विकास गुप्ता
दुनिया में कोरोना संक्रमितों की तादाद एक करोड़ से ऊपर निकल चुकी है और पांच लाख से ज्यादा लोग इस
महामारी से मारे जा चुके हैं। इनमें से एक चौथाई मौतें अकेले अमेरिका में हुई हैं। जाहिर है, कोरोना का कहर अभी
थमा नहीं है। ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि महामारी विशेषज्ञ इसके दूसरे दौर की भविष्यवाणी रहे हैं। जो
हालात हैं, उनसे तो लग रहा है कि इस महामारी से जल्द मुक्ति मिलने के आसार नहीं हैं। आंकड़ों का बढऩा इस
बात का प्रमाण है कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का फैलना जारी है।
अमेरिका के फ्लोरिडा में एक दिन में संक्रमितों की संख्या में रिकार्ड तोड़ बढ़ोतरी होने के बाद विश्व स्वास्थ्य
संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस एडहेनम गेब्रयेसस ने आगाह किया है कि कोविड-19 महामारी की स्थिति
और भी खतरनाक होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी कुछ समय तक जनजीवन पहले की तरह सामान्य नहीं
हो पाएंगी। गेब्रयेसस ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निकट भविष्य में पहले की तरह सब कुछ
सामान्य होना मुश्किल है। इस बीच डब्ल्यूएचओ के दो विशेषज्ञ महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन
गए हुए हैं। मध्य चीन के वुहान शहर में इस वायरस का पहली बार पता चला था। बीजिंग जांच की अनुमति देने
के लिए तैयार नहीं था, लेकिन डब्ल्यूएचओ द्वारा बुलाए गए देशों के विरोध के बाद वह तैयार हो गया। अब जांच
के बाद ही सच्चाई पता चल पाएगी।
कोरोना संक्रमण के प्रसार की गति को धीमी करने के लिए दुनियाभर में पहले और एकमात्र उपाय के तौर पर
लॉकडाउन का कदम उठाया गया। लेकिन जो हकीकत अब देखने को मिल रही है, उससे तो लग रहा है कि
लॉकडाउन जैसा उपाय भी कोरोना की रफ्तार कम कर पाने में उम्मीद के मुताबिक ज्यादा कामयाब नहीं हुआ।
इसकी एक वजह इसे लागू करने के समय और तरीकों और नागरिकों की भूमिका भी रही है। अमेरिका इसका
उदाहरण है, जहां लॉकडाउन को लेकर राष्ट्रपति और राज्यों के बीच विवाद बना रहा।
दक्षिण अफ्रीका में पूरे दो महीने तक बंद रखा गया, लेकिन आर्थिक मजबूरियों के कारण अब लॉकडाउन हटा दी
गई और अब वहां हालात बेकाबू हो रहे हैं। इसी तरह एशियाई देशों में रोजाना हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं।
नेपाल में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सिंगापुर और इंडोनेशिया में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। चीन में दोबारा
से कई शहरों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। जहां तक बात अमेरिका की है, तो वहां एक दिन में 44 हजार
मामले सामने आए हैं। भारत में यह आंकड़ा बीस हजार को पार कर चुका है।
पूरी दुनिया के सामने अभी सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर कोरोना से निपटा कैसे जाए। अमेरिका सहित
कई देशों ने अपने यहां दवाएं बनाने का दावा तो किया है, लेकिन ये सब परीक्षण के दौर में ही हैं। डब्ल्यूएचओ ने
भी अगले साल के मध्य तक इसका टीका आने की बात कही है। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को ऐसे संकट में
भी डाल दिया है जिसके गंभीर सामाजिक और आर्थिक परिणाम जल्दी ही देखने को मिलेंगे। कई देशों की
अर्थव्यवस्था तो एकदम चौपट हो चुकी है।
करोड़ों लोग अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से घिरने लगे हैं। यह संकट दुनिया की सभी सरकारों के सामने है।
कोरोना महामारी से यह तो साफ हो गया है कि दुनिया में ऐसी आपदा अब बार-बार दस्तक दे सकती है। इसलिए
यह वक्त कोरोना से लडऩे के साथ ही ऐसी रणनीतियां बनाने और स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने का भी है
जिससे हम ऐसे मुश्किलों का सामना आसानी से कर सकें।