हरी राम यादव
जिसके दम पर बम बम करती,
और ताल ठोंकती सरकार।
कभी चीन को आंख दिखाती,
कभी पाक पर करती प्रहार ।
आखिर आज वह क्यों लाचार?
जो कभी तने खड़े थे सीमा पर,
मौत को बनाते थे गले का हार।
जिन्हें देखकर थर थर दुश्मन कांपे,
जनता करती थी जय जयकार।
उसके संग क्यों शर्मनाक व्यवहार ?
क्यों धरने पर बैठे वे सैनिक,
जिनके बल का न पारावार।
सोचो सोचो जल्दी से सोचो,
देश का नेतृत्व और सरकार।
आखिर क्यों हुआ संग अत्याचार?
अपराजेय, अजेय, वीर योद्धा,
जिन्होंने जीते बल से युद्ध हजार।
सोये घर में चैन की नींद हम,
क्योंकि खड़े थे वे सीमा पर तैयार।
आखिर वे दिल्ली में क्यों बेजार?
संग होली और दीवाली मनाई,
खिलाए लड्डू, दिए उपहार।
जो हर स्थिति में खड़े देश संग,
वह क्यों बैठे दिल्ली पलथी मार ।
आखिर उन सैनिक से क्यों तकरार?