आखिर दुनियांभर में क्यों बढ़ रही बहाई धर्म के अनुयायी ?

asiakhabar.com | March 28, 2025 | 4:42 pm IST

डॉ. अजय कुमार मिश्रा
इन्सान के जीवन की सबसे बड़ी ख़ोज में से धर्म एक है जिसके जरिये जीवन को जीने और परस्पर सहयोग समेत जीवन के अनेकों पहलुओं को समझने और आगे बढ़ना सिखाया जाता है | पर सभी धर्म के अनुयायी एक दूसरें से अपने धर्म को श्रेष्ठ मानतें है | जबकि इन्सान और इंसानियत ही सबसे बड़ी आवश्यकता इस धरती पर है | दुनियां का सबसे नवीनतम धर्म जिसे हम सभी बहाई धर्म के नाम से जानते है एक नयी और आधुनिक विचारधारा के साथ सामने आया है बहाई धर्म 19वीं सदी में ईरान में स्थापित एक स्वतंत्र धर्म है, जिसकी स्थापना मिर्जा हुसैन अली नूरी, जिन्हें बहाउल्लाह के नाम से जाना जाता है, ने की थी | यह धर्म आज दुनियां के लगभग सभी देशों में मौजूद है और इसके अनुयायी आपको मिल जायेगे | यह धर्म एक ईश्वर में विश्वास करता है और इसकी मूल मान्यताओं के अनुसार मानवता एक है और दुनियां के सभी धर्म एक ही ईश्वर से उत्पन्न हुए है जिनका उद्देश्य समय-समय पर मानवता का विकास करना रहा है | इस धर्म का मानना है की एक सर्वशक्तिमान ईश्वर ही इस दुनियां का मुख्य स्रोत है इस धर्म के अनुसार दुनिया के प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म, इस्लाम धर्म, इसाई धर्म, बौद्ध धर्म सभी के जनक एक ही ईश्वर है और मानवता के विकास के लिए उनके