क्या हरियाणा में भाजपा जा पायेगी 75 पार?

asiakhabar.com | July 3, 2019 | 4:11 pm IST
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अभी जहाँ कांग्रेस को अपनी गुटबाजी से बाहर निकलने की ही फुर्सत नहीं मिल पाई है, वहीँ हाल के
लोकसभा चुनावों में दस की दस सीटें जीतकर अति उत्साही भाजपा अपनी विधान सभा चुनाव में बहुमत
के साथ जीत तो पक्की मान ही रही है वो तो केवल एक नया टारगेट लेकर चल रही है. अभी के
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा की दस लोकसभा सीटों के अधीन आने वाली 90 विधान सभा
सीटों में से 79 सीटों पर बढ़त प्राप्त की थी. इस बढ़त ने बीजेपी की आशाओं को तरंगित कर दिया है
और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की
जीत को 75 सीटों से अधिक पर लाना चाहते हैं. इसीलिए उन्होंने नारा दिया है-“फिर एक बार –मनोहर
सरकार” तथा “इस बार 75 पार”. क्या यह टारगेट संभव है? हाँ, 1987 में कांग्रेस का इतना मुखर विरोध
हो गया था कि चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में उनकी पार्टी ने 90 में से 85 सीट जीतकर एक नया रिकॉर्ड
दर्ज कर दिया था, जो अभी तक कायम है और शायद ही कोई पार्टी इसे तोड़ पाए. इसी उंचाई को पैमाना
मानकर भाजपा 75 पार का लक्ष्य लेकर चल रही है.
क्या कदम उठा रही है भाजपा 75 पार के लिए?
अभी 29 जून को हुई भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की रोहतक बैठक में भाजपा नेताओं के तेवर बड़े ही
उत्साहित नज़र आ रहे थे. सभी वक्ताओं ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने व पूरी मेहनत से आगामी विधान
सभा चुनावों में 75 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने हेतु जोर दिया.
प्रदेश कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कार्यकर्ताओं
से 75 पार के लक्ष्य को लेकर जनसम्पर्क अभियान में जुट जाने का आह्वान किया और कहा
–“विधानसभा चुनाव में तीन महीने का समय शेष है और इस समय अवधि में कार्यकर्ताओं को नींद व
आराम को त्यागकर डटकर मेहनत करनी होगी.”
मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं को ओवरकोन्फिडेंस होने से भी बचने की सलाह दी और कहा कि अति उत्साह
नुकसान दायक साबित हो सकता है.
प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला पत्रकारों से बातचीत में कहते हैं-“भारतीय जनता पार्टी द्वारा सर्व स्पर्शी
सदस्यता अभियान चलाया जाएगा. मौजूदा समय में हरियाणा में पार्टी के 33 लाख सदस्य है और
सदस्यता अभियान में कम से कम 20 प्रतिशत की बढोतरी की जानी है.”

पार्टी ने तय किया है कि प्रदेश में 290 मंडल है, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा मंडल स्तर पर बैठक
आयोजित की जाएगी. इन नेताओं को तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है. सांसद एवं
पार्टी महामंत्री संजय भाटिया के संयोजन में जनसम्पर्क के तहत प्रदेश में रथ यात्रा निकाली जाएगी.
विपक्ष के पास क्या है 75 पार की काट?
प्रदेश में कांग्रेस तो आपसी फूट के चलते एकदम हाशिये पर आ चुकी है. स्थिति यह है की प्रदेश में
कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के छह दावेदार हैं, परन्तु एक भूपेंदर सिंह हुड्डा को छोड़कर कोई भी इस
स्थिति में भी नहीं लगता जो अपने सहयोगियों को तो क्या अपनी खुद की विधायक सीट भी निकाल
सकता हो. हूड्डा अवश्य लगभग एक दर्जन सीटों पर जीत को प्रभावित कर सकते हैं. परन्तु कांग्रेस की
डूबती नैया और अकुशल खवैये के कारण कांग्रेस के प्रति सकारात्मक रूझान तो क्या बल्कि नकारात्मक
माहौल बना हुआ है. ऐसे में हूड्डा के कितने समर्थकों को टिकट मिलती है, कितनी टांग खिंचाई होती है,
इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. हाँ, कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा नेता बने बिरेंदर सिंह का कहना
यहाँ समुचित जान पड़ता है कि यदि हूड्डा कांग्रेस से बाहर आकर अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़े तो
आठ –दस सीट जीत सकता है.
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने प्रदेश कांग्रेस को निष्क्रिय एवं टुकड़ा –टुकड़ा समूह बनाकर रख
दिया है, जो शायद ही एक हो पाए. केवल राहुल गाँधी के आशीर्वाद को आधार मानकर अपने आप को
हरियाणा के मुख्यमंत्री का दावेदार मानने वाले अशोक तंवर 2014 तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में
सिरसा से अपनी दो बार की करारी हार के बावजूद किस गलत फहमी में जी रहे हैं, यह समझ से परे है.
चौधरी बंसीलाल के वंशज भी आपसी दुराव के चलते जीत का मुंह शायद ही देख पायें. सीएम कुर्सी का
सपना देखने वाली विधायक दल की नेता एवं चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी अपनी ही पुत्री
को अपनी ही परम्परागत सीट तोशाम से लोक सभा चुनाव में बुरी हार से नहीं बचा पायी. यहाँ कांग्रेस
को इतने भारी अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा कि अब शीघ्र होने वाले विधान सभा चुनाव में शायद ही
किरण चौधरी अपनी सीट निकाल पाए.
पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया इंचार्ज एवं मुख्यमंत्री पद के चौथे दावेदार रणदीप सुरजेवाला अभी छह माह पूर्व
जींद उपचुनाव में शर्मिंदगी पूर्ण हार का सामना कर चुके हैं तथा लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस
की इसी हार ने भाजपा का मनोबल आसमान तक पहुंचा दिया था.
अंदरखाने मुख्यमंत्री पद पर बैठने की ख्वाहिश पाले, चुप चाप ऊपरी राजनीति की पक्षधर कुमारी शैलजा
भी अभी लोकसभा चुनाव में अम्बाला से हार के बाद धरातल पर अपनी ढीली पकड़ महसूस कर चुकी हैं.
हालाँकि वे संयत नेता हैं.

