शिशिर गुप्ता
पूर्व में 2014 फिर 19 कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल गांधी ने खूब मेहनत की. चौकीदार चोर है से लेकर राफेल,
बेरोजगारी, किसान, चीन पाकिस्तान तक तकरीबन हर मुद्दे को उठाया लेकिन जो देश की जनता का रुख था,
मानों उसने पहले ही ठान लिया था कि उसे क्या करना है। कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली। 14 के आम चुनावों
से लेकर अब तक कांग्रेस की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है बल्कि स्थिति आए रोज़ बद से बदतर है।
कांग्रेस को लोग किस हद तक नापसंद कर रहे हैं? गर जो इस बात का अवलोकन करना हो तो हम हालिया बिहार
चुनावों का अवलोकन कर सकते हैं जिसे लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि लोग कांग्रेस को
एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते। पार्टी को आत्मनिरीक्षण की ज़रूरत है। एक अंग्रेजी अखबार से हुई बातचीत में
बिहार चुनावों में कांग्रेस की परफॉरमेंस को लेकर सिब्बल ने अपना मत प्रकट किया है। सिब्बल ने कहा है कि देश
के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं
मानते। यह एक निष्कर्ष है। सिब्बल का कहना है कि बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी।
जानकर लोगों का मानना है कि कांग्रेस सिर्फ अपने सिद्धांतों और विचारधारा से ही नहीं भटक गयी है बल्कि किस
चुनाव में किन मुद्दों को लेकर आगे जाना है इसको लेकर भी अटक गयी है। हालिया कुछ राज्य विधानसभा
चुनावों की बात कर लें तो ऐसे लोगों को प्रभारी बनाकर भेज दिया जाता है जो अपने अड़ियल रवैये के कारण राज्य
के नेताओं को भरोसे में नहीं लेते। सिर्फ अपनी चलाते हैं और जैसे ही चुनाव परिणाम कांग्रेस को चलता कर देते हैं
यह प्रभारी लोग भी वापस दिल्ली को चल देते हैं। अचम्भे की बात यह है कि ऐसे प्रभारियों को कांग्रेस में लगातार
तरक्की भी मिल रही है जोकि पार्टी को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। क्या कांग्रेस में जनाधार वाले नेताओं की कोई
पूछ है?
खुद कांग्रेस के नेताओं का आरोंप है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पिकनिक खूब मनाता है और राजनीतिक पर्यटन भी
उन्हें खूब भाता है। हाथरस मामले को लेकर सड़क पर उतरे राहुल और प्रियंका अब इस मामले को भुला चुके हैं
और उन्हें यह भी पता लग गया होगा कि कैसे जनता ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस का सारा
घमंड चूर-चूर कर दिया है। दरअसल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की दिक्कत यह है कि राहुल और प्रियंका अनुभवी
नेताओं की बात सुनना छोड़ चुके हैं, उन्हें लगता है कि जो लोग भी उन्हें सही सलाह दे रहे हैं वह गांधी परिवार के
खिलाफ हैं। यही कारण है कि वरिष्ठ नेताओं से विमर्श किये बिना राहुल और प्रियंका जिन मुद्दों का चयन करते हैं
और चुनावों के दौरान जो मुद्दे उठाते हैं उससे लगातार पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यही कारण है कि भाजपा को कहने का मौका मिल गया है कि कांग्रेस जिसे छूती है वह बर्बाद हो जाता है। अब
भाजपा की जरा इस बात में कितना दम हैं यह भी देख लीजिये। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से
गठबंधन किया, सपा बर्बाद हो गयी। बिहार में कांग्रेस की वजह से राष्ट्रीय जनता दल का सरकार बनाने का सपना
चकनाचूर हो गया। कांग्रेस की वजह से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा बर्बाद हो गयी। कांग्रेस
की वजह से कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर की सरकार चली गयी। देश के अन्य राज्यों में भी आंकड़ों पर गौर
करेंगे तो पता चल जायेगा कि देश की ग्रैण्ड ओल्ड पार्टी का क्या हाल है। कांग्रेस के नेताओं में पार्टी छोड़ने की होड़
लगी है, विधायक हों या सांसद अब कांग्रेस के प्रति वफादार नहीं रह गये हैं और पाला बदलने के लिए मौका देखते
रहते हैं, ऐसी स्थिति में आम कार्यकर्ता आलाकमान की ओर आशा भरी उम्मीदों से देख रहा है लेकिन आलाकमान
अगली पिकनिक कहाँ मनाएँ इस बात की सोच रहा है।
बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जिस तरह आरजेडी के नेता कांग्रेस को घेरने में लगे हुए हैं उस
पर कांग्रेस पलटवार भले कर दे लेकिन पार्टी को यह सोचना ही होगा कि वह देश में गंभीर राजनीति करना चाहती
है या नहीं। हम होते तो 15 मिनट में चीन को बाहर कर देते, हम होते तो यह कर देते वह कर देते…जैसे बयान
विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में तो काम कर सकते हैं लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मुद्दे
अलग होते हैं यह बात कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को समझनी ही होगी। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से बाहर निकल
कर कांग्रेस को अपने विजन को प्रस्तुत करना चाहिए और देश की जनता को समय देना चाहिए कि वह उसके
दृष्टिकोण या नीतियों पर विचार कर फैसला करे।
बहरहाल कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व से इस बात की उम्मीद कम ही है। रही सही कसर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति
बराक ओबामा ने पूरी करदी।राष्ट्रपति पद से हटने के बाद बराक ओबामा ने अपनी आत्मकथा ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’
लिखी है, जिसमें अपने अनुभवों को साझा किया है. इस किताब की भारत में भी चर्चा है, क्योंकि किताब के अंदर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत अन्य कुछ लोगों का जिक्र है।कांग्रेस नेता राहुल गांधी
को लेकर बराक ओबामा ने जो टिप्पणी की है, वो चर्चा का विषय बनी हुई है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स
में इस किताब का रिव्यू छपा है।जिसमें किताब के अंश लिखे गए हैं। इसी के मुताबिक कांग्रेस नेता राहुल गांधी को
लेकर बराक ओबामा ने किताब में लिखा है, ‘उनमें एक ऐसे नर्वस और अपरिपक्व छात्र के गुण हैं, जिसने अपना
होमवर्क किया है और टीचर को इम्प्रेस करने की कोशिश में है। लेकिन गहराई से देखें तो योग्यता की कमी है और
किसी विषय पर महारत हासिल करने के जुनून की कमी है’।