-योगेश कुमार गोयल-
अभी तक लाखों लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस के नए वेरिएंट बी.1.1.529 को लेकर दुनिया भर में दहशत
है। कोरोना के इस वेरिएंट के कहर से बचने के लिए दुनिया भर की सरकारें चेतावनी दे रही हैं, वहीं इसके संभावित
हमले के चलते शेयर बाजार भी धड़ाम हो रहे हैं।
बी.1.1.529 वेरिएंट को टीका प्रतिरोधी तथा कोरोना का अभी तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट बताया जा रहा है,
जो इम्यूनिटी को तेजी से मात देने में कुशल है। इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में वायरस के अन्य स्वरूपों की
तुलना में अधिक परिवर्तन पाया गया है और स्पाइक में होने वाले बदलावों के कारण ही यह वैक्सीन को भी
आसानी से चकमा देने में सक्षम है। बोत्सवाना में मिला यह वेरिएंट वायरस का सबसे म्यूटेंट वर्जन है, जिसके
स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन देखने को मिले हैं और इसी कारण इससे बहुत तेजी से संक्रमण फैलने की आशंका
जताई जा रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नए वेरिएंट बी.1.1.529 को 'ओमीक्रोन' नाम दिया गया है, जो
ग्रीक वर्णमाला का 15वां शब्द है। दरअसल वेरिएंट्स का नाम डब्ल्यूएचओ ग्रीक वर्णमाला के शब्दों के अनुसार ही
रखता है।
फिलहाल ओमीक्रोन नामक जो वेरिएंट पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बन रहा है, उसके बारे में विशेषज्ञों का
मानना है कि यह हवा से भी फैल सकता है और इसीलिए चिंता का सबसे बड़ा कारण यही है कि ऐसे में सामाजिक
दूरी जैसे नियम भी इस वेरिएंट से निपटने में फेल हो सकते हैं। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुख्य चिकित्सा
सलाहकार डॉ. सुसान हॉपकिंस का कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट दुनियाभर में प्रमुख डेल्टा स्ट्रेन सहित अन्य
किसी भी वेरिएंट के मुकाबले बदतर होने की क्षमता रखता है। बोत्सवाना के अलावा दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग,
इजरायल, जर्मनी, ब्रिटेन सहित कई देशों में इसके अनेक मामले सामने आ चुके हैं। यही कारण है कि वायरस के
इस रूप को भारत सहित लगभग सभी प्रमुख देशों द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है और कई देशों द्वारा दक्षिण
अफ्रीका की विमान यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है।
बी.1.1.529 वेरिएंट को डेल्टा के मुकाबले बहुत ज्यादा खतरनाक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि बड़ी तबाही लाने
वाले डेल्टा वेरिएंट में जहां स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन हुए थे, वहीं ओमीक्रोन में अब तक 50 से ज्यादा
म्यूटेशन मिल चुके हैं, जिनमें से 32 म्यूटेशन केवल इसके स्पाइक प्रोटीन में ही हुए हैं। डेल्टा वेरिएंट जितना
करीब 100 दिनों में फैला था, ओमीक्रोन उतना 15 दिनों में ही फैल चुका है अर्थात् यह डेल्टा के मुकाबले करीब
सात गुना तेजी से फैल रहा है। यूसीएल जेनेटिक इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. फ्रेंकोइस ब्लौक्स का कहना है कि एक
ही वेरिएंट में इतने सारे म्यूटेंट का पाया जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह कमजोर इम्यूनिटी वाले
लोगों के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। प्रो. फ्रेंकोइस का मानना है कि संभवतः बी.1.1.529 वेरिएंट किसी ऐसे
एचआईवी या एड्स रोगी से विकसित हुआ है, जिसका इलाज नहीं हुआ हो।
शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का सहारा लेता है। अधिकांश कोविड
वैक्सीन का हमला स्पाइक प्रोटीन पर ही होता है और चूंकि नए वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ही बहुत ज्यादा
म्यूटेशन हुए हैं, इसीलिए संभावना व्यक्त की जा रही हैं कि यह वेरिएंट कोविड टीकों को बेअसर करने में सक्षम हो
सकता है। इन धारणाओं को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि नए वेरिएंट से संक्रमित कुछ ऐसे मरीज मिले हैं,
जिनमें से कुछ ने वैक्सीन की पूरी डोज ले ली थी और कुछ ने तो बूस्टर डोज भी ली थी। वायरस का नया वेरिएंट
कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमण को फैलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह स्ट्रेन रिसेप्टर रेकग्निशन
तथा सेल मेम्ब्रेन फ्यूजन प्रक्रिया को शुरू करता है। इसके अलावा कोरोना का यह स्ट्रेन वैक्सीन के जरिये प्राप्त
एंटीबॉडी को भी मात दे सकता है। इसीलिए कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीनेशन के बाद भी इतने सारे
म्यूटेंट से बने वेरिएंट से बचना शरीर के लिए मुश्किल हो सकता है।
साउथ अफ्रीका में बी.1.1.529 वेरिएंट जिस प्रकार कहर बरपा रहा है और अन्य देशों में जिस तेजी से फैल रहा है,
उसी के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ द्वारा ओमीक्रोन को 'वेरिएंट ऑफ कंर्सन' घोषित किया जा चुका है। दरअसल
डब्ल्यूएचओ ने चिंता जताते हुए माना है कि तेजी से फैलने वाला यह वेरिएंट लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित
हो सकता है। हालांकि एम्स के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ. संजय राय कहते हैं कि यह एक नया वेरिएंट
है, इसलिए अभी 'वेट एंड वॉच' की पॉलिसी अपनानी होगी लेकिन उनका यह भी कहना है कि इस बात की
संभावना है कि यह आपकी मौजूदा इम्यूनिटी को बाईपास कर सकता है और यदि ऐसा ही है तो यह बेहद गंभीर
मामला है।
बी.1.1.529 वेरिएंट के सामने आने के बाद वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि टीकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी वायरस
के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है और ऐसे में कोरोना के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है।
ऐसे में पूरी सतर्कता के साथ कोरोना प्रोटोकॉल को देशभर में सख्ती से लागू किया जाना बेहद जरूरी है ताकि देश
को दूसरी लहर जैसी भयानक परिस्थितियों का सामना न करना पड़े।