संयोग गुप्ता
सोशल एंक्जाइटी डिसओर्डर, सैड यानी कि सामाजिक भय से संबंधित विकार। अमेरिका में डिप्रेशन और
एल्कोहोल अब्यूज के बाद यह तीसरी बड़ी मनोवैज्ञानिक समस्या है। यह पुरुष व महिलाओं के अलावा
बच्चों और किशोरों को एक साथ प्रभावित करता है, विशेषकर उनको जो कि अपनी सामाजिक छवि के
प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। शर्मीले और डरपोक लोगों को इस समस्या से ग्रस्त होने की अधिक
संभावना होती है। सामाजिक फोबिया या भय को शर्मीलापन नहीं कहा जा सकता। यह शर्मीलेपन की वह
चरम अवस्था होती है, जहां पीडित लोग समाज के सामने आने या किसी भी तरह की गतिविधि करने से
डरते या कतराते हैं। ऐसे लोगों को यही लगता है कि उनके द्वारा की जा रही सामाजिक गतिविधियों को
लोग नकार देंगे और उनके द्वारा किए गए कार्य सही नहीं होंगे।
नई दिल्ली स्थित तुलसी हेल्थ केयर के मनोचिकित्सक डा. गौरव गुप्ता का कहना है कि उन्हें यह चिंता
होती है कि समाज के सामने जाकर डर के मारे उन्हें पसीना आने लगेगा, वह वमन कर देंगे, घबराहट
के मारे उनके हाथ पैर फूलने लगेंगे या उनकी आवाज हकलाने लगेगी। उन्हें ऐसा भी लगता है कि
समाज के सामने आते ही वे सबकुछ भूल जाएंगे और अपनी बात या पक्ष को सही ढ़ंग से प्रस्तुत करने
के लिए उन्हें सही शब्द नहीं मिल पाएंगे। ऐसे लोग ऐसी किसी जगह पर भी जाने से कतराते हैं, जहां
उन पर थोड़ा भी ध्यान केंद्रित किया जाए।
कई पीडित सामाजिक तौर पर कुछ गतिविधियां करने से डरते हैं। जब उन्हें समाज के सामने कुछ करने
को कहा जाता है, तो वे भयभीत हो जाते हैं। ऐसे कार्य या गतिविधियां जब वे अकेले में करते हैं तो
उन्हें किसी प्रकार के डर या भय का एहसास नहीं होता है। ऐसी ही कुछ गतिविधियां या कार्य इस प्रकार
से हैं-समाज के सामने बोलना। समाज के सामने कोई भी कार्यक्रम प्रस्तुत करना जैसे कि कोई यंत्र
बजाना या चर्च में पढना। लोगों के साथ भोजन करना। किसी गवाह के समक्ष कोई भी दस्तावजे पर
हस्ताक्षर करना। सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करना। वैसे लोगों में अक्सर डर इसी बात का भी
होता है कि अगर समाज के सामने कोई भी कार्य करते वक्त वे लोगों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर
पाए तो उनकी बदनामी होगी और उन्हें सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। सामाजिक भय का निदान
करने के कुछ मापक-पीडित लोग किसी भी सामाजिक अवस्था या कार्य को करने से कतराते हैं या उन्हें
नजरअंदाज ही कर देते हैं। अगर वे किसी तरह से राजी भी होते हैं तो बेहद डरे हुए होते हैं।
पीडितों को बिना कारण ही डर लगता है। पीडितों का इस तरह से सामाजिक गतिविधियों से डरना, तनाव
आदि से वे अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली को भी दुष्प्रभावित कर लेते हैं। किसी भी सामाजिक कार्य में
भाग लेते वक्त वे इतने भयभीत हो जाते हैं कि उन्हें पैनिक अटैक भी पड़ सकता है। बच्चों में तो ऐसी
अवस्थाओं में निम्र प्रकार के लक्षण उभर सकते हैं जैसेर:-रोना, नखरे करना, कांपना, अजीब-अजीब
हरकतें करना आदि। सोशल एंक्जाइटी डिसओर्डर, सैड के कारण- हालांकि वैज्ञानिक अभी तक उन
कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं, जिनसे इस समस्या का जन्म होता है लेकिन तब भी कुछ कारणों का
अंदाजा लगाया जा सकता है जैसे-पर्यावरण संबंधी कारक- हो सकता है कि पीडितों की ये समस्या अपने
आसपास के माहौल या लोगों को देखकर उतपन्न हुई हो। इस अवस्था को आबजर्वेशनल लर्निंग या
सोश्यल माडलिंग भी कहते हैं।
प्रारंभिक नकारात्मक सामाजिक दुष्प्रभाव-
जीवन में पहले कभी सामाजिक तौर पर शर्मिंदा होना, किसी के द्वारा चिढ़ाए जाना या किसी विकार या
बीमारी के चलते लोगों द्वारा हीन दर्शाए जाने पर भी लोगों में कभी भी ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती
है। ऐमिगडेला का अत्यधिक उत्तेजित होना-यह दिमाग का वह भाग होता है जो डर को नियंत्रित करता
है।
‘पैरानाइ्ड पर्सनैलिटी डिसआर्डर’
कुछ लोग बेवजह शक के शिकार हो जाते हैं। इन लोगों का सामाजिक जीवन और कार्य क्षेत्र दोनों ही इस
असंतुलन से प्रभावित होते हैं। ऐसे व्यक्तित्व वाले लोगों को ‘पैरानोया’ कहते हैं। इन लोगों में
निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं। शक्की स्वभाव निरंतर अविश्वास की स्थिति से पैरानाइ्ड ग्रस्त रहता
है। उसे दुनिया में हमेशा असुरक्षा की भावना महसूस होती है।
ऐसे लोग हर समय अत्यधिक सजग रहते हैं और किसी भी बात पर जल्दी ही बुरा मान जाते हैं। शायद
इसी लिए ऐसे व्यक्ति अधिकतर बचाव की मुद्रा में होते हैं। गलती करने की स्थिति में भी ऐसे व्यक्ति
जल्दी दोष स्वीकार नहीं करते। इन्हें ‘तिल का ताड़’ बनाने की आदत होती है। जिद्दी और समझौता न
कर पाना तो ऐसे लोगों की आदत में शुमार है ही, ये लोग भावनात्मक रूप से भी अन्य लोगों से जल्दी
जुड़ नहीं पाते। ये अपनी दूरदर्शिता और तार्किक सोच पर गर्व करते हैं।
विभ्रम बहुत ही गहरे रूप से पैठ बनाये हुए वह सोच है जो ज्यादातर सच नहीं होता। ऐसे असंतुलन में
पांच प्रकार के थीम होते हैं। कुछ व्यक्तियों में एक से अधिक प्रकार के असंतुलन विद्यमान होते हैं।
कपड़ों में धब्बे जैसी छोटी बात भी इन्हें अपनी पत्नी के चरित्र पर लांछन लगाने के लिए उकसा सकती
है।
कारण
अनुसंधानों से पता चलता है कि पैरानाइ्ड डिसआर्डर उन लोगों में ज्यादा पाया जाता है जिनके निकट
संबंधी ‘सिजोफ्रेनिया’ से ग्रस्त होते हैं। पैरानाइ्ड डिसआर्डर या उसके कुछ लक्षण अनुवांशिकी से लोगों में
आते हैं-इसका पता नहीं चल पाया हैं। जैविक रसायन पैरानाइ्ड डिसआर्डर का एक प्रमुख कारक है,
लेकिन इसकी जानकारी अभी जनसाधारण के पास नहीं हैं।
डा. गौरव गुप्ता का कहना है कि तनावपूर्ण जिंदगी पैरानाइ्ड डिसआर्डर का एक प्रमुख कारण हो सकता
है। अप्रवासी, युद्ध बंदियों आदि में इसके लक्षण आम तौर से पाये जाते हैं। कभी-कभी ‘एक्यूट पैरानोया’
के लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं, जिस स्थिति में असंतुलन कुछ महीनों के लिए हो, दिखाई देते हैं। बींसवी
सदी में पैरानोया काफी आम हो गया है। तनाव और पैरानोया का निकट संबंध अन्य संभावनाओं को नहीं
नकारता। आनुवांशिक कारण, मानसिक असंतुलन और सूचना को संग्रहित करने की अक्षमता या उपरोक्त
तीनों कारण पैरानोया को जन्म देते हैं-तनाव सिर्फ एक कारक का काम करता है।
उपचार
इस रोग से छुटकारा पाना आसान नहीं है, लेकिन उतना भी कठिन नहीं है कि रोगी को उसके हाल पर
छोड़ दिया जाए। इस रोग के इलाज में दवा का इस्तेमाल भी होता है, लेकिन रोग को केवल दवा के
सहारे पूर्ण रूप से दूर नहीं किया जा सकता। रोगी के पूर्ण लाभ के लिए रोगी को स्वयं का प्रयास, उसके
परिवार के सदस्यों तथा उसके शुभ हितैषियों का सहयोग जरूरी होता है। वहम या शक का इलाज
लुकमान हकीम के पास भी नहीं है, अब केवल कहने की बात है। अब शक के रोग को आसानी से दूर
किया जा सकता है। शक्की स्वभाव इसके उपचार में गतिरोध उत्पन्न करते हैं। ऐसे लोग साक्षात्कार में
अनौपचारिक होने से डरते हैं। इलाज के लिए किसी रोगी का इतिहास जानना चिकित्सक के लिए जरूरी
होता है। सही दवा का प्रयोग पैरानोया के लक्षणों को दूर करने में आंशिक रूप से सहायक होता है। कुछ
कमी दूर होने के बावजूद पैरानोया के लक्षण रोगियों में बने ही रहते हैं अपने शक की सही अभिव्यक्ति
में सक्षम होने वाले रोगी समाज में सही से घुल मिल सकते हैं। ऐसे रोगियों में पैरानोया के लक्षण उतने
विनाशकारी प्रवृत्तियों को जन्म नहीं देते। आर्टथेरैपी, फैमिली थेरैपी कुछ अन्य तरीके हैं जिससे पैरानोया
बहुत हद तक दूर हो सकता है।