-डा. रवीन्द्र अरजरिया-
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्यों ने देश की प्रभावशाली छवि को उजागर कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस से संयुक्त अरब अमीरात होते हुए स्वदेश वापिसी की है। उनका प्रत्येक दौरा अभी तक विकास के नये सोपान के साथ पूर्ण होता रहा है। विश्व विरादरी में भारत की प्रभावशाली उपस्थिति से अनेक देशों के माथे पर बल पडने लगे हैं। दुनिया में विश्वास का पर्यायवाची बनने की राह में दिन दुगनी, रात चौगुनी प्रगति होने से सात समुन्दर पार रहने वाले भारतवंशियों का मस्तक सम्मान से ऊंचा होने लगा है। कभी दुनिया से सहायता की अपेक्षा करने वाला देश आज विदेशी धरती पर सहयोग, समर्पण और सहकार बांट रहा है। विस्तारवादी नीतियों के पक्षधर अपनी कूटनीतियों के धराशाही होने के कारण तिलमिला रहे हैं। उनकी बेचैनी को बढाने वाले अनेक कारकों में विगत 9 वर्षों की सीमित अवधि में मिलने वाले अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों की अन्तहीन श्रंखला भी महात्वपूर्ण स्थान रखती है। अभी हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित गया। यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ दुनिया भर के चुनिंदा प्रमुख नेताओं और प्रतिष्ठित हस्तियों को ही दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह 14वां ऐसा सर्वोच्च राजकीय सम्मान है जो संसार के विभिन्न देशों ने पीएम मोदी को प्रदान किया है। इसके पूर्व मिस्र का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ पुरस्कार से वहां के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने काहिरा में सम्मानित किया था। ‘कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू’ नामक सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार उन्हें पापुआ न्यू गिनी को प्रशांत द्वीप देशों की एकता के लिए समर्थन देने और ग्लोबल साउथ के लिए नेतृत्व करने के लिए मई 2023 में दिया गया था। ‘कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ से उन्हें वैश्विक नेतृत्व की मान्यता देते हुए फिजी का यह सर्वोच्च सम्मान मई 2023 में दिया गया। पापुआ न्यू गिनी की यात्रा के दौरान देश के प्रधानमंत्री को पलाऊ गणराज्य के राष्ट्रपति सुरांगेल एस. व्हिप्स जूनियर ने ‘एबाकल पुरस्कार’ से मई 2023 में सम्मानित किया था। भूटान ने दिसंबर 2021 में उन्हें वहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया था। अमेरिकी सरकार का ‘लीजन ऑफ मेरिट’ सम्मान जिसे संयुक्त राज्य सशस्त्र बलों के सर्वोच्च पुरस्कार के रूप में जाना जाता है। यह सम्मान उत्कृष्ट सेवाओं और उपलब्धियों के प्रदर्शन में असाधारण सराहनीय आचरण हेतु दिया जाता है। हमारे प्रधानमंत्री को यह सन् 2020 में दिया गया। बहरीन के प्रधानमंत्री ने सन् 2019 में वहां का सर्वोच्च सम्मान ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसा’ प्रदान किया था। मालदीप में ‘ऑर्डर ऑफ डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन’ वह सर्वोच्च सम्मान है जो विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को दिया जाता है। यह सम्मान भी भारत के प्रधानमंत्री को सन् 2019 में दिया गया। ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिससे नरेन्द्र मोदी को 2019 में सम्मानित किया गया। संयुक्त अरब अमीरात के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘आर्डर आफ जायद’ से उन्हें 2019 में सम्मानित किया गया। ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ नामक पुरस्कार को फिलिस्तीन का सर्वोच्च सम्मान होने का गौरव प्राप्त है जिससे हमारे देश को सन् 2018 में सम्मानित किया गया। अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘आमीर अमानुल्लाह खान पुरस्कार’ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सन् 2016 में नवाजा गया। सऊद सऊदी अरब के सर्वोच्च सम्मान ‘आर्डर आफ अब्दुल अजीज अल सऊदी अरब’ से उन्हें सन् 2016 में सम्मानित किया गया। इसके अलावा अनेक अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी हमारे देश के प्रधानमंत्री की बहुमुखी प्रतिभा, क्षमता और क्रियाशीलता का लोहा मानते हुए उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जिसमें कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स का ‘ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशिप अवार्ड 2021’ है जो वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के भविष्य के प्रति नेतृत्व की प्रतिबद्धता के लिए प्रदान किया जाता है। स्वच्छ भारत अभियान-2019 के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का सर्वोच्च सम्मान ‘ग्लोबल गोलकीपर’ प्रदान किया गया। संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ अवार्ड सन् 2018 में प्रदान किया गया। दक्षिण कोरिया मेेंं ‘सियोल शान्ति पुरस्कार’ से उस व्यक्ति को सम्मानित किया जाता है जो मानव कल्याण, राष्ट्रों के बीच मेल-मिलाप और विश्व शान्ति में योगदान देता है। यह दो वर्षो के मूल्यांकन के बाद प्रदान किया जाता है। सन् 2018 में यह पुरस्कार भारत के प्रधानमंत्री को प्रदान किया गया। ऐसे सम्मानों का क्रम निरंतर जारी है। वहीं दूसरी ओर देश के अन्दर विपक्ष में बैठने वाले लगभग सभी राजनैतिक दल वर्तमान सरकार के लिए खाई खोदने की तैयारी में है जबकि परिवारवाद पर आधारित अनेक पार्टियों की आन्तरिक कलह चौराहे पर हंडिया फूटने की कहावत को चरितार्थ करने के नजदीक पहुंच चुकी है। हिन्दुत्व का मुद्दा लेकर चलने वाले बाला साहब ठाकरे की शिव सेना का सत्ता के लिए संस्थापक के सिध्दान्तों की चिता जलाना, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी व्दारा बंगाल में संविधान की व्यवस्था को गुण्डागिरी की तलवार से किश्तों में कत्ल करना, बिहार में जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू के नीतीश कुमार की सत्ता लोलुपता किसी से छुपी नहीं है और यही हाल राष्ट्रीय जनता दल का भी है जो अपनी स्थापना के दौरान निर्धारित मापदण्डों को दफन कर चुका है। लालू यादव के बाद अब उनके पुत्र तेजस्वी यादव सहित परिवार का कुनवा ही मुखिया बना बैठा है। कांग्रेस के नेतृत्व में तो परिवारवाद के आगे सभी योग्यतायें गौड हो जातीं हैं। यही हाल अन्य वंशवादी पार्टियों की भी है जहां आपसी वर्चस्व की जंग नित नये अध्याय लिखने में तल्लीन है। घोटालों, मनमानियों और व्यक्तिगत हितों से जुडे लक्ष्यों को दूरगामी षडयंत्रों के साथ पूरा करने के मंसूबे पालने वालों को वर्तमान का आइना निश्चय ही काल की तरह प्रतीत हो रहा होगा मगर समान हितों को साधने के लिए समझौतावादियों का जमघट छोटे से चादर में छुपकर सिंहासन तक पहुंचने के लिए निरंतर बेचैन है। ऐसे में नितांत आवश्यक है अतीत के धरातल पर वर्तमान का मूल्यांकन तभी सम्मान, समृध्दि और सुरक्षा की श्रंखला को अनन्त की ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।