अर्पित गुप्ता
लॉकडाउन के 61 दिनों के बाद देश का आसमान खोला गया है। अर्थव्यवस्था के मद्देनजर यह बेहद जरूरी भी था,
क्योंकि राजस्व का एक मोटा हिस्सा हमारी घरेलू विमान सेवाओं से ही आता है। लॉकडाउन के कारण नागर
विमानन क्षेत्र को करीब 25,000 करोड़ रुपए का घाटा झेलना पड़ा है। आखिर तालाबंदी कब तक संभव है?
सोमवार से देश के आसमान में घरेलू उड़ानों ने अपने पंख पसार दिए। करीब 1000 उड़ानों का संचालन एक ही
दिन में हुआ, लेकिन इस देशव्यापी गतिविधि पर भी हिंदुस्तान एक नहीं रह सका। हालांकि जो शुरुआती आपत्तियां
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु राज्यों ने जताई थीं, वे किसी भी तरह घुल गईं और विमान सेवाएं वहां भी जारी
रहीं। बेशक महाराष्ट्र ने 50 उड़ानें प्रतिदिन की ही स्वीकृति दी है, लेकिन उड़ानें मुंबई पहुंची हैं और कोरोना के
मद्देनजर तमाम औपचारिकताएं निभाई गईं। मुंबई में ही औसतन करीब 27,000 उड़ानों की रोजाना आवाजाही
होती रही है, लिहाजा राज्य सरकार से राजस्व के नुकसान का आकलन किया जा सकता है। कोरोना वैश्विक
महामारी के बढ़ते फैलाव के बावजूद घरेलू उड़ानों का निर्णय लेना पड़ा और उसमें इन राज्य सरकारों की भी सहमत
भूमिका थी। केंद्र सरकार के स्तर पर आपसी सामंजस्य की पहल होती रही है। दरअसल सवाल यह है कि क्या
संघीय ढांचे की परिभाषा सिर्फ यही रह गई है कि केंद्र के नीतिगत फैसलों का विरोध किया जाए? या रोड़ा अटका
कर ऐसी राष्ट्रीय सेवाओं को अवरुद्ध किया जाए? कोरोना वायरस का संकट महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों के
कारण भी गहराया है, क्योंकि एक-तिहाई से अधिक संक्रमण इन राज्यों ने ही दिया है। महाराष्ट्र में कोरोना
संक्रमितों की संख्या 50 हजार को पार कर गई है, नतीजतन बीते एक सप्ताह के दौरान कोरोना संक्रमण में
लगातार बढ़ोतरी हुई है। भारत सरकार के आईसीएमआर का शोधात्मक आकलन है कि 23 मई तक कोरोना
वायरस करीब सात फीसदी की दर से बढ़ा है। रविवार-सोमवार की सुबह के बीच 24 घंटों में 6977 नए मरीज
सामने आए हैं, लिहाजा कुल मरीज 1,38,845 हो गए हैं। संक्रमण के इन बढ़ते आंकड़ों में महाराष्ट्र की भागीदारी
भी है। सवाल यह भी है कि मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी ही नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक राजधानी भी है। विश्व
में बड़े स्तर पर कारोबार, उद्योग, पर्यटन, आर्थिक लेन-देन आदि की गतिविधियां मुंबई में ही ज्यादातर होती रही
हैं। कई मुख्यालय मुंबई में हैं। मुंबई ने करीब 24 फीसदी कोरोना संक्रमित मामले भी देश को दिए हैं। देश ने उन्हें
स्वीकार किया और झेला भी है। और फिर अभी तो घरेलू उड़ानों का एक-तिहाई हिस्सा ही खोला गया है। महाराष्ट्र
सरकार कोरोना के रेड जोन के आधार पर ही केंद्र सरकार के विशेषाधिकार का विरोध नहीं कर सकती। पश्चिम
बंगाल ने हाल ही में विध्वंसक चक्रवाती तूफान के थपेड़े सहे हैं, उसके बावजूद राज्य सरकार ने 30 मई से घरेलू
उड़ानें शुरू करने की घोषणा की है। इसके अलावा कुछ राज्यों की भूमिका क्वारंटीन के संदर्भ में तय की गई है।
उसमें भी विपक्ष की सरकारें-पंजाब, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और केरल-रखी गई हैं। उन्हें तो उड़ानें शुरू करने पर कोई
आपत्ति नहीं है। केंद्र सरकार इस चरण के बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को खोलने पर विचार करेगी। क्या ऐसे कुछ
राज्य उनका भी विरोध करेंगे? तो फिर राजस्व कहां से आएगा और अर्थव्यवस्था कैसे दुरुस्त हो सकेगी? गौरतलब
तो यह है कि महाराष्ट्र सरकार की घटक एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार मांग करते रहे हैं कि अब मुंबई में लोकल
टे्रन नए सिरे से खोलने पर विचार किया जाए। उसमें लाखों की भीड़ हररोज यात्रा करती है। विमान में तो चुनींदा
लोग ही यात्रा करते हैं और उनमें भी सामाजिक दूरी निश्चित की गई है। सवाल है कि विमान यात्रियों से कोरोना
वायरस फैलने का डर है या मुंबई की विभिन्न जगहों पर जमा असीमित भीड़ यह संक्रमण तय कर सकती है?
अभी तो रेल, बस और विमान तथा निजी वाहनों का संचालन बेहद सीमित है या आंशिक है। जब पूरा देश पूरी
शिद्दत के साथ अपने पंख पसारने लगेगा, तो ऐसी सरकारों की सोच क्या होगी, देश इसका आकलन भली-भांति
कर सकता है।