चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव कर Modi का विजय रथ फिर दौड़ाने की तैयारी

asiakhabar.com | June 8, 2023 | 11:03 am IST
View Details

एक ओर देश के सभी विपक्षी राजनीतिक दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर चुके हैं और केंद्र में भाजपा विरोधी मोर्चा खड़ा करने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं तो दूसरी ओर सत्तारु़ढ़ भाजपा लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद पर वापसी और इस साल होने वाले राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गयी है। देखा जाये तो कर्नाटक में हार से भाजपा ने कई सबक सीखे हैं इसलिए वह इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति में फेरबदल भी कर रही है ताकि चूक की कोई गुंजाइश नहीं रहे। तेलंगाना में भाजपा का लक्ष्य बीआरएस से सत्ता छीनने का है तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान से कांग्रेस को सत्ता से आउट कर भाजपा हिमाचल और कर्नाटक का बदला लेने पर ध्यान दे रही है। इसी के साथ भाजपा मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता बचाये रखने के लिए गुटबाजी पर काबू पाने के प्रयास भी तेज कर रही है। मिजोरम में भी भाजपा अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ कर पहले से ज्यादा अच्छे प्रदर्शन के लिए कोशिश करने पर ध्यान दे रही है। इन कोशिशों का लाभ क्या होगा यह तो समय ही बतायेगा लेकिन हम आपको अभी यह बता दें कि जल्द ही आप भाजपा संगठन में केंद्रीय और राज्य स्तर पर बड़े फेरबदल देख सकते हैं। कई राज्यों के अध्यक्ष भी बदले जायेंगे और लगभग सभी राज्यों के नये चुनाव प्रभारी भी बनाये जायेंगे। इसके लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। भाजपा का प्रयास है कि अपने संगठन को चुस्त दुरुस्त कर चुनावी तैयारी को तेज करने के साथ ही एनडीए का विस्तार कर विपक्षी एकता के प्रयासों को भी झटका दिया जाये। इसलिए इस दिशा में भी तेजी से प्रयास हो रहे हैं।भाजपा का मंथन
बताया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पिछले कुछ दिनों से संगठनात्मक मामलों पर मंथन कर रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे चुनावी राज्यों में ‘गुटबाजी’ उसके लिए परेशानी का सबब बन गई है। ऐसे में पार्टी की कोशिश चुनाव से पहले इन कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने और कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा फूंकने की है। देखा जाये तो पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में सत्ता बरकरार रखने की अपनी योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव भी उसकी प्राथमिकताओं की सूची में शामिल हैं। खासकर कर्नाटक में कांग्रेस से हार के बाद भाजपा अत्यधिक सक्रिय हो गई है क्योंकि इस साल होने वाले चार बड़े विधानसभा चुनावों में से तीन में कांग्रेस ही उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी होगी। मध्य प्रदेश और तेलंगाना के अलावा इस साल कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।
कई राज्यों में होंगे बदलाव
भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके बीच बेहतर तालमेल के अभाव की खबरें भी अक्सर आया करती हैं। मध्य प्रदेश में पारंपरिक रूप से भाजपा का संगठन मजबूत माना जाता है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में भाजपा नेतृत्व मध्य प्रदेश संगठन में कुछ बदलाव कर सकता है। इसके अलावा, यह भी बताया जा रहा है कि तेलंगाना में भाजपा के बढ़ते ग्राफ को हाल के दिनों में झटका लगा है क्योंकि कई स्थानीय क्षत्रपों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय कुमार की नेतृत्व शैली के खिलाफ शिकायत की है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने संगठन में नई जान फूंकने के लिए बंडी संजय कुमार की ‘वैचारिक दृढ़ता’ और ‘कड़ी मेहनत’ की प्रशंसा की लेकिन साथ ही कहा कि वह सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं हैं, खासकर उन मजबूत स्थानीय नेताओं को जो पिछले कुछ वर्षों में अन्य दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं।
दूसरी ओर, कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ने उसके कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है और वर्षों तक हाशिए पर रहने के बाद पड़ोसी तेलंगाना में उसके ध्यान केंद्रित करने से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। इस राज्य में सत्तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति भी सत्ता बरकरार रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि तेलंगाना में अन्य दलों के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल करने के भाजपा के अभियान का पिछले कुछ महीनों में बहुत फायदा नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर पार्टी संगठन में चर्चा भी हुई है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बंडी संजय कुमार का तीन साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है। अब राष्ट्रीय नेतृत्व को तय करना है कि तेलंगाना के साथ ही मध्य प्रदेश में भी प्रदेश नेतृत्व को विधानसभा चुनावों तक बनाए रखा जाए या फिर कोई बदलाव किया जाए।कर्नाटक में भी भाजपा को संगठनात्मक बदलाव पर फैसला लेना है। हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा अभी तक विपक्ष का नेता नियुक्त नहीं कर सकी है। बताया जा रहा है कि भाजपा कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष नलिन कुमार कटील को भी बदल सकती है। उनका कार्यकाल महीनों पहले खत्म हो गया था, लेकिन मई में हुए चुनावों के कारण पार्टी ने उन्हें पद पर बनाए रखा था।
इसके अलावा, भाजपा के एजेंडे में एक और मुद्दा सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का विस्तार है। दरअसल हाल के वर्षों में जनता दल (यूनाइटेड) और अकाली दल जैसे पारंपरिक सहयोगियों का साथ छूटने के बाद राजग के घटक दलों में कमी आई है। इस बीच, वर्ष 2018 में राजग छोड़ने वाली तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच हुई हालिया बैठक ने उन चर्चाओं को एक बार फिर तेज कर दिया है कि दोनों दलों के बीच फिर से गठबंधन हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू भी लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत हैं।
एनडीए का स्वरूप भी बदलेगा!
भाजपा के एक नेता ने कहा कि जल्द ही राजग का विस्तारित स्वरूप सामने आएगा जब इसकी एक बैठक होगी। हालांकि यह देखा जाना अभी बाकी है कि क्या भाजपा औपचारिक रूप से तेदेपा के साथ हाथ मिलाती है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के साथ भी उसके अच्छे समीकरण रहे हैं। यदि तेदेपा और भाजपा के बीच गठबंधन होता है तो यह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को विपक्षी खेमे में धकेल सकता है। तेदेपा के साथ गठबंधन की संभावना पर भाजपा सूत्रों ने कहा कि यह फैसला पार्टी के शीर्ष नेता करेंगे।
भाजपा की मैराथन बैठकें
बहरहाल, जहां तक भाजपा की फिर से विजय रथ को दौड़ाने की कोशिशों की बात है तो इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने कई संगठनात्मक मुद्दों पर सोमवार और मंगलवार को मैराथन बैठकें की थीं। सूत्रों ने कहा है कि इन बैठकों में वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के साथ ही संगठनात्मक मामलों से जुड़े कामकाज की भी समीक्षा की गई। बताया जा रहा है कि पार्टी कुछ राज्यों में अपने संगठन में बदलाव कर सकती है और केंद्रीय पदाधिकारियों को नयी जिम्मेदारी सौंप सकती है। भाजपा इस समय केंद्र की मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश में जनसंपर्क कार्यक्रम चला रही है जिसके तहत विभिन्न आयोजनों के जरिये प्रबुद्ध वर्ग तथा आम लोगों से तो संपर्क साधा ही जा रहा है साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा के शीर्ष नेता टिफिन पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस क्रम में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ‘टिफिन बैठक’ की तथा उनसे केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की कल्याणकारी नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने को कहा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *