घातक होगी ओमिक्रोन संक्रमण मामले में लापरवाही

asiakhabar.com | December 29, 2021 | 4:44 pm IST
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-योगेश कुमार गोयल-
देश में ओमिक्रोन के लगातार बढ़ते मामलों से दहशत का माहौल बनने लगा है। बढ़ रहे मामलों को देखते हुए
फरवरी माह में कोरोना की तीसरी लहर की भविष्यवाणी की जा रही है।
ऐसे में पहले से ही रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के साथ-साथ एक और
लॉकडाउन का डर अभी से सताने लगा है। दरअसल, चंद दिनों में ही ओमिक्रोन के देशभर में 500 से भी ज्यादा
मरीज सामने आ चुके हैं और यह आंकड़ा प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। इसी के चलते कुछ राज्यों द्वारा 'नाइट
कर्फ्यू' लगाए जाने की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि ओमिक्रोन को लेकर सरकार द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि
इसमें ऑक्सीजन की जरूरत कम ही है। फिर भी संक्रमण की रफ्तार से तीसरी लहर की चिंता स्वाभाविक ही है।
इन परिस्थितियों के मद्देनजर इससे निपटने के लिए समय रहते केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी उपाय
किए जाने की सख्त आवश्यकता है।
24 नवम्बर 2021 को जहां ओमिक्रोन का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था, वहीं भारत सहित
पूरी दुनिया में केवल एक महीने के अंदर ही यह 110 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। इस एक महीने में
दुनियाभर में इस वेरिएंट के लाखों मामले सामने आ चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना संक्रमण के 95 फीसदी
मामलों की प्रमुख वजह ओमिक्रोन ही है। ब्रिटेन में जहां 29 नवम्बर तक ओमिक्रोन के 0.17 फीसदी मामले
सामने आ रहे थे, वहीं 23 दिसम्बर तक इसके 38 फीसदी मामले दर्ज किए गए। यही हाल अमेरिका का भी है,
जहां ओमिक्रोन की वजह से संक्रमण दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। हाल यह रहा कि 22 दिसम्बर तक हर
चौथा मामला ओमिक्रोन की वजह से आया।भारत में भी यह संक्रमण फैलने की रफ्तार काफी तेज है।
चिंताजनक स्थिति यह है कि ओमिक्रोन में अब तक कुल 53 म्यूटेशन हो चुके हैं और यह डेल्टा के मुकाबले बहुत
तेजी से फैलता है। डेल्टा में कुल 18 और इसके स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन हुए थे लेकिन ओमिक्रॉन के स्पाइक
प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हो चुके हैं। इसके रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं। वायरस स्पाइक
प्रोटीन के जरिये ही मानव शरीर में प्रवेश करता है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट डा. टोम पीकॉक
के मुताबिक वायरस में जितने ज्यादा म्यूटेशन के जरिए वेरिएंट बनेगा, वह उतना ही अधिक खतरनाक होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ओमिक्रोन को कई दिनों पहले ही 'वेरिएंट ऑफ कंर्सन' घोषित करते हुए कह चुका है कि
तेजी से फैलने वाला यह वेरिएंट लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के
मुख्य चिकित्सा सलाहकार डा. सुसान हॉपकिंस का कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट दुनियाभर में प्रमुख डेल्टा
स्ट्रेन सहित अन्य किसी भी वेरिएंट के मुकाबले बदतर होने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों के अनुसार डेल्टा वेरिएंट
की आर वैल्यू 6-7 थी अर्थात् एक व्यक्ति वायरस को 6-7 व्यक्तियों में फैला सकता है। ओमिक्रोन की आर वैल्यू
तो डेल्टा के मुकाबले करीब छह गुना ज्यादा है। इसका अर्थ है कि ओमिक्रोन से संक्रमित मरीज 35-45 लोगों में
संक्रमण फैलाएगा।

भारत में ओमिक्रोन का पहला मामला 2 दिसम्बर को सामने आया था और उसके बाद से मूल वायरस के मुकाबले
तीन गुना से भी ज्यादा तेज रफ्तार से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन का सबसे पहले पता लगाने वाली
'साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन' की अध्यक्ष डा. एंजेलिक कोएत्जी का भारत के संदर्भ में कहना है कि
कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट के कारण यहां संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी दिखेगी। हालांकि, मौजूदा टीकों से
इस रोग को फैलने से रोकने में निश्चित ही मदद मिलेगी।टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को शत-प्रतिशत खतरा
है। यही वजह है कि इस समय टीकाकरण पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है और बहुत सारी सेवाओं में
टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जा रहा है। एंजेलिक कोएत्जी का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति का
टीकाकरण हो चुका है या जो व्यक्ति पहले भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुका है, उससे संक्रमण कम लोगों
को फैलेगा और टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग वायरस को संभवतः शत-प्रतिशत फैलाएंगे।
डा. एंजेलिक कोएत्जी के मुताबिक ओमिक्रोन उच्च संक्रमण दर के साथ तेजी से फैल रहा है, लेकिन अस्पतालों में
गंभीर मामले अपेक्षाकृत कम हैं। यह बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है और वे भी औसतन 5 से 6 दिन में ठीक
हो रहे हैं लेकिन ओमिक्रोन भविष्य में अपना स्वरूप बदलकर अधिक घातक बन सकता है। अधिकांश विशेषज्ञों की
भांति उनका भी यही मानना है कि टीकाकरण के अलावा कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन ओमिक्रोन संक्रमण को
नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। लापरवाहियों के चलते भारत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान
तबाही का जो मंजर देख चुका है, ऐसे में यदि चुनावी रैलियों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा इसी प्रकार भारी भीड़
जुटाई जाती रही तो डर यही है कि कहीं फिर से वही हालात न पैदा हों, जैसे मार्च-अप्रैल में चुनाव प्रचार के लिए
पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी राज्य विधानसभा चुनावों की रैलियों में जुटाई गई भारी भीड़ के
चलते हुए थे। सवाल यह भी उठता है, जब भी ऐसे सवाल उठते हैं तो संबंधित राज्यों में नाइट कर्फ्यू जैसी
पाबंदियां लगाकर कोरोना के खिलाफ सख्त कदम जैसी बातें दोहराई जाने लगती हैं लेकिन यह कैसी हास्यास्पद
स्थिति है कि अधिकांश जगहों पर जहां रात में सड़कें पहले ही सुनसान रहती हैं, वहां कर्फ्यू और दिन में शादी-
ब्याह जैसे समारोहों में 100-200 लोग, तो रैलियों में लाखों की भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति होती है। अदालतें
इसके लिए बार-बार फटकार लगाते हुए सचेत भी करती रही हैं किन्तु डर इसी बात का है कि कहीं महज कागजों
तक ही सीमित कोरोना पाबंदियां तीसरी लहर को खौफनाक न बना दें।


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