विनय गुप्ता
जम्मू-कश्मीर में इस माह के अन्त में होने वाले जिला विकास परिषदों के चुनाव होने है। जैसे – जैसे चुनाव
नजदीक आते जा रहे है राजनैतिक सरगर्मी बढती जा रही है।नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कान्फ्रेंस, भाकपा व
माकपा के इस गुपकर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले गठबन्धन को ‘गुपकर गैंग’ या गिरोह की संज्ञा भाजपा ने
दी है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वह इस गुपकर गठबन्धन की सदस्य पार्टी नहीं है बल्कि उसने जिला
परिषद चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के विरोध में इन दलों के साथ चुनावी समझौता करने की घोषणा की है।
कांग्रेस की घोषणा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में लामबंद हो रहे विपक्षी दलों को आडे हाथों लेते
हुए कहा कि कांग्रेस और गुपकर गैंग जम्मू कश्मीर को एक बार फिर से आतंक और उथल पुथल के दौर में ले
जाना चाहते हैं।उन्होंने इन सभी दलों की कड़ी आलोचना की और कहा कि ये चाहते हैं कि विदेशी ताकतें जम्मू और
कश्मीर में हस्तक्षेप करें। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी से भी गुपकर के बारे में
अपना रूख स्पष्ट करने को कहा।श्री शाह ने कहा कि गुपकर गैंग वैश्विक हो रहा है। वे चाहते हैं कि विदेशी ताकतें
जम्मू और कश्मीर में हस्तक्षेप करें। गुपकर गैंग ने भारत के तिरंगे का अपमान किया है। क्या सोनिया जी और
राहुल जी गुपकर गैंग के इन कदमों का समर्थन करते हैं? उन्हें देश के लोगों के समक्ष अपना रूख स्पष्ट करना
चाहिए।
यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि गुपकर गठबन्धन के दलों ने अन्ततः जिला परिषदों के चुनाव में भाग लेने की
घोषणा की। इससे यह पता चलता है कि बेशक ये दल जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त किये जाने
और धारा 370 को समाप्त किये जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हों मगर भारत की लोकतान्त्रिक प्रणाली में इनका
विश्वास है। इन दलों का मत कई मुद्दों पर राष्ट्रहित विरोधी लग सकता है क्योंकि पीडीपी की प्रमुख श्रीमती
महबूबा मुफ्ती कह चुकी हैं कि वह तिरंगा तब तक नहीं उठायेंगी जब तक कश्मीर का झंडा वापस नहीं आ जायेगा
और नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला भी यह बयान दे चुके हैं कि धारा 370 की वापसी के लिए
वह चीन की मदद से भी गुरेज नहीं करेंगे मगर एक तथ्य हमें यह भी समझना पड़ेगा कि इस गठबन्धन के नेता
इसके साथ यह भी कह रहे हैं कि वे राष्ट्र विरोधी नहीं हैं, केवल भारतीय संविधान के आमूल स्वरूप की वापसी की
मांग कर रहे हैं। इसमें इस हकीकत को वे नजरअन्दाज कर रहे हैं कि भारत की सर्वसत्ता सम्पन्न संसद के माध्यम
से ही धारा 370 को समाप्त किया गया, जिसे एक वर्ष से अधिक हो चूका है।
गौरतलब यह भी है कि नेशनल कान्फ्रेंस व पीडीपी दोनों ही कभी न कभी राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस व भाजपा के साथ
मिल कर राज्य में सत्ता में भागीदारी करती रही हैं। इनकी विचारधाराओं में तब से लेकर अब तक कोई अन्तर भी
नहीं आया है मगर इन्हें अब यह स्वीकार करना ही होगा कि धारा 370 का वजूद समाप्त हो चुका है और यह
बीते समय की बात हो चुकी है। जिला परिषदों के चुनावों में इन दलों ने शिरकत का ऐलान करके आंशिक रूप से
ही सही इस हकीकत को मंजूर जरूर किया है वरना क्यों ये पार्टियां बदले हुए कश्मीर में चुनाव लड़ने के लिए तैयार
होती?
दरअसल यह भारत की कमजोरी नहीं बल्कि इसकी सबसे बड़ी ताकत है कि सत्ता पर बैठते ही हर पार्टी की
विचारधारा राष्ट्रीय विचारधारा हो जाती है। इसकी प्रेरणा हमारा संविधान ही सभी राजनीतिक दलों को देता है। अतः
वर्तमान गृह मन्त्री श्री शाह ने सभी राजनीतिक दलों के समक्ष चुनौती फैंकी है कि वे संविधान को सर्वोपरि मान
कर राष्ट्रीय धारा में आकर मिलें और जिला परिषदों के चुनावों में कश्मीरी जनता के हितों को ही सर्वोच्च मानें
क्योंकि धारा 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को वे नागरिक अधिकार मिले हैं जो भारतीय संविधान ने
समस्त देशवासियों को दिये हैं। गुपकर गठबन्धन को गैंग कहने का मन्तव्य यही लगता है कि भारतीय संघ में
सम्मिलित सभी राज्यों के लोगों के अधिकारों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। सभी एक देश के
नागरिक हैं और सभी के अधिकार बराबर हैं। अतः गुपकर गठबन्धन का कोई गुप्त एजेंडा नहीं हो सकता।