गंगाभक्त स्वामी सानंद के बलिदान पर चुप क्यों हैं खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले

asiakhabar.com | October 13, 2018 | 4:32 pm IST

गंगाभक्त स्वामी सानंद (प्रो. जी.डी. अग्रवाल) का कल अनशन करते हुए निधन हो गया। वे 111 दिन से अनशन पर थे। उनकी आयु 86 वर्ष थी। उनके निधन को क्या कहें? बलिदान, मृत्यु या हत्या ? उसे हरिद्वार के उनके साथी संन्यासियों ने हत्या ही कहा है। यह बेहद दुखद घटना है। जब मैं 8 जुलाई को उनसे मिला था तो उन्होंने मुझसे कहा था कि उन्होंने मोदी को दो पत्र लिखे हैं लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं मोदी से बात करुं। मैंने अपनी असमर्थता जताई लेकिन दिल्ली लौटकर मैंने तुरंत केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से बात की और बाद में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से भी! दोनों ने चिंता जताई।

गडकरी ने अपने मंत्रालय के अफसरों को स्वामी सानंदजी से बात करने के लिए हरिद्वार भी भेजा। बाद में नितीनजी ने मुझे बताया कि उनकी लगभग सभी मांगें वे मानने को तैयार हैं। यदि स्वामीजी दिल्ली आ जाएं तो उनके साथ विस्तार से बात करके उनकी अन्य मांगों का भी हल निकाल लेंगे। स्वामीजी से 15-20 दिन पहले तक मेरा संपर्क बना हुआ था। वे इस बात पर अड़े हुए थे कि मैं नरेंद्र मोदी को उनसे मिलने हरिद्वार जाने के लिए कहूं। पता नहीं क्यों, उन्होंने मोदी के बारे में गलतफहमी पाल रखी थी। अब जबकि उनकी हालत बहुत खराब हुई तो अस्पताल ले जाकर उनका इलाज किया गया और वे दिल्ली आने को भी तैयार हो गए लेकिन उन्हें रास्ते में हृदयाघात हो गया।
उनकी मांग यह थी कि गंगा पर बन रहे बड़े बांध और अवैध खनन को रोका जाए। गंगा को अविरल और स्वच्छ रखा जाए। उन्होंने पांच साल पहले रुद्रप्रयाग में इन्हीं मुद्दों को लेकर अनशन किया था। तब जल-पुरुष राजेंद्रसिंह और मुझे पुलिस ने वहां गिरफ्तार कर लिया था। स्वामी सानंदजी ने अमेरिका से पीएच.डी. की थी। वे इंजीनियरी के प्रोफेसर थे। उनके जैसे अनासक्त और सर्वहितकारी आंदोलनकारी देश में कितने हुए हैं? उनके अनशन के पीछे पद, प्रतिष्ठा, पैसे, प्रभुत्व आदि की कोई इच्छा नहीं थी। वे शुद्ध गंगाभक्त थे। ऐसे गंगाभक्त का अनशन करते हुए निधन हो जाए और सरकार अपने आप को राष्ट्रवादी कहे, इससे बढ़कर सत्य का अपमान क्या होगा ? स्वामी सानंदजी की मृत्यु हमारे देश के खबरतंत्र के मुंह पर भी करारा तमाचा है, जिसने उनके अनशन पर ठीक से ध्यान नहीं दिया। उनके पहले स्वामी निगमानंद और अब स्वामी सानंद का बलिदान तब तक याद किया जाएगा, जब तक इस देश में गंगा बहती रहेगी। मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि!

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