विकास गुप्ता
भारत सहित पूरी दुनिया में फैली वैश्विक बीमारी कोरोना वायरस संक्रमण में भगवान बुद्ध के विचार आज सत्य
साबित हो रहे हैं। बुद्ध के विचारों की प्रासंगिता यहां सिद्ध हो रही है। भगवान बुद्ध ने उस समय जो कहा, आज
वह पूर्णता: सही साबित हो रहा है। उनका मानवता का संदेश हमारी राय में दुनियाभर में मिशाल बन चुका है।
आज जिस तरह से पूरी दुनिया इस बीमारी को लेकर परेशान है ऐसे समय में भगवान बुद्ध के बताये रास्ते पर
चलकर हम इसे मात दे सकते हैं। लेकिन हमें अपने हृदय में पतितों को स्थान देना होगा। उनकी सेवा ही नारायण
सेवा है। तब जाकर हम इस बीमारी पर पूर्णता: विजय पा सकेंगे। यह मेरा पाठकों से और बुद्ध के मानने वालों से
आग्रह है।
आपको बता दें कि उस काल में भगवान बुद्ध के अनुयायियों की संख्या बढ़ती जा रही थी। एक स्थान से दूसरे
स्थान पर जाते समय उनके कुछ अनुयायी साथ में चलते थे, तो कुछ ज्ञान प्राप्त करके प्रसार के लिए रुक जाते
या वापस हो जाते थे। उनके शिष्यों को उनसे वार्तालाप की पूरी छूट रहती थी। इसी छूट का लाभ उठाते हुए एक
दिन एक शिष्य ने उनसे कहा, 'हे महात्मा, आप इस धरती के सबसे बड़े उपदेशक हैं।’ बुद्ध पर शिष्य की प्रशंसा
का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने उल्टे उससे पूछा, 'क्या वह इस धरती के सभी उपदेशकों को जानते हैं?’ 'नहीं,
मैं नहीं जानता हूं।’ शिष्य ने उत्तर दिया। बुद्ध ने आगे पूछा, 'क्या आप उनके उपदेशों को जानते हैं।’ इस बार भी
शिष्य का उत्तर 'नहीं’ था। इसे सुनकर महात्मा बुद्ध ने कहा, 'उपदेशकों तथा उपदेशों के ज्ञान के अभाव में मुझे
इस धरती का सबसे बड़ा उपदेशक कहना तो मूर्खता है।’ शिष्य ने शर्मिंदा होकर कहा, 'मैंने तो आपकी प्रशंसा
इसलिए की, क्योंकि आपके उपदेश मेरे लिए उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।’ इस पर बुद्ध ने उसे समझाया कि यदि
उपदेशों से सहायता मिल रही है, तो उन्हें जीवन में उतारकर दूसरों के दु:खों को दूर करो। प्रशंसा में व्यर्थ समय
नष्ट मत करो। महात्मा बुद्ध बोले, 'संसार के दूसरे महात्माओं और उनके उपदेशों की निंदा मत करो। मानवता की
सेवा का यह उनका अपना तरीका था। हम जो कहते हैं, उसका प्रभाव लोगों पर कभी पड़ता है तो कभी नहीं पड़ता
है। मगर हम जो करते हैं, उसका प्रभाव लोगों पर हमारे कहने से कहीं अधिक पड़ता है।’ इस प्रकार बुद्ध ने अपने
अनुयायियों को ज्ञान दिया कि पहले वे दूसरों के प्रति दयालु बनें, सभी का सम्मान करें और उपदेशों की बजाय
अपने कर्म से लोगों की मदद करें। मेरी भी यही राय है कि उस समय कहे गए महात्मा बुद्ध के वचनों से हमेें
प्रेरणा लेनी चाहिये और आज विश्व में फैली वैश्विक बीमारी कोरोना वायरस संक्रमण काल में पीडि़तों की मदद और
जीवन की रक्षा करके अपने जीवन को धन्य करें। यही उद्देश्य हमारा होना चाहिए ना कि लोगों की प्रशंसा। मेरी
राय में यही मानव का सच्चा धर्म है। क्योंकि यह समय किसी की प्रशंसा का नहीं बल्कि जो पीडि़त हैं उनकी मदद
कर उन्हें इस संकट से उबारना ही सच्ची मानव सेवा है। लेकिन आज मैं देख रहा हूं किस तरह से कुछ चुनिंदा
राजनीतिक अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर एक -दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। यह शर्म की बात है।
राजनीति अगर राजनीति के समय की जाये वह वाजिब है, लेकिन जब इतना बड़ा संकट आया हो, यह इन्हे शोभा
नहीं देता है। मैं कहना चाहूंगा कि यह राजनीतिक लोग महात्मा बुद्ध के जीवन से सीख लेकर अपने आचरण में
उतारकर जनता के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। इसमें उनकी भी भलाई है और देश को भी इस संकट से उबारने में
मदद मिलेगी।