राजीव गोयल
हमारे मुल्क को कोविड -19 का दंश झेलते एक वर्ष बीत चुका है,अभी तक दुनिया के अनेक देश तमाम सारे
प्रयासों के बावजूद कोविड-19 कि गिरफत से पूर्ण तौर पर निकल भी नहीं पाए थे कि दुनिया के अनेक देशों में
कोविड -19 की दूसरी लहर चल पडी है।अब तक तकरीबन पॉच करोड 16 लाख से ज्यादा लोगो वैक्सीन लगने के
वावजूद सर्वाधिक चिंता वाली बात यह है कि पिछले 24 घंटे में देश में कोविड -से संक्रमित मरीजो की संख्या तीन
लाख से बढकर चार लाख हो गई हैं 46,951 नए केस,मिले।इनमें सबसे ज्यादा 30,535 केस महाराष्ट्र में मिले
।देश के 84,49प्रतिशत केस महाराष्ट्र सहित पंजाब ,केरल,कर्नाटक गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मिले
है।‘लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि एहतियात उपचार की नौबत को टाल देती है।
हिन्दुस्तान के आधा दर्जन राज्यों पंजाब,केरल,कर्नाटक गुजरात समेत मध्य प्रदेश में इन दिनों कोविड-19 की दूसरी
लहर चल रही है।चौकाने वाली बात यह है कि कोरोना के बढते मामलों के बीच मानव के पास सिर्फ दो ही
सोल्यूशन है कोविड -19 के पंजे में जकडे या फिर बिना घबराए कोविशील्ड वैक्सीन लगवाए क्योकि बदली हुई
परिस्थिति में कोरोना नोवल वायरस जब तक प्रत्येक मानव को अपनी गिरफत में नही ले लेगा तब तक इस नोवल
वायरस पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगने वाला हैं।मौजूदा संकट से निवटने के लिए इसका एक म़ात्र विकल्प
टीकाकरण ही हैं। जब भी हमारे देश में कोविड -19 के मरीज बढेगे तो उसी इलाके से बढेगे, जहां पर समुद्र की
सतह लगती है।ऐसी स्थिति हम मुंबई में देख रहे हैं यहां पर कोविड के मरीज पानी और हवा के जहाज से
आवागमन करके इस महामारी को बढा रहे है।
मास्क के लाभ से 99प्रतिशत लोग वाकिफ होने के बावजूद घर से निकलते वक्त महज 44प्रतिशत लोग ही मास्क
पहनते है क्योंकि उमस और उससे होने वाली घुटन में मास्क पहनना मुश्किल हो जाता है ।कडवा सच तो यह है
कि हम न्यूजीलैड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से सोशल डिस्टेसिग में मुकावला नहीं कर सकते । यहॉ एक किमी में
औसतन 18 लोग ही रहते है,जवकि हमारे यह मुबई के धारावी जैसे इलाके के एक कि मी में दो लाख लोग रह रहे
है।दिल्ली के गाधीनगर में प्रति वर्ग किमी में तकरीवन 89,195 लोग रहते है।
कोविड-19 विशेषज्ञों का विश्वास है कि हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मरीज हौले-हौले वढगे यही
ट्रेड पिछले एक साल से दिख रहा है । कोविड -19 के मरीजों के बढने की वजह वायरस का बदलना जिसे म्यूटेशन
कहते हैं, और यह म्यूटेशन हमारे मुल्क का अंदरूनी म्यूटेशन भी हो सकता है,और किसी दूसरे मुल्क से भी आ
सकता है। दूसरा कारण है इसका सुपर स्प्रेडर होना। यह वह व्यक्ति होता है,जिसको कोविड -19 अपनी चपेट में
लेले तो वह व्यक्ति 50 से 100 लोगो को एक ही बार में संक्रमित कर सकता है।जाने माने विशेषज्ञों ने रिसर्च और
ऐनालिसिस में पाया है किअधिकतर कोविड -19 से वह व्यक्ति सबसे ज्यादा संक्रमित होता है ,जिसको गला खराब
होने के साथ-साथ छोटी आंत में डायरिया होता है,तीसरी अहम वजह है इसके होने की लोग मास्क
पहनना,सामाजिक दूरी बनाए रखना और थोडे-थोडे अंतराल पर हाथ धोना बंद कर दे खासकर उन स्थानों पर जहां
पर खुला वातावरण नहीं होता ट्रेन ,मॉल, बसौं व राजनीतिक ,सामाजिक और धार्मिक -सांस्क्रतिक समारोहों में
सामाजिक दूरी के नियम का कडाई से पालन न होना ।अतिम चौथा कारण है शहरी और ग्रामीण आबादी के एक
बडे वर्ग में कोरोना टीके को लेकर संदेह और भ्रम का बना रहना और सरकार के स्तर पर इस संदेह को दूर करने
के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए जाना ।
हमारे मुल्क में नए संक्रमित की लगातार बढ रही संख्या ने एक बार फिर चिंता बढा दी हैं।नए मरीजों की संक्ष्या में
बढोतरी का आलम यह है कि कुल मामले बढकर 101787,534पर पहुंच गए हैं।हालाकि अभी मुत्यु दर कम है।इस
बीमारी कि चपेट में जवान लोग ज्यादा आ रहे है ।लेकिन देष में टीकाकरण की गति बहुत धीमी है।कोविड -19 के
प्रसार को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को और अधिक तेज करने साथ-साथ भारत सरकार को वैक्सीन
कंपनी पर ज्यादा वैक्सीन बनाने के लिए दबाव डालना होगा । देष में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में नए
मरीजों की रफतार बढ जाती है , जैसी कि संभावना लग रही है और 50000से 100000मरीज आते है तो उन सारे
मरीजोका तत्काल टीकाकरण कर दिया जाना चाहिए जिनके कोविड -19 से मरने की आशंका हो भले ही उनकी उम्र
कुछ भी हो हालाकि कोविड-19 की बढती रफतार के मघ्य इस अद्वश्य जानलेवा श़त्रु के विरूद्व टीकाकरण
अभियान का एक और चरण की शुरू हो गई हैं। इस चरण में 45 बर्श से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया
जा रहा है।टीकाकरण का यह चरण कई अर्थो में मरने वालों में लगभग 90 फीसद 45 साल से ज्यादा उम्र के
नागरिक है ।
इस महामारी का सामाना करने के लिए सुझाए गए सुझावों का पालन कराने में अगर सरकार ,पुलिस और प्रशासन
की ओर से कडाई नहीं की गई तो कोविड -19 की अधिक भयावह रूप में वापसी हो सकती है।वैक्सीन आ जाने के
बावजूद अभी तक निश्चिंत हो जाने जैसे हालात नहीं है कयोंकि हिन्दुस्तान की 130 करोड आबादी का टीकाकरण
होते होते दो साल से ज्यादा का समय लग सकता है। लेकिन इस सब के वावजूद घबराने की जरूरत नहीं हैं। हम
अपने आप को मजबूत बना लें जिससे वायरस हमें अपने चंगुल में न ले सके यह तभी संभव है जब हम अपने
शरीर से इन्फलेमेशन को पूर्ण तौर पर समाप्त करे