छठे दावेदार, चौधरी भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने अपने पैत्रिक विधान सभा क्षेत्र आदमपुर में
पहली बार अपने पुत्र भव्य बिश्नोई की हार को देखा है और उसके बाद वे आदमपुर के मत दाताओं से
नाराज़गी भी प्रकट कर चुके हैं. परन्तु फिर भी लगता है वे अपनी आदमपुर विधान सभा सीट को तो
पुन: जैसे तैसे जीत ही लेंगे. पर शायद एक से ज्यादा सीट पर अपने समर्थकों को नहीं जितवा पायेंगे.
चौधरी देवीलाल के स्वार्थपरक वंशजों द्वारा पारिवारिक लड़ाई के कारण पतन के निचले स्तर को छू चुके
इंडियन नेशनल लोकदल की हालत उस बिल्डिंग जैसी हो चुकी है, जो धराशाही हो चुकी है और पडौसी
मलबे में से थोड़ी अच्छी बची इंटों को उठा उठा कर ले जा रहे हैं. पार्टी के 19 में से 5 विधायकों को
भाजपा ले जा चुकी है, एक कांग्रेस में जा चूका है, दो दिवंगत हो चुके हैं और चार अपने ही पारिवारिक
विरोधी दल का झंडा उठा चुके हैं. अब पार्टी के पाले में बोलने वाले केवल सात विधायक बचे है और
पार्टी प्रतिपक्ष नेता का पद भी खो चुकी है. पार्टी का एकमात्र राज्य सभा सांसद भी भाजपा के रंग में
लींन हो गया है. 2019 के लोक सभा चुनाव में पार्टी अपनी दुर्गति देख चुकी है. आगामी विधान सभा
चुनाव में शायद ही खाता खुल पाए.
चौधरी देवीलाल परिवार के ही एक सदस्य, दुष्यन्त चौटाला अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला से विद्रोह कर
अपनी अलग पार्टी जन नायक जनता पार्टी बना चुके हैं, परन्तु इस नए मंच पर वे अपनी हिसार लोक
सभा की सीट नहीं बचा पाए. पर दूसरे नंबर रहकर तथा कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल कर दुष्यन्त
इतना तो सिद्ध कर ही गए कि यदि भविष्य में कभी चौधरी देवीलाल के नाम पर वोट मिले तो वे ही
असली वारिस होंगे. आगामी विधान सभा चुनावों में भले ही चार-पांच सीटों तक सीमित रह जाएँ, परन्तु
विधान सभा में अपनी मौजूदगी तो अवश्य दर्ज करेंगे ही.
हरियाणा के बेरोजगार युवकों को रोजगार देने का मुख्य मुद्दा लेकर चल रही जन नायक जनता पार्टी के
नेता दुष्यन्त आरोप लगाते हैं-“आपसी भाईचारे को बिगाड़ कर प्रदेश को खोखला करने वाली भाजपा
सरकार आज सिर्फ और सिर्फ विधानसभा चुनाव में 75 पार सीटें लाने की बातें कर रही है, लेकिन हम
प्रदेश में 75 प्रतिशत युवाओं को रोजगार देने का पक्का वादा करते है.”
उल्लेखनीय है कि लगभग 3200 जेबीटी अध्यापकों की भर्ती मामले में दुष्यन्त के पिता अजय सिंह
चौटाला और दादा ओमप्रकाश चौटाला दस वर्ष की सजा के कारण जेल में हैं.
कुछ भी हो आज की हालात में हरियाणा में कमजोर विपक्ष तथा भाजपा के फेवर में माहौल को देखते
हुए भाजपा के लिए 75 पार का लक्ष्य कोई मुश्किल काम नहीं लग रहा है. हाँ कल को कोई अकल्पनीय
स्थिति उत्पन्न हो जाए तो ही कोई करिश्मा हो सकता है, जो अभी तक तो दूर दूर तक भी परिलक्षित
नहीं हो रहा है.


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