गांधी के सपनो का जीवंत प्रतीक है अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय

asiakhabar.com | January 14, 2021 | 4:54 pm IST

संयोग गुप्ता

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की पावन भूमि पर आज भी अहिंसा के पुजारी 'बापू' के
पदचिन्ह मौजूद है,जो हमे राष्ट्र सेवा,राष्ट्रभाषा और मानव प्रेम की ओर उन्मुख करते है।हिंदी भाषा की महक
यहां की मिटटी में है,यहां के कण कण में है।जितना सम्मान हिंदी के शीर्ष साहित्यकारों को अंतर्राष्ट्रीय हिंदी
विश्वविद्यालय में मिलता है,शायद अन्यत्र कहीं नही।हाल ही में इस विश्वविद्यालय ने अपना दीक्षांत समारोह
ऑनलाइन आयोजित किया।जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने महात्‍मा गांधी
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय को हिंदी का विश्‍व स्तरीय शिक्षा केंद्र बताया और उद्घोषणा की कि अब इस
विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा के माध्यम से कानून की पढ़ाई हो सकेगी। महात्‍मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी
विश्‍वविद्यालय, वर्धा के चतुर्थ दीक्षांत महोत्‍सव में बतौर मुख्‍य अतिथि ऑनलाइन बोलते हुए केंद्रीय शिक्षा
मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जो लोग उपाधि लेकर योद्धा की तरह इस विश्‍वविद्यालय से
निकल रहे हैं, उन पर गांधी जी की मुहर है। यह विश्‍वविद्यालय गांधी के सपनों का जीवंत प्रतीक और शक्ति
का एक पुंज भी है। उन्होंने विश्‍वास व्यक्त किया कि यह विश्‍वविद्यालय तक्षशिला और नालंदा जैसा ज्ञान
का वैश्विक केंद्र बनेगा। हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा विधि पाठ्यक्रम की पढ़ाई हिंदी माध्‍यम से हो रही
शुरुआत पर खुश होते हुए उन्‍होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में अब अभियांत्रिकी, चिकित्‍सा और विधि की
पढ़ाई संभव होगी। उन्होंने महात्मा गांधी का स्मरण करते हुए कहा कि गांधी जी कहते थे कि राष्‍ट्र भाषा के
बिना राष्‍ट्र गूंगा होता है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020गांधी की शिक्षा से प्रेरित है।तभी तो
हम मातृभाषाओं में शिक्षा उपलब्‍ध कराने के लिए संकल्‍पबद्ध है। उन्होंने एक भाषा में संचित ज्ञान को दूसरी
भाषा में लाने की दृष्टि से हिंदी विश्‍वविद्यालय द्वारा स्‍थापित भारतीय अनुवाद संघ को लोकोपयोगी
बताया।डॉ निशंक ने जानकारी दी कि अब तक अनुवाद संघ से 64 भाषाओं के 1100 से अधिक अनुवादकों
का जुड़ना एक बड़ी सफलता है।
दीक्षांत महोत्‍सव की अध्‍यक्षता करते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कमलेश दत्‍त त्रिपाठी ने कहा
कि राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में आज भारतीय भाषाएं और हिंदी से अपेक्षा और उसकी संपूर्ति की अपूर्व संभावनाएं
उपस्थित हो गई हैं। जिस प्रकार राष्‍ट्रीय क्षितिज पर ये अपूर्व और अपार संभावनाएं उदित हो रही हैं, उसी
प्रकार अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर उनका प्रदीप्‍त उन्‍मेष स्‍पष्‍ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि
सारे विश्‍व में जहाँ भी भारतवंशी विद्यमान हैं, उनके पास महात्‍मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय,
वर्धा को पहुंचना ही होगा। हिंदी और भारतीय भाषाओं को अपनी गौरवमयी ज्ञान-परंपरा को सहेजते हुए
नवीनतम और आविष्‍कृततम ज्ञान की ऊर्जा को ग्रहण करना होगा और नई दिशा में अपनी परंपरा के अनुसार
विकसित कर विश्‍व के लिए प्रस्‍तुत करना होगा, ताकि एक नए विश्‍व के निर्माण का मार्ग प्रस्‍तुत हो
सके। विश्‍वविद्यालय की प्रगति का प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा
कि कोरोना कालखंड में विश्‍वविद्यालय का परिसर कोरोना से मुक्‍त रहा है।जो एक बड़ी सफलता है।
विश्‍वविद्यालय ने 17 मार्च, 2020 से ही ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की और 90 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी
इन ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हुए। दुनिया के तमाम देशों के विद्यार्थियों के लिए भारतीय सांस्‍कृतिक

संबंध परिषद की सहमति के आधार पर विश्‍वविद्यालय ने ऑनलाइन शिक्षण प्रदान करने का काम किया। इस
कालखंड में विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों ने वर्धा जिले के 10 से अधिक गांवों का सर्वे कर 400 पृष्‍ठों की
रिपोर्ट गांवों के हालात को लेकर तैयार की। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय ने सामाजिक संपर्क और
उत्‍तरदायित्‍व का परिचय देते हुए कोरोना काल में दो हजार से अधिक जरूरतमंद लोगों की मदद की गई ।
कोरोना के नियमों का शत प्रतिशत पालन करते हुए 11 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार हिंदी माध्‍यम से
संपन्‍न कराया, जिसमें 10 देशों के अध्‍यापकों ने हिंदी में अपनी बात रखी।जिससे सिद्ध होता है कि हिंदी
दुनिया तक पहुंच रही है और दुनिया हिंदी तक।दीक्षांत महोत्सव में ऑनलाइन माध्‍यम से 54 विद्यार्थियों को
स्‍वर्ण पदक तथा 801 स्‍नातकों,जिसमें 117 विद्यार्थियों को पी-एच.डी., 43 विद्यार्थियों को एम.फिल.,
453 विद्यार्थियों को स्‍नातकोत्‍तर तथा 188 विद्यार्थियों को स्‍नातक को उपाधि प्रदान की गई।
दीक्षांत महोत्‍सव में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रमोद येवले, संत
गाडगे बाबा अमरावती विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीधर चांदेकर, कार्य परिषद के नवनियुक्त सदस्‍य
प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण, प्रो. नीरजा अरुण गुप्‍ता, कोर्ट के सदस्‍य रवींद्र लोखंडे आदि उपस्थित रहे।इस
अवसर पर विश्‍वविद्यालय ने अपना 24वाँ स्‍थापना दिवस भी मनाया।जिसके तहत हिंदी की विजय पताका
विश्वविद्यालय ध्वज के रूप में फैहराई गई।


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