-सनत जैन-
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के घोटाले गिनाए। इसमें गांधी परिवार, पवार परिवार, लालू परिवार, केसीआर का परिवार,ममता बनर्जी का परिवार, तमिलनाडु में स्टालिन के परिवार सहित जिन राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकारें है। उन्हें घोटालेबाज बताते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा घोटाले की गारंटी ही विपक्षी दलों की असली पहचान है। उन्होंने कहा मैं किसी घोटालेबाज को छोडूंगा नहीं। यह सब घोटालेबाज एकजुट हो रहे हैं। लेकिन यह बच नहीं पाएंगे। इनकी जगह जेल में हैं। मेरी गारंटी है कि कोई घोटालेबाज बचेगा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर सभी विपक्षी दलों को एकजुट हो जाने के लिए विवश कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से विपक्षी दलों के नेताओं के ऊपर ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग छापे की कार्रवाई कर रही है। सभी विपक्षी दल,ईडी और सीबीआई की कार्रवाई को विपक्षियों के साथ, उत्पीड़न के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। विपक्षी नेता कहते हैं, कि उनके ऊपर फर्जी मामले तैयार किए जा रहे हैं। बिना सबूत के विपक्षी दलों के नेताओं को जेलों में भेजा जा रहा है। करीब 12 राज्यों ने अपने-अपने राज्य में सीबीआई पर प्रतिबंध लगा दिया है। बिना राज्य सरकार की अनुमति के सीबीआई उन राज्यों में कोई कार्यवाही नहीं कर सकती है। विपक्ष, पटना की बैठक में अपनी डफली अपना राग अलाप रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में सार्बजनिक रुप से सभी विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने की जो चेतावनी दी है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह चेतावनी,सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने का काम करेगी। अभी तक राहुल गांधी और कांग्रेस पर ही प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा निशाना साधती थी। अब उन्होंने अधिकांश विपक्षी दलों के नेताओं पर निशाना साधा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भय 1975 के आपातकालीन से भी ज्यादा विपक्षी दलों में व्याप्त हो गया है। 1975 के आपातकाल के दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं को, जेलों मे राजनीतिक कैदी के रूप में बंद किया गया था। उनके ऊपर कोई मुकदमे नहीं चलाए गए थे। 1977 में 21 माह की कैद के बाद जैसे ही आपातकाल खत्म हुआ। उसके बाद सभी विपक्षी दल ना केवल एकजुट हुए। वरन अपने अपने राजनीतिक दल को जनता पार्टी में समाहित कर राजनीतिक दलों ने अपने अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया था। 1977 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस वर्सेस जनता दल के बीच लड़ा गया। इस विपक्षी एकता के कारण कांग्रेस की उत्तर भारत में कड़ी पराजय हुई। पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेस सरकार का गठन हुआ। जो जनता दल बनाया गया था। उसमें अधिकांश हिंदी भाषी राज्य के राजनीतिक दल शामिल थे। पिछले वर्षों में जिस तरह से ईडी ने राजनेताओं को जेलों में कई माहों से बंद करके रखा है। 1 वर्ष से अधिक समय हो गया। उन नेताओं की जमानत नहीं हो पा रही है। न्यायालय में उनके खिलाफ चार्जशीट भी पेश नहीं हो रही है। कई-कई महीने तक ईडी और सीबीआई जांच ही चलती रहती है। इससे सभी विपक्षी दल और उसके नेता भयभीत हैं। 1975 के आपातकाल की तुलना में कई गुना ज्यादा अघोषित आपातकाल विपक्षी दल बताने लगे है। इस अघोषित आपातकाल में विपक्षी दलों के नेताओं को अपराधी बनाकर जेलों में बंद किया जा रहा है। न्यायालय में उनकी जमानत नहीं हो रही है। सीबीआई और ईडी न्यायालयों में जमानत का विरोध करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड रुपए के जो घोटाले गिनाए हैं। वह एक दशक से भी ज्यादा पुराने हैं। 9 वर्षों से अधिक भाजपा की सरकार केंद्र में है। घोटाले के जो आरोप लगाये गए थे। उसमें कई मामलों में न्यायालय से क्लीन चिट मिल चुकी है। उसके बाद भी जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोटाले के आरोप में, राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को जिसमें कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, डीएमके, राकापा, सपा, इत्यादि के राजनेताओं को घोटालेबाज बताकर जेल के सीकचें में भेजने के तेवर मोदी जी ने दिखाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा, जेल भेजने की गारंटी के बयान के बाद, सभी विपक्षी दलों का एकजुट होना अब तय माना जा रहा है। इसके क्या परिणाम होंगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। फिर भी जो चर्चाएं हो रही हैं। पिछले 9 वर्ष से केंद्र में भाजपा की सरकार है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। घोटाले के जो आरोप उन्होंने लगाए हैं, उन्होंने घोटालेबाजों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। लोग कहने लगे हैं, जब चुनाव आते हैं, तभी इस तरह के आरोप और कार्रवाई करने की बात क्यों कही जाती है। जो मामले न्यायालय से सबूतों के अभाव में खारिज किए जा चुके हैं। उन्हें बार-बार घोटाला बताने से सरकार की विश्वसनीयता कम हुई है। आम जनता के बीच में भी अब यह धारणा बनने लगी है, कि सरकार विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान कर रही है। उन्हें अपराधी और घोटालेबाज बनाकर पेश किया जा रहा है। केंद्र सरकार पर यह भी आरोप लगते हैं, कि चुनाव के ठीक पहले विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा भाजपा का मुकाबला ना कर पायें। इसके लिए सुनियोजित रणनीति के तहत विपक्षी दलों के यहां छापे डालकर उन्हें बदनाम करने और नेताओं को जेल भेजकर चुनाव को प्रभावित करने का काम केंद्र सरकार करती है। वहीं पिछले सालों में भाजपा की केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों पर जो आरोप लगे हैं। उनकी जांच क्यों नहीं कराई जाती है। आम लोगों में अब यह धारणा बनने लगी है,कि सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के चलते ईडी और सीबीआई के माध्यम से विपक्षी दलों के नेताओं को अपराधी बना कर जेल भेज रही है। इससे जनता की सहानुभूति अब विपक्षी दलों को मिलने लगी है। यदि ऐसा हुआ तो 1977 में जिस तरह से जनता दल के प्रति आम जनता की जो सहानुभूति मिली थी। वैसी ही सहानुभूति 2023 और 2024 के चुनावों में बन सकती है।