विकास गुप्ता
इस समय पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से ग्रस्त है। विश्व के बड़े शक्तिशाली व विकसित देश भी
इस महामारी के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। ऐसी परिस्थिति में मानव को अपना गांव याद आ रहा है। आधुनिकता
की अंधी दौड़ में लीन मानव गांव की ओर आने के लिए उतारू है। शायद इस जानलेवा महामारी के बीच में मानव
को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यदि वह अपने गांव में पहुंच गया तो वह इस वैश्विक महामारी से अपने आप को
बचा पाएगा। ऐसे में ग्रामीण परिवेश की सुख-सुविधाओं, पर्यावरण, वन्यजीव, पक्षियों इत्यादि का स्मरण स्वतः ही
हो जाता है। इस महामारी के बीच में ही 5 जून 2020 का दिन आया जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप
में मनाया जाता है। मानव जीवन के ऊपर आए इस संकट की उपज के कारणों तथा भविष्य के लिए उत्पन्न हुए
संकट पर वार्तालाप करना समय की मांग बन चुका है। कोरोना वायरस से देश की जनता को बचाने के लिए
लॉकडाउन व कर्फ्यू जैसे कारगर तरीके को अपनाना पड़ा, जिसके कारण मानव-जीवन की विभिन्न गतिविधियां
प्रभावित हुईं। लेकिन प्रकृति को बड़ी राहत मिली। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे दृश्य देखने को मिले जो कि
इतिहास के पन्नों में ही समा चुके थे। पंजाब के जालंधर क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश के धौलाधार की तस्वीरें साफ
दिखने लगीं। देश के विभिन्न भागों में वन्य प्राणियों, पक्षियों के अद्भुत झुंड सड़कों पर चलते दिखे, वहीं देश की
राजधानी दिल्ली जैसे अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले प्रदेश में भी स्वच्छता का दीदार संभव हो पाया। वहीं, गंगा
नदी, जिस पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही थी, लॉकडाउन के दौरान उसकी जलधारा भी स्वच्छ दिखी। ऐसे
परिप्रेक्ष्य में इस वर्ष के पर्यावरण दिवस को सेलिब्रेट करने का औचित्य अपने आप में विशेष है। इस दिवस को
मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु
वर्ष 1972 में की थी। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। लोगों को पर्यावरण के प्रति
जागरूक और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से हर साल पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। धरती पर लगातार बेकाबू
होते जा रहे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसे कारणों के चलते ‘वर्ल्ड एन्वायरनमेंट डे’ की शुरुआत हुई थी। हर वर्ष
एक नए थीम के साथ पर्यावरण दिवस को मनाया जाता है। वर्ष 2020 में मनाए जाने वाले पर्यावरण दिवस का
थीम है ‘प्रकृति के लिए समय’। इसका मकसद पृथ्वी और मानव विकास पर जीवन का समर्थन करने वाले
आवश्यक बुनियादी ढांचे को प्रदान करने पर ध्यान देना है। शायद कोरोना वायरस के काल में प्रकृति के साथ समय
व्यतीत करने का मानव को काफी लंबे समय के बाद सुअवसर प्राप्त हुआ है। लेकिन आज का मानव डिजिटल
प्लेटफार्म पर अपने आप को सजग व सुरक्षित महसूस पाता है। ऐसे में शायद इस वर्ष का पर्यावरण दिवस भी
डिजिटल दुनिया के माध्यम से ही देश व प्रदेश की अधिकतर जनता मनाएगी। कोई बुराई नहीं है कि मानव
डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से प्रकृति के उत्थान व मानव जीवन को सुगम बनाने के मार्ग को प्रशस्त करे,
लेकिन कहीं न कहीं मानव ने अपने सुखों व लालच की पूर्ति के लिए प्रकृति के साथ अनेक अन्याय किए हैं जो कि
मानव के अस्तित्व के लिए ही घातक साबित हो रहे हैं। आज का कोरोना वायरस भी मानव द्वारा प्रकृति के साथ
की गई छेड़छाड़ का ही परिणाम है। अब समय आ गया है जब हमें निरंतर पर्यावरण को बचाने का प्रयास करना
होगा। यदि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, तभी मानव धरा पर अपना जीवन-यापन सुख व समृद्धि से कर पाएगा।