कोरोना वायरस नया वैरिएंटकोविड 19डेल्टा प्लस , फ़ैलने से पहले सावधानी जरुरी

asiakhabar.com | June 29, 2021 | 6:09 pm IST

शिशिर गुप्ता

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से देश अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाया है कि कोरोना वायरस के एक नए
वैरिएंट ‘डेल्टा-प्लस’ ने फिर से आशंका बढ़ा दी है। वायरस की यह नई किस्म डेल्टा वायरस में म्यूटेशन के बाद
सामने आई है। इसी डेल्टा वायरस (बी.1.617.2) को भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लहर के लिए जिम्मेदार
माना गया है। कहा जा रहा है कि डेल्टा वायरस की स्पाइक प्रोटीन ‘के417एन’ में उत्परिवर्तन के कारण डेल्टा
वायरस का नया रूप ‘डेल्टा प्लस’ सामने आया है। इसे एवाई.1 या फिर बी.1.617.2.1 के नाम से भी जाना जा
रहा है।
काबिलेगौर है कि स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इस तरह अगर
‘खान सर’ की चलताऊ भाषा में इसको समझने-समझाने का प्रयास किया जाए तो यूं कहा जा सकता है कि जिस्म
की तालाबंद कोशिकाओं को खोलने के लिए अब यह नई चाबी के साथ आया है। अलबत्ता यह देखने वाली बात

होगी कि नया वेरिएंट डेल्टा प्लस इसमें कितना सफल होगा। इसी से इसके अधिक या कम संक्रामक होने के बारे
में पता चलेगा।
आरंभिक अध्ययनों में यह बात जरूर सामने आई है कि यह वेरिएंट कोरोना के इलाज के लिए भारत में हाल ही में
स्वीकृत मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज थेरैपी रोधी है। यानी डेल्टा प्लस वायरस पर कासिरिविमैब और इम्डिविमैब दवाओं
के कॉकटेल को बेअसर माना जा रहा है। यह थोड़ी मायूसी की बात जरूर है लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं है
कि नया वेरिएंट डेल्टा प्लस अधिक संक्रामक या भयावह है। इससे अब तक कारगर समझी जा रही इस कॉकटेल
एंटीबॉडी थेरैपी को झटका लगा है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इसी डेल्टा प्लस वायरस के कारण
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की है। अच्छी बात यह है कि इसको लेकर महाराष्ट्र सरकार ने अभी से
तैयारियां करने का दावा किया है। तीसरी लहर के लिए सरकारों के साथ-साथ आमजन को भी सजग रहना चाहिए।
संतोषजनक यह है कि इन आशंकाओं का अभी कोई आधार नहीं है। आगे होने वाले अध्यनों और डेटा के आधार
पर ही डेल्टा प्लस की गंभीरता का पता चलेगा।
भारत में डेल्टा प्लस से पहली मौत उज्जैन में हुई जबकि महाराष्ट्र के रत्नागिरी और जलगांव, केरल के पलकूड
और पठानमथिट्टा, मध्य प्रदेश के भोपाल और शिवपुरी जिले से एकत्र किए गए नमूनों में जीनोम सिम्बेंस में ये
वायरस पाए गए हैं। हालांकि भारत में अभी इसके 40 मामले ही मिले हैं। भारत उन नौ देशों में शामिल है जहां
डेल्टा पल्स संस्करण का पता चला है। ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल,
चीन और रूस में वैरिएंट का पता चला है।
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने डेल्टा पल्स वैरिएंट की तीन विशेषताओं की पहचान की है। पहला है इसका तेजी से
संचार होना, दूसरा इसका फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स से मजबूती से चिपका होना और तीसरा मोनोक्लीनल
एंटीबाडी प्रतिक्रिया में सम्भावित कमी होना। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि डेल्टा प्लस
वैरिएंट की तीसरी लहर का कारण बन सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर की शुरूआत हो चुकी
है। भारतीय वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के अब तक के अनुसंधान में पाया गया है कि वैक्सीन इस वैरिएंट पर भी
कारगर है। नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयासों से देश में वैक्सीनेशन का महाअभियान शुरू हो चुका है और एक दिन में
84 लाख टीके लगाकर वैक्सीनेशन में रिकार्ड कायम किया जा चुका है।
महामारी का खतरा अभी टला नहीं है। दूसरी लहर की भयावहता कम भी हुई है। अब ज्यादा चिंता तीसरी लहर के
खतरे को लेकर है। इसलिए हर स्तर पर पुख्ता तैयारियों की जरूरत है। सरकार ने एक दिन में रोजाना एक करोड़
लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य रखा है। इसमें किस राज्य का कितना योगदान है, इस पर सियासत शुरू हो चुकी
है। इस समय जरूरत है कि सभी राज्य को वैक्सीनेशन अभियान को महत्वपूर्ण मानते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
वैक्सीनेशन की गति किसी भी हालत में मंद नहीं पड़नी चाहिए।
जिन राज्यों में डेल्टा प्लस के वैरिएंट पाए गए हैं, उन राज्यों को तत्काल कदम उठाने होंगे, जिनमें भीड़ को रोकना
और लोगों को आपस में मिलने से रोकना, व्यापक परीक्षण, शीघ्र ट्रेसिंग के साथ-साथ वैक्सीन कवरेज को
प्राथमिकता के आधार पर करना। राज्य सरकारों ने ऐसी सारी कवायद की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य सरकारों को
यह भी देखना होगा कि उसके निर्देश जमीनी स्तर पर लागू हो रहे हैं या नहीं। सरकारी कवायद के अलावा हर
भारतीय को बार-बार याद दिलाना होगा कि वायरस के खिलाफ जंग लड़ना और जीतना अकेले सरकार के बूते की
बात नहीं। यह लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब एक-एक नागरिक पूरी जागरूकता, सावधानी से इसमें भागीदारी
करे। आम लोग एक तो टीके के प्रति कोई उदासीनता नहीं रखें और टीका लगवाने के बाद भी किसी भी तरह की
लापरवाही नहीं बरतें। अनलॉक होते ही महानगरों और शहरों में जो दृश्य सामने आए हैं, वह काफी चिंताजनक हैं।
भारत में कोरोना केसों में गिरावट काफी नाटकीय रही है। शहरी और ग्रामीण भारत में दोनों में एक वास्तविक
गिरावट तो है। लहर की कोई सख्त परिभाषा है ही नहीं। यह कैसे और कब समाप्त हो सकती है। पॉजिविटी रेट

घटने का मतलब कभी नहीं लगाया जा सकता कि मामले बढ़ेंगे नहीं। जिस प्रकार से वायरस अपना रूप बदल रहा
है, यह कभी भी संक्रमण को बढ़ा सकता है। जो कुछ भी करना है, उसे सावधानीपूर्वक किया जाए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *