कश्मीर में गर्मियां हिंसक नहीं हों इसके लिए सुरक्षा बलों ने कसी कमर

asiakhabar.com | March 28, 2018 | 5:01 pm IST
View Details

अब अल-कायदा आतंकी संगठन द्वारा कश्मीर में मारे गए एक आतंकी को अपने गुट का बताने के बावजूद कश्मीर में तैनात सुरक्षा बल उन आतंकी गुटों के कदमों की आहट को नजरअंदाज करने की कोशिश में जुटे हैं जो विश्व में कहर बरपाए हुए हैं। ये संगठन अल-कायदा और आईएसआईएस हैं जिनके प्रति अधिकारी मात्र इतना कह कर बात को टालने की कोशिश करते थे कि उनके लिए आतंकी, आतंकी होता है चाहे वह किसी भी संगठन से राबता रखता हो।

इसके प्रति अब कोई शंका नहीं है कि कश्मीर एक और भयानक तथा हिंसक गर्मियों की ओर अग्रसर है। इसकी पुष्टि सुरक्षाधिकारी भी करने लगे हैं। जबकि इस आग में घी अगर आतंकी नेताओं की अपीलें डाल रही हैं तो मुठभेड़ों के दौरान आम नागरिकों व उनकी संपत्ति को पहुंचने वाली क्षति भी अपनी अहम भूमिका निभा रही है।
अनंतनाग जिले में गत सोमवार को मारे गये तीन आतंकवादियों में से एक हैदराबाद का निवासी था और ‘अंसार गत्वातुल हिंद (एजीएच)’ नामक आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ था।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक एजीएच ने अपने वेबसाइट अल नस्र पर दावा किया कि मारा गया तीसरा आतंकवादी आंध्र प्रदेश के हैदराबाद का निवासी था। उस आतंकी की अब तक आधिकारिक तौर पर पहचान नहीं की जा सकी है और उसे विदेशी आतंकवादी बताया जा रहा है।
वेबसाइट पर मारे गये तीसरे आतंकवादी का नाम मोहम्मद तौफीक उर्फ सुल्तान जबुल अल हिंदी उर्फ जर्र अल हिंदी के रुप में की गई है तथा वह 2017 में संगठन में शामिल हो गया था।
गत 12 मार्च को अनंतनाग के हाकूरा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गये तीन आतंकियों में से दो की पहले ही पहचान की जा चुकी है। इनमें एक इसा फजिली श्रीनगर के सोउरा का निवासी था जबकि दूसरा उसी जिले के कोकरनाग का निवासी सैयद शफी था।
एजीएच घाटी में 2017 में अस्तित्व में आया जब अगस्त में तीन स्थानीय आतंकवादियों को त्राल के गुलाब बाग में ढेर कर दिया गया था। इनमें त्राल निवासी जाहिद अहमद भट और मोहम्मद इशाक भट तथा पुलवामा निवासी मुहम्मद अशरफ डार मारे गए। मारे गए आतंकवादी शुरू में हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) से जुड़े थे लेकिन फिर बाद में कुख्यात आतंकी नेता जाकिर मूसा के नेतृत्व वाले एजीएच में शामिल हो गए थे।
इससे पहले आईएस ने कश्मीर में हुए दो आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली थी। पर कश्मीर पुलिस प्रमुख डीजीपी शेषपाल वैद आईएस के दावे को नकारते थे। हालांकि अल-कायदा के दावे पर वे खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। उनका कहना था कि कश्मीर में आईएस और अल-कायदा के समर्थक तो जरूर हैं पर उनमें शामिल होने वालों के प्रति अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है।
सच्चाई यह कि कश्मीर में विश्व कुख्यात आतंकी संगठनों के कदमों की आहट सुनी जाने लगी है पर सुरक्षा बल अभी भी उन्हें कमतर आंकने की गलती कर रहे हैं। एक रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, ऐसी ही गलती 1990 के दशक में विदेशी आतंकियों के कश्मीर में आने की खबरों के प्रति की गई थी और आज नतीजा यह है कि कश्मीर में एक समय विदेशी आतंकियों की संख्या का प्रतिशत 90 तक पहुंच गया था।
