हरी राम यादव
आगे मौका मिले या न मिले,
कुछ ऐसा कर जाओ यार ।
जीवन में जब आये संकट,
दुआ में उठें हाथ कई हजार।
दुआ में उठें हाथ कई हजार,
सार यही है मानव जीवन का।
जो जन ऐसा कुछ कर न सका,
उसको नहीं ज्ञान मानव तन का।
यदि हमें मिला है मानव तन,
संग में बिद्या,बल,बुद्धि, विवेक।
परमार्थ में प्रतिदिन एक काम,
यह हो जीवन का उद्देश्य नेक।।
करोगे काम परहित का तो,
रहोगे जहान में सदा जिंदा।
डूबे जो अपनों के हित में केवल,
वह भुला दिए जाते जैसे परिंदा।
वह भुला दिए जाते जैसे परिंदा,
निंदा होगी जग में चहुं ओर।
गला भर भर लोग देंगे गालियां,
और होगा, भले गया का शोर ।
काम करो कुछ ऐसा जग में,
कि न रहने पर व्यथित हों लोग।
सकल सृष्टि सदा सोचे मन में,
आपसे चाहे हो संयोग या वियोग।।