अर्पित गुप्ता
अनलॉक-1 के बीच देश में बढ़ रहे कोरोना के मरीजों की संख्या के बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने
बड़ी सुखद खबर दी है। संस्थान का दावा है कि देश में अब तक 0.73 फीसदी आबादी ही कोरोना वायरस से
संक्रमित हुई है। सबसे अच्छी बात यह है कि यहां कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर भी दुनिया में सबसे कम है।
महानिदेशक बलराम भार्गव ने सिरो सर्वे के नतीजों की जानकारी दी और कहा कि भारत में प्रति लाख आबादी के
हिसाब से कोविड-19 मरीजों की संख्या और मृत्यु की दर दुनिया में सबसे कम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान
परिषद की तरफ से आई खुशखबर घबराहट थोड़ी कम करने के लिए जरूर है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं
है कि हम बेफिक्र होकर बैठ जाएं। संस्थान ने यह भी कहा कि हमारी बड़ी आबादी अब भी खतरे में है, इसलिए
संक्रमण तेजी से फैल सकता है। ऐसे में हमें इलाज और दवाइयों के इतर बचाव की सारी सावधानियां बरतने पर
जोर देना होगा।
शहरों के स्लम एरिया में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। सरकारों को स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू करना
होगा। उन्होंने कहा कि कंटेनमेंट जोन में संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा पाया गया है। सरकार कोरोना से लडऩे के
हर कदम उठा रही है, लेकिन ये प्रयास तभी फलीभूत होंगे, जब नागरिक स्वयं तकलीफ सहने की हद तक
सतर्कता बरतेंगे। मानव व्यवहार के कई अध्ययनों के अनुसार ग्रामीण भारत में हर चौथा व्यक्ति बच्चों को खिलाने
से पहले हाथ नहीं धोता। गरीबी की वजह से साबुन का इस्तेमाल न करना और बीमारी के लक्षण छिपाना, ताकि
रोजी-रोटी के लिए बाहर निकलने पर रोक न लगे। स्वच्छता-शून्य गंदी बस्तियों का जीवन इस चरण में देश को
बेहद खतरनाक मोड़ पर ला चुका है। इस चरण में बीमारी का प्रसार बेहद तेजी से होता है। भारत के तमाम राज्यों
में हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की भारी कमी है। दूसरे चरण में कोरोना के प्रसार की रफ्तार का अंदाजा
इस बात से लगाया जा सकता है कि हर तीसरे दिन मरीजों की संख्या दूनी हो जाती है। जिन देशों में संक्रमण
चरम पर है, वहां इसी दौर में जबरदस्त प्रसार देखा गया है।
बड़े देशों में शुरुआती दौर में यह धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन दूसरे चरण में प्रसार बेहद तेज हो जाता है। छोटे से
इटली ने लॉकडाउन (हर गतिविधि पर रोक लगाकर घर से बाहर न निकलने के आदेश) नीति अपनाई और आज
वहां कोरोना प्रसार लगभग रुकने लगा है, लेकिन भारत में बड़ा भू-भाग और लोगों की आदतन स्वच्छता के प्रति
असंवेदनशीलता इसके आड़े आ सकती है। साथ ही गरीबी में रोज कमाकर जीवनयापन करने की स्थिति के कारण
यहां लॉकडाउन लागू करना आसान नहीं है।
फिर भारत में कोरोना के मामले अब जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वे हालात की गंभीरता को बताने के लिए काफी हैं।
देश का शायद ही कोई राज्य ऐसा बचा होगा जहां से कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मिलने की खबर न आ रही हो।
कश्मीर से लेकर केरल तक और गुजरात से पश्चिम बंगाल और असम तक में कोरोना संक्रमित मरीजों का बढ़ता
ग्राफ चिंता पैदा करता है। सबसे ज्यादा खराब हालात तो महाराष्ट्र में है जहां संक्रमित लोगों की तादाद तेजी से बढ़
रही है। सरकार लोगों जागरूक कर रही है, मीडिया के माध्यम से जानकारियां दे रही है, हाथ धोने से लेकर मास्क
पहनने जैसी अपील कर रही है, इसके बावजूद लोग लापरवाही बरत रहे हैं और इसका सीधा असर यह हो रहा है
कि महामारी को फैलने से रोकने के जरूरी कदम बेकार साबित हो रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि जो
लोग या जिनके परिजन विदेश से लौटे हैं, वे इस बात को छिपा रहे हैं, ताकि उन्हें पकड़ न लिया जाए। इसमें
कोई संदेह नहीं कि कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है। लेकिन जब बचाव के उपाय नहीं किए जाएंगे और
लापरवाही बरती जाएगी तो यह वायरस दूसरे लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा, यह समझने की जरूरत है। कोरेाना
से लड़ाई सरकार और जनता दोनों की है, जब एक भी गंभीर नहीं होगा, महामारी का खतरा बढ़ता जाएगा।