यह बात अलग है कि सर्वदलीय हुर्रियत कांफ्रेंस के घटक दल अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे संगठनों से दूरी बनाने की कोशिश में जरूर जुटे हुए हैं। दरअसल वे इस सच्चाई से रूबरू हैं कि अगर उन्होंने अपना नाम ऐसे आतंकी गुटों के साथ जोड़ा तो उनका तथाकथित आजादी का आंदोलन बदनाम हो जाएगा और वे विश्व समुदाय से मिलने वाले समर्थन को खो देंगें।
चाहे अधिकारी इसे सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं करते लेकिन हिंसक गर्मियों से निपटने की तैयारियां इसकी पुष्टि करती हैं। पत्थरबाजों से निपटने को की जाने वाली तैयारियों में लाखों की संख्या में पैलेट गन के छर्रों की आपूर्ति और हजारों की संख्या में पैलेट गनें कश्मीर के प्रत्येक जिले में पहुंचाने की कवायद परिदृश्य को जरूर स्पष्ट करती हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के हजारों जवानों के साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों को भी पत्थरबाजों, हिंसा फैलाने तथा आईएस व पाकिस्तानी झंडे फहराने वालों से निपटने को दिया जा रहा प्रशिक्षण जोरों पर है। इस प्रशिक्षण में अब उन पैट्रोल बमों से निपटने के तरीकों की भी ट्रेनिंग शामिल की गई है जिनका इस्तेमाल कश्मीरी प्रदर्शनकारी हिंसा के दौरान करने लगे हैं।
अधिकारियों के बकौल, थोड़े दिन पहले कई आतंकी कमांडरों द्वारा द्वारा जारी वे वीडियो कश्मीर में गर्मियों के हिंसक होने का स्पष्ट संकेत है जिसमें उन्होंने कश्मीरियों से इस्लाम के नाम पर पत्थर फैंकने की अपील की है। अधिकारी कहते हैं कि आतंकी नेता जानते हैं कि धर्म के नाम पर लोगों को आसानी से भड़काया व बरगलाया जा सकता है। ऐसे में सुरक्षा बल गर्मियों को लेकर कोई ढील बरतने के लिए तैयार नहीं हैं।
हालांकि वे इसे भी मानते हैं कि मुठभेड़ों के दौरान कश्मीरियों के घरों को कथित तौर पर पूरी तरह से तबाह करने की सुरक्षा बलों की ‘रणनीति’ कश्मीरियों में गुस्से को भड़का रही है। ‘यह स्वाभाविक ही है कि अगर आप किसी के घर को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे तो वह आप पर गुस्सा निकालेगा ही,’ एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा था। हालांकि उसका आरोप था कि ऐसी परिस्थिति को वे ही आतंकी पैदा करते हैं जो घरों में घुस कर सुरक्षा बलों को हमले के लिए ललकारते हैं।
ऐसे हालात के लिए सुरक्षा बल चाहे किसी को भी दोषी ठहराते रहें पर सच्चाई यही है कि अपने घरों को यूं तबाह होते देख कश्मीरियों का खून खौल रहा है। जानकारी के लिए सुरक्षा बलों की नई रणनीति के तहत वे अब उन घरों को मोर्टार, बमों या फिर छोटे तोपखानों से तबाह कर देने को प्राथमिकता देते हैं जिसमें आतंकी कब्जा जमा कर सुरक्षा बलों पर हमले बोलते हैं। नतीजा सामने है। कश्मीरियों में इस रणनीति से भड़क रहे गुस्से को अलगाववादी तथा आतंकी भुनाने में जुटे हैं जो अगर गर्मियों में हिंसा के तौर पर सामने आ जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *