कोरोना से लड़ाई को कमजोर करते लोग

asiakhabar.com | April 28, 2020 | 5:48 pm IST
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संयोग गुप्ता

राजस्थान के टोंक शहर के कसाइयों के मोहल्ले में गस्त कर रहे पुलिस के जवानों पर अचानक कुछ लोगों ने
हमला कर दिया जिसमे तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गए है। जिनका अस्पताल में उपचार चल रहा है। उत्तर
प्रदेश के मुरादाबाद शहर के नागफनी थाना क्षेत्र में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के परिवार को क्वारंटीन करने के लिए
पहुंची स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की टीम पर महिलाओं सहित कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इस हमले में दो
डाक्टर सहित चिकित्सा व पुलिस विभाग के कई लोग घायल हुये थे। हमला करने के आरोप में 10 पुरुष और 7
महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। इंदौर के टाटपट्टी बाखल में कोरोना पाजिटिव से संक्रमित के संपर्क में
आए लोगों का पता लगाने के लिए गए पांच सदस्यीय चिकित्सा दल पर लोगों ने पत्थरबाजी कर दी जिसमे दो
महिला डॉक्टर व कई चिकित्सा कर्मी घायल हो गये थे। घटना में शामिल कई लोगों को जेल भेजा गया है।
बिहार में मुंगेर के हजरतगंज इलाके में पुलिस, चिकित्सा कर्मियों की टीम पर लोगों ने पत्थरबाजी की। लोगों ने
पुलिस और चिकित्सा कर्मियों पर उस समय हमला किया जब वे कोरोना वायरस संक्रमितों का नमूना लेने गए थे।
पत्थरबाजी से पुलिस वाहनों को भारी नुकसान हुआ व कई घायल हुये। महाराष्ट्र के शोलापुर में दिल्ली जमात से
लौटे लोगों की सूचना देने पर एक व्यक्ति की कथित रूप से पिटाई की गयी। घटनानुसार पिंपरी गांव के ग्रामसेवक
ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले सात लोगों की जानकारी प्रशासन को दी थी और उनकी
कोरोना वायरस की जांच कराने पर भी जोर दिया था। जिससे नाराज होकर ग्राम सेवक की पिटाई कर दी गयी।
हैदराबाद के सरकारी अस्पताल में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मरे 49 वर्षीय मरीज के रिश्तेदार ने
ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और अन्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। कर्नाटक के
मंगलुरु के नयातारपू गांव में दो पुलिस कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मी पर हमला करने के आरोप में चार लोगों के
खिलाफ मामला दर्ज किया है। जब दो पुलिस जवान और स्वास्थ्य कर्मी गांव के घर में अलग रखे गए व्यक्ति को
बिना किसी एहतियात के घूमने पर सवाल किया तो उसने उन पर हमला कर दिया। बेंगलुरु में सामुदायिक
स्वास्थ्य कार्यकर्ता अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर सर्वे करने गए थे जहां
पर उनके साथ बदसलूकी की गई। घटना की निंदा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु ने कहा है की डॉक्टर, नर्स,
स्वास्थ्य कर्मी दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उनकी इज्जत करें। उन पर हमला हुआ तो चुप नहीं बैठूंगा।

बिहार में मधुबनी जिले में, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में, मुजफ्फरनगर में जब लॉकडाउन का पालन कराने की बात
पर लागों ने पुलिस पर हमला कर उन्हे घायल कर दिया। आजकल देश के हर प्रदेशों में ऐसी घटनायें प्रतिदिन
देखने को मिल रही हैं। इनमें से अधिकांश घटनाओं में दोषी लागों को पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर जेल भेजा जा
चुका है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में तो सरकारी कर्मचारियों के साथ बे वजह मारपीट करने वालों के खिलाफ
रासुका में केस दर्ज कर जेल भेजा जा रहा है। कोरोना वायरस से बचाने में दिनरात जुटे चिकित्सा कर्मियों व पुलिस
बल पर हमला करने की घटनाओं की हर कहीं निंदा की जा रही है।
मुम्बई के बांद्रा क्षेत्र में अचानक हजारों लागों की भीड़ सडक़ पर आ जाती है। मुम्बई में कर्फ्यू लागू होने व पग-पग
पर पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद हजारो की भीड़ एक जगह एकत्रित हो जाना सरकार की विफलता दर्शाता
हैं। हालांकि पुलिस ने भीड़ को भड़का कर एक जगह इक्कठा करने के आरोप में एक टीवी पत्रकार, एक उत्तर
भारतीय नेता सहित कई लोगों को हिरासत में लिया है। इससे पूर्व सूरत में सैकड़ो लोग अच्छा भोजन देने की मांग
को लेकर सड़कों पर उतर जाते हैं जिन्हे बड़ी मुश्किल से पुलिस शांत कर पाई थी।
लाकडाउन के दो दिन बाद दिल्ली का नजारा तो पूरे देश ने देखा ही था। जहां लाखो लोग अपने घर जाने के लिये
उत्तर प्रदेश सीमा पर एकत्रित हो गये थे। उस समय दिल्ली सरकार पर आरोप लगा था कि आप पार्टी के नेता व
विधायको ने अफवाह फैला कर लोगों को घर भागने को मजबूर किया था। डीटीसी की बसों में लागों को भर भर
कर उत्तर प्रदेश की सीमा तक छोडऩे की फोटो छपी थी। उस समय उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्काल हजारों बसो की
व्यवस्था कर लागों को उनके घरों तक भेजा था। फिर भी काफी लाग वहीं फंसे रह गये। उक्त प्रकरण में केजरीवाल
सरकार को काफी बदनामी झेलनी पड़ी थी।
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से देश वासियों को बचाने के लिये जब केन्द्र सरकार ने पूरे देश में लाक डाउन लागू
कर रखा था तब कई प्रदेशो में लाक डाउन को तोडऩे वाली ऐसी घटनाये लाक डाउन के मकसद को असफल ही
करती है। लाकडाउन के समय ही केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को कहा था कि उनके यहां प्रवासी व अन्य
जरूरतमंद लागों को आवास, भोजन, पानी, चिकित्सा की पर्याप्त व्यवस्था करवायें। ताकि देश व्यापी लाकडाउन में
फंसे लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े। मगर फिर भी राज्य सरकारों की लापरवाही के चलते देश
भर में लाखों लागों ने लाकडाउन के नियमो का उल्लंघन कर अपने घरो की तरफ पलायन किया। यातायात के
साधन बंद होने के उपरांत आज भी काफी संख्या में लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ जा रहे हैं। उनको कहीं
रोका नहीं जा रहा है। कई जिला प्रशासन तो जानबूझ कर लोगों को निकलने दे रहा है ताकि उनको लोगों के खाने
रहने की व्यवस्था ना करनी पड़े।
इन दिनो कई जगह देखने को मिल रहा है कि लाकडाउन के दौरान दूसरे स्थानो से आये बहुत से लोग कोरोना
संक्रमित पाये गये हैं। ऐसे लागों ने अपने घर पहुंचने के बाद अपनी जांच करवाना उचित नहीं समझा। जिस कारण
उनके सम्पर्क में आने से उनके कई परिजन भी कोरोना संक्रमित हो जाते हैं। आज हर देशवासी को चाहिये की
सरकार द्धारा जारी एडवाइजरी का कड़ाई से पालन करें।
राजनीतिक दलों के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को भी अपने घरो से बाहर निकलकर लोगों का मनोबल बढ़ाना
चाहिये व जरूरतमंद लागों की खुलकर मदद करनी चाहिये। जनप्रतिनिधियों के सक्रिय होने से चिकित्सा कर्मियों व
पुलिस दलों पर हमले की घटनायें भी बंद हो जायेगी। अपने साथ जनप्रतिनिधियों को पाकर लोगों का मनाबल
बढ़ेगा। राजस्थान सरकार के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट व पर्यटन मंत्री महाराजा विश्वेन्द्र सिंह प्रारम्भ से ही
अपने निर्वाचन क्षेत्र में रहकर लागों की हर सम्भव मदद करने में लगे हैं। पर्यटन मंत्री महाराजा विश्वेन्द्र सिंह तो
प्रतिदिन भरतपुर जिले के कई गांवो में जाकर लोगों से मिल कर उनकी समस्याओं का समधधान भी करवा रहें हैं।

जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। ऐसा ही अन्य जनप्रतिनिधियों को भी करना चाहिये। ताकि हर जगह व्यवस्था
सुचारू बन सके।


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