-सुरेश हिन्दुस्थानी-
आज याद आ रही है, उस भारत देश की, जो वैश्विक नेतृत्व का अधिकारी रहा। एक बार पुनः भारत ने उसी दिशा की ओर अपने कदम बढ़ाए हैं, जो विश्व का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है। आज समूचे विश्व ने उस भारत का साक्षात्कार किया है, जो जगत की समस्त शक्तियों का भंडार है। भारत में अवधारणाएं प्रचिलित हैं, वह मिथक नहीं, वास्तविक हैं, लेकिन भारत अपनी शक्ति को विस्मृत कर चुका था, उस हनुमान की तरह जो महा बलशाली होने के बाद भी उन्हें अपनी शक्ति का अहसास नहीं था। आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जामवंत की भूमिका का निर्वाह करते हुए भारत की सोई हुई शक्ति को जगाने का कार्य करते दिखाई दे रहे हैं। बेशक वे भाजपा के नेता हैं, लेकिन हमें ऐसी दृष्टि विकसित करनी होगी, जो भारत के हित में है। यानी वह भारत देश का नेतृत्व कर रहे। वे देश के 140 करोड़ जनता के लोकतांत्रिक मुखिया हैं। जब हम यह दृष्टि विकसित करेंगे तो स्वाभाविक रूप से हमें नरेंद्र मोदी में एक ऐसा सपूत दिखाई देगा, जिसकी भारत को जरूरत है।
भारत ने चांद पर कदम रखते ही अपना नाम उस कतार में शामिल कर लिया, जो वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर जाता है। चंद्रयान तीन की खास उपलब्धि यह है कि भारत ने यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा है, जहां आज तक विश्व का कोई देश नहीं पहुंच सका है। इसका आशय यही है कि भारत मे वह शक्ति है, जो विश्व को आश्चर्यचकित कर सकती है। चंद्रमा पर भारत के तिरंगा लहराने के साथ ही आज वर्षों पूर्व का यह भ्रम भी टूट गया है, जिसमें कहा जाता था कि भारत ऐसा नहीं कर सकता। हालांकि भारतीय जनमानस में इस प्रकार धारणा स्थापित करने के लिए एक सुनियोजित नरेटिव स्थापित किया गया। इसके कारण भारत की जनता के मानस में यह पूरी तरह से स्थापित हो गया था कि हम बहुत पीछे हैं, जबकि यह सत्य नहीं था। हमें एक वैश्विक योजना के तहत पीछे करने का षड्यंत्र किया गया। यह षड्यंत्र आज भी चल रहा है। इसलिए कुछ लोग विदेशी शिक्षा को भारत की शिक्षा से बेहतर बताने का कुत्सित प्रयास करते है, जबकि यह सत्य नहीं है। पुरातन और श्रेष्ठ भारत की कल्पना का अध्ययन किया जाए तो हमारे शास्त्र इस बात को परिभाषित करने में पूरी तरह से सक्षम हैं कि हमारा भारत ज्ञान और विज्ञान के मामले में अन्य देशों से कहीं अधिक श्रेष्ठ है। इस प्रकार यही कहा जा सकता है कि जहां विश्व का ज्ञान और विज्ञान समाप्त हो जाता है, वहां से भारत का ज्ञान और विज्ञान का प्रारंभ होता है। कौन नहीं जानता कि भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षा संस्थान थे, लेकिन गुलामी के काल खंड में इन शिक्षा केंद्रों को नष्ट कर दिया। इसके बाद भी भारत के पास ज्ञान और विज्ञान की कोई कमी नहीं रही, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। आज हम चांद पर पहुंचे हैं, जो भारत की शक्ति का प्रस्फुटन है। अब विश्व के सभी देश यह स्वीकार करने की ओर विवश हुए हैं कि भारत एक बड़ी महाशक्ति है। अब भारत को इस महाशक्ति का ज्ञान हो चुका है। भारत अपनी निद्रा से बाहर आ चुका है। अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे का भारत और भी ज्यादा अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करेगा।
हमारे देश के वैज्ञानिकों विश्व को कई बार इस बात का अहसास कराया है कि हम किसी भी मामले में कम नहीं है। आज का भारत उन सभी चीजों का निर्माण करने में सक्षम है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। चाहे वह कम्प्यूटर का मामला हो या फिर रेल की बात हो। आज तकनीकी ज्ञान में हम विश्व का मुकाबला करने में सक्षम हैं। ऐसा इसलिए भी दावे के साथ कहा जा सकता है, क्योंकि आज से पूर्व जिन देशों ने चांद पर पहुंचने का प्रयास किया, वह बहुत ही महंगे थे, लेकिन भारत ने उनसे बहुत कम व्यय करके अपने आपको स्थापित किया। चंद्रयान तीन ने भारत के यश को स्थापित किया है। विश्व में भारत का जय जय गान हो रहा है। जो हमें गौरव की अनुभूति करा रहा है। एक श्रेष्ठ भारत का अहसास कराने का बोध करा रहा है। एक ऐसा भारत जो विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है।
हमें याद होगा कि भारत देश के नागरिक चंद्रमा को मामा कहकर पुकारते हैं, यानी चंद्रमा भारत माता का भाई है। हमने चांद से संबंध जोड़ा है। आज यह संबंध और ज्यादा मजबूत हुआ है। लेकिन अब चंदा मामा दूर के नहीं, हमारे अपने हैं, हमारे घर के ही हैं। अब हम अपने मामा के पास पहुंच चुके हैं। भारत की शक्ति के प्रस्फुटन के साथ ही इस बात की संभावना बलबती हो गई है कि अब भारत के कदम रुकने वाले नहीं है। भारत एक बार फिर से आगे और बहुत आगे जाएगा, जिसका कोई छोर नहीं होगा। इसके बाद भारत अपनी उन्मुक्त उड़ान भरेगा, जिसे दुनिया के कई देश देखेंगे और भारत की शक्ति को नमन करेंगे। सुनो गौर से दुनिया वालों, बुरी नजर न हम पे डालो, चाहे जितना जोर लगालो… सबसे आगे होंगे हिन्दुस्थानी।