-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
काबुल हवाई अड्डे पर सैकड़ों लोगों के हताहत होने की खबर ने सारी दुनिया का दिल दहला दिया है। सबसे ज्यादा
अमेरिका की इज्जत को धक्का लगा है, क्योंकि यह हमला काबुल हवाई अड्डे पर हुआ है और काबुल हवाई अड्डा
पूरी तरह से अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में है। इस हमले में कई अमेरिकी, तालिबानी और अफगान मारे गए हैं।
अमेरिकी खुफिया विभाग की यह असाधारण असफलता है कि उसे पता ही नहीं लग पाया कि हवाई अड्डे पर इतने
बड़े दो हमले हो जाएंगे। हमले को रोकने की जिम्मेदारी उन अमेरिकी सैनिकों की थी, जो काबुल हवाई अड्डे पर
डटे हुए थे। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भयंकर गुस्सा आ गया है। वे कह रहे हैं कि वे हत्यारों को
छोड़ेंगे नहीं। उन्हें ढूंढेंगे और मारेंगे। कैसे मारेंगे ? यदि उन आतंकवादियों को मारना है तो आप 31 अगस्त को
अपने हर जवान को काबुल से हटाकर उन्हें कैसे मारेंगे ? क्या बाइडन को अब समझ में आया कि अमेरिका की
फौजी वापसी का निर्णय जल्दबाजी भरा और अपरिपक्व था। वे अपने आप को डोनाल्ड ट्रंप से अधिक चतुर सिद्ध
करने के चक्कर में इस दुख और शर्मिंदगी का सामना कर रहे हैं। अमेरिका ने पिछले दो साल में काबुल सरकार
और तालिबान के साथ सांठ-गांठ करके अपना पिंड छुड़ाने की जो रणनीति बनाई थी, वह बहुत चालाकीभरी थी
लेकिन अमेरिका के नीति-निर्माताओं ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि एक तो तालिबान कई गुटों में बंटे हुए
हैं। दूसरा, तालिबान के अलावा अफगानिस्तान में जो सबसे खतरनाक गिरोह सक्रिय हैं, वह हैं- ‘विलायते खुरासान
और इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक एंड लेवांत’। इनका सीधा संबंध ‘अल कायदा’ से भी है और पाकिस्तान की
शक्तिशाली गुप्तचर एजेंसी आईएसआई से भी है। काबुल हवाई अड्डे पर खून-खराबे के लिए यह खुरासानी गिरोह
ही जिम्मेदार है। तालिबान ने खुद उसकी भर्त्सना की है। तालिबान, खुरासानी गिरोह और पाकिस्तानी फौज की
पहले अच्छी-खासी सांठ-गांठ रही है लेकिन अब इस गिरोह ने तालिबान और पाकिस्तान की घोषणाओं पर भी पानी
फिरवा दिया है। दोनों की छवि सारे संसार में खराब हो गई है। तालिबान की इस घोषणा पर अफगान लोग कितना
विश्वास करेंगे कि उनके राज में हर अफगान सुरक्षित रहेगा। किसी को भी देश से भागने की जरुरत नहीं है। अब
तालिबान ने यह भी कह दिया है कि जो अफगान नागरिक बाहर जाना चाहें, उन्हें बाहर जाने की छूट दी जाएगी।
पिछले 10-12 दिन में उनका जोर इस बात पर था कि अफगान लोग देश छोड़कर भागें नहीं, क्योंकि सारे योग्य
लोग भाग गए तो देश कैसे चलेगा ? लेकिन काबुल हवाई अड्डे की दुर्घटना ने तालिबान को भी नरम कर दिया है।
वे अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद से भी बात कर रहे हैं। वे एक मिली-जुली सरकार बनाने की कोशिश कर
रहे हैं। आशा है कि करजई और अब्दुल्ला नजरबंद नहीं किए गए हैं। काबुल हवाई अड्डे के इस हमले की भर्त्सना
पाकिस्तान तथा लगभग सभी इस्लामी राष्ट्रों ने की है लेकिन अब वे इस खुरासानी गिरोह (आईएसकेपी) पर काबू
करने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे?