कितनी कारगर ऑनलाइन एजुकेशन

asiakhabar.com | July 15, 2020 | 4:11 pm IST
View Details

शिशिर गुप्ता

लॉकडाउन के बीच सरकारी व निजी स्कूलों के लिए ऑनलाइन स्टडी ही एकमात्र सहारा था। प्रदेश में कोविड के
हिमाचल में दस्तक देते ही 24 मार्च को शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही सरकारी स्कूल
भी पूरी तरह बंद हो गए थे। ऐसे में सरकार के आदेशों के बाद समग्र शिक्षा विभाग की सहायता से शिक्षा विभाग

ने 16 अप्रैल को ‘हर घर बने पाठशाला’ की लांचिंग की। इसके तहत सरकारी स्कूलों के छात्रों की घर पर बैठकर
ऑनलाइन स्टडी शुरू करने का काम शुरू हुआ। तभी से टीवी पर भी छात्रों की ऑनलाइन स्टडी शुरू हो गई थी।
इस तरह शुरुआती दौर में ऑनलाइन पढ़ाई में प्राइवेट स्कूलों से आगे सरकारी स्कूल चल रहे थे। हालांकि 15 मई
के बाद जब स्कूलों में छुट्टियां घोषित की गईं, तो सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन स्टडी भी बंद
करवा दी गई। यानी 15 मई से लेकर अभी तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े आठ लाख छात्रों की पढ़ाई
खतरे में है। वहीं, अब निजी स्कूलों का ग्राफ ऑनलाइन स्टडी में सरकारी स्कूलों से कहीं ज्यादा आगे बढ़ गया है।
फिलहाल अब 15 मई से सरकारी स्कूलों के छात्रों की पढ़ाई राम भरोसे है। हालांकि इस बीच जनजातीय क्षेत्रों के
सरकारी स्कूलों के शिक्षक जरूर आगे आ रहे हैं। उन्होंने लॉकडाउन के बीच ऐसी मिसाल पेश की है, जिसमें घर पर
जाकर छात्रों को नोट्स भिजवाए जा रहे हैं।
अगर बात करें की लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन स्टडी छात्रों के लिए कितनी फायदेमंद रही, तो इसका जवाब यही
रहेगा कि कहीं न कहीं ऑनलाइन माध्यम ही था, जिसने छात्रों को उनकी पढ़ाई के साथ जोड़े रखा। सरकार का
तर्क है कि ऑनलाइन स्टडी पर्मानेंट सॉल्यूशन नहीं है। हालांकि फिर भी सरकार व शिक्षा विभाग का दावा है कि
आने वाले समय में ऑनलाइन स्टडी को और भी बेहतर बनाया जाएगा, वहीं इंटरनेट समस्या भी दूर की जाएगी।
प्रयास किया जाएगा कि हर छात्र को आगामी दिनों में भी ऑनलाइन स्टडी के साथ जोड़ा जाए। सरकार व शिक्षा
विभाग की योजना है कि स्कूलों में बनाई गई आईसीटी लैब का इस्तेमाल ऑनलाइन पढ़ाई को सफल बनाने के
लिए किया जाएगा।
सरकारी संस्थानों में छुट्टियों के बाद सब बंद
15 मई के बाद स्कूल-कालेजों में अवकाश घोषित होने के बाद सरकारी संस्थानों में ऑनलाइन स्टडी नहीं चल रही।
विभागीय जानकारी के अनुसार राज्य के 500 सरकारी स्कूल ऐसे होंगे, जहां कुछेक शिक्षक ही व्हाट्सऐप के जरिए
छात्रों को पढ़ा रहे होंगे। दरअसल पहले 70 प्रतिशत छात्र ऑनलाइन स्टडी से जुड़ गए थे, लेकिन छुट्टियां घोषित
होने के बाद यह ग्राफ बहुत नीचे आ गया है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 15 मई से पहले जब सरकारी
स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी, तो उस समय 96 प्रतिशत शिक्षकों ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से छात्रों को
पढ़ाना शुरू किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने छुट्टियों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाना जरूरी नहीं किया, तो उसके
बाद शिक्षकों ने छात्रों से ऑनलाइन पढ़ाई से किनारा कर दिया।
यूनिवर्सिटी कालेज में ऑनलाइन शिक्षा नहीं
कालेज व यूनिवर्सिटी की बात करें, तो 129 डिग्री कालेजों में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य नहीं की गई है। ऐसे में
ऑनलाइन स्टडी कालेजों में तो बिल्कुल ही ठप है। इसी तरह विश्वविद्यालय में भी शिक्षक अपने लेवल पर छात्रों
से व्हाट्सऐप व ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अपने लेवल पर पढ़ा रहे हैं। सरकार की ओर से किसी भी तरह के
कोई सख्त आदेश जारी नहीं हुए हैं कि विश्वद्यिलय के छात्रों को अनिवार्यता के रूप में ऑनलाइन पढ़ाया जाए।
40 प्रतिशत छात्र पढ़ाई से कोसों दूर

शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 40 प्रतिशत छात्रों के अभिभावक ऑनलाइन स्टडी
से बिल्कुल भी नहीं जुड़े। यानी कि ये वे अभिभावक हैं, जो गरीब तबके के हैं या जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं।
वहीं, राज्य के कई ऐसे भी ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट सुविधा नहीं है। इस वजह से उन क्षेत्रों के छात्र व
अभिभावक ऑनलाइन स्टडी के बारे में कोई भी विचार तक नहीं कर रहे हैं। हालांकि 15 मई से पहले सरकारी
स्कूलों में ऑनलाइन स्टडी में साढ़े आठ लाख में से छह लाख छात्र ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से कनेक्ट होकर कक्षाएं
लगा रहे थे। निजी स्कूलों की ऑनलाइन स्टडी का भी यही हाल है, ऑनलाइन व्हाट्सऐप ग्रुप के साथ सभी
अभिभावकों को जोड़ा तो गया है, लेकिन यहां भी 60 प्रतिशत तक ही छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई तय शेड्यूल से
हो पा रही है। छोटे बच्चों की आंखें खराब न हो जाएं, इसीलिए निजी स्कूल के अभिभावक भी अपने बच्चों को
ऑनलाइन स्टडी से दूर रख रहे हैं।
कनेक्टिविटी में भी दिक्कत है…
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे भी अभिभावक हैं, जो गरीब तबके से हैं और उनके पास स्मार्टफोन तक नहीं हैं। ऐसे
में दूरदराज के क्षेत्रों के सरकारी स्कूल के छात्र ऑनलाइन स्टडी से बिल्कुल ही वंचित हैं। दिक्कतों की अगर बात
करें, तो कई छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने 24 मार्च के बाद पढ़ाई ही नहीं की है। किताबें तो हैं, लेकिन छात्रों को
पढ़ाने वाला कोई नहीं है। फिलहाल ज्यादातर सोलन, सिरमौर, चंबा, पांगी, नाहन के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी
न होने से छात्र ऑनलाइन स्टडी से वंचित रह रहे हैं।
‘समय 10 से 12 वाला, हर घर बने पाठशाला’
इस अभियान के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी विभिन्न कक्षावार व्हाट्सऐप ग्रुप से
जुड़ चुके हैं। ई-कंटेंट शेयर करने के लिए बनाई माइक्रो वेबसाइट पर भी 15 लाख से ज्यादा लोगों ने क्लिक कर
देखा है। इन कक्षाओं के विद्यार्थियों को फिलहाल व्हाट्सऐप ग्रुप और वेबसाइट से ही ई-कंटेंट भेजा जाएगा। जिन
बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उन्हें टेक्स्ट मैसेज से होमवर्क मिलेगा। इस अभियान के तहत
पहली से आठवीं कक्षा तक के करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी विभिन्न कक्षावार व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़ चुके हैं। जिन
बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उन्हें टेक्स्ट मैसेज से होमवर्क मिलेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *