शिशिर गुप्ता
अभी तक तो अपन ने ये देखा और सुना था कि जो पार्टी सत्ता में रहती है विरोधी पार्टी के नेता सत्तारूढ़ पार्टी के
नेताओं, विधायकों, सांसदों, मंत्रियों, मुख्य मंत्रियों के पुतले जलाते है और उन पुतलों को जलने से बचाने के लिए
उस शहर की पुलिस अपनी पूरी ताकत झोंक देती है, पर विरोधी पार्टी के नेता भी बड़े ही उस्ताद होते हैं दो पुतले
लेकर आते है एक छिपा देते है और एक जलाने की कोशिश करते हैं जब तक पुलिस उस पुतले को बचाती है तब
तक वे दूसरे पुतले में आग लगा कर अपने कर्तव्य की पूर्ती कर लेते हैं, पर उज्जैन के एक सौ पचास गाँव के
किसानों ने तो गजब ही कर दिया, उन्होंने "मौसम विभाग" का पुतला जला दिया किसानो का आरोप था कि मौसम
विभाग उन्हें गलत सूचनायें देकर उनके साथ धोखा कर रहा है, अब इन किसानों को कौन समझाए कि इस वक्त
पूरी दुनिया ही धोखा धड़ी के दम पर चल रही है, "क्रेडिट कार्ड" आपके पास है तो उसमें फ्रॉड हो रहा है, बैंक में
केवायसी अपडेट करने के नाम पर लोगों से डिटेल्स लेकर उनके अकाउंट से पैसे निकालने की धोखाधड़ी चल रही
है, बड़े बड़े प्रोडक्ट के नाम पर नकली माल बनाकर उसे बेचने का फ्रॉड चल रहा है, नेता जनता को धोखा दे रहे हैं
तो जनता सरकार को धोखा दे रही है, अमीर लोग गरीब बनकर बीपीएल कार्ड बनवा कर सरकार को चूना लगा रहे
हैं तो सरकार झूठे वायदे कर जनता को धोखा देने में जुटी हुई है, चीन पूरे विश्व में कोरोना का वायरस भेज कर
अपने आप को मासूम बतला कर पूरी दुनिया को धोखा देने में जुटा हुआ है, शिल्पा शेट्टी का पति मजबूर
लड़कियों से कांट्रेक्ट साइन करवा कर उनकी नग्न फ़िल्में बनाकर उन्हें धोखा दे रहा हैl बेटा बाप के नकली
कागजात बनाकर उसकी जायजाद हड़प कर उसको धोखा दे रहा है भाई, भाई प्रोपर्टी के चक्कर में एक दूसरे को
धोखा दे रहे हैं l आशिक महबूबा का सब कुछ लूट कर किसी दूसरे से शादी कर उसको धोखा दे रहा है, यानि चारों
तरफ धोखा ही धोखा, अब ऐसे हालात में मौसम भी इन धोखे बाजों की श्रेणी में शामिल हो गया तो कौन सा
गुनाह हो गया ? अब इसमें बेचारे "मौसम विभाग" वाले करें तो क्या करें जिसको लेकर भविष्यवाणी करनी है यदि
वो ही धोखा दे जाए तो विभाग का क्या दोष, और वैसे भी मौसम का कभी कोई भरोसा तो रहा नहीं है, एक
ज़माना तो ऐसा भी था जब इंसान घर से कोट, बरसाती, छाता, गमछा और प्याज जेब में डालकर निकलता था कि
पता नहीं कब ठण्ड लगने लग जाए, कब बारिश हो जाए, और कब लू चलने लगे, ये तो उसकी फितरत ही है, देखो
न कहीं भारी बारिश आ रही है तो कंही सूखा पड़ा है, कंही हवाएं चल रही है तो कंही लू चल रही है अब ऐसे
बेईमान मौसम को लेकर मौसम विभाग क्या कहे, जितना समझ में आता है उतना बतला देता है लेकिन अपनी
किसानो को एक सलाह है कि जब मौसम विभाग वाले पानी बरसने की बात बोलें तो समझ लेना सूखा पड़ने वाला
है और जब कहें कि पानी के कोई आसार नहीं है तो समझ जाना कि भीषण बारिश आने वाली है l दूसरी बात
इतने सालों से किसान मौसम और मौसम विभाग से धोखा खा रहे हैं उसके बाद भी उस पर यकीन कर रहे हैं तो
ये तो उनकी ही भूल मानी जायेगी इसमें मौसम और मौसम विभाग का कोई दोष नहीं है , वैसे भी मौसम के बारे
में ये गाना भी बना हैं "आज मौसम बड़ा बेईमान है" इसमें आज हटाकर सिर्फ ये गाना चाहिए "ये मौसम बड़ा
बेईमान है"
ब्रिटेन में इन दिनों मोटापा घटाने का अभियान चल रहा है इसमें सरकार अपना पूरा सहयोग दे रही है, जो लोग
अपना वजन घटा रहे हैं उनको तरह तरह के उपहार कैश वाउचर रिफंड दिए जा रहे है जंक फ़ूड पर भी रोक लगाने
का विचार कर रही है सरकार l जो लोग पैदल अपने दफ्तर जा रहे है उन्हें भी इंसेंटिव दिए जा रहे हैं यानि कुल
मिलाकर वजन घटाने और मोटापे से मुक्ति दिलाने के लिए वंहा के लोग और सरकार जंग लड़ रही है l अपने देश
में ऐसा कोई फालतू का अभियान नहीं चलता, अपने यहां तो कहावत है "खाओ पियो मस्त रहो" वजन बढ़ता है तो
बढ़ने, दो चर्बी चढ़ती है तो चढ़ने दो, तोंद निकलती है तो निकलने दो और फिर क्यों न निकले, हर चौराहे हर गली
में "समोसा, कचौड़ी, चाट, पिज्जा, बर्गर, हॉट डॉग, बिक रहे है अब उन्हें देखकर कौन अपनी जीभ पर काबू रखा
सकता है उस पर रबड़ी, मिश्री मलाई, चमचम, सफेद रसगुल्ला, राजा रसगुल्ला, कमला भोग, खोबे की जलेबी,
मिल्क केक, मलाई चाप, अलग से लार बहाने में अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं, अब मोटापा बढ़ेगा नहीं तो क्या
होगा? लेकिन अपने समाज में तो मोटे को देखकर यही कहा जाता है "अच्छा खाते पीते घर का आदमी है , दुबले
पतले को देखकर ये ही मुंह से निकलता है क्या सींकिया पहलवान है, लगता है घर में खाने के लिए कुछ नहीं है l
बच्चे भी गोल मटोल ही प्यारे लगते हैं लड़की देखने जाता है जा लड़का तो उसे भी भरे बदन की लड़की पसंद
आती है, वैसे मोटे के साथ एक फ़ायदा ये भी है कि न तो घर में बीबी कोई काम के लिए कहती है और न दफ्तर
में अफसर , वे दोनों ये ही सोचते हैं कि ये मोटा जब तक उठेगा तब तक हम खुद उठकर इस काम को निबटा
देंगे, इसलिए भारत के मोटो चिंता मत करो ऐसा अभियान यंहा नहीं शुरू होने वाला l
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
एक टिकिट "मोंगा" की देना, श्रीमान जी ने रेलवे के काउंटर क्लर्क से कहा
स्टेशनों की लिस्ट में काफी देर खोजने और परेशान होने के बाद क्लर्क ने श्रीमान जी से पूछा
आखिर ये "मोंगा" है किधर
"जे तो खड़ो है" श्रीमान जी ने अपने बेटे की तरफ इशारा करते हुए बताया