख़र्च करने के लिये चर्चा में रहे हैं। याद कीजिये विकीलीक्स ने अपनी रिपोर्ट में दलित उत्थान और सोशल इंजीनियरिंग के फ़ार्मूले के बल पर यूपी की सत्ता तीन बार हासिल कर चुकी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती पर शाही ख़र्च का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में मायावती द्वारा घर से कार्यालय तक जाने के लिए विशेष सड़क बनवाने से लेकर उनके पसंदीदा ब्रांड की चप्पलें मंगाने के लिए सरकारी विमान लखनऊ से मुंबई भेजने तक का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक़ मायावती के क़रीबी प्रशासनिक अधिकारी व तत्कालीन मुख्य सचिव शशांक शेखर और पार्टी नेता सतीश चंद्र मिश्रा के निर्देश पर अफ़सरों को मुंबई भेजकर कई बार हवाई जहाज़ से मायावती की सैंडल मंगवाई गई थी। विकीलीक्स की रिपोर्ट के अनुसार मायावती की एक हज़ार रुपये की सैंडल विशेष विमान से लाने में 10 लाख से ज़्यादा ख़र्च हो जाते थे। विकीलीक्स के इन आरोपों पर मायावती ने जूलियन असांजे को पागल कह कर इन आरोपों से अपना पल्ला झाड़ लिया था।
सवाल यह है कि चाहे केजरीवाल द्वारा भवन निर्माण,जीर्णोद्धार अथवा नवीनीकरण पर ख़र्च किये गये कथित 45 करोड़ रुपये हों या प्रधानमंत्री के लिये ख़रीदा गया 8400 करोड़ का बताया जा रहा विमान अथवा प्रधानमंत्री द्वारा कथित तौर पर बनाया गया 500 करोड़ रुपये का अपना नया घर, पैसे तो हर जगह आम जनता की ख़ून पसीने की कमाई से अदा किये गये टैक्स के ही हैं? लिहाज़ा सत्ता में आने के बाद जनधन की मनमानी लूट कर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश करने के बजाये क्यों न इस तरह के ख़र्च की सीमायें निर्धारित कर दी जायें। और जब पैसा जनता का है तो आख़िर जनता को अपने पैसों के ख़र्च के बारे में जानने का हक़ क्यों नहीं है? लिहाज़ा इस तरह के ख़र्च में पूरी पारदर्शिता बरतते हुये इसे बाक़ायदा जनता के संज्ञान में लाने की भी ज़रुरत है। इसलिये बेहतर तो यही होगा कि इस तरह के ख़र्च को बाक़ायदा वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाये। और सत्ताधारियों द्वारा जनधन के ख़र्च में प्रतिस्पर्धा करने के बजाये इसमें पारदर्शिता लाई जाये?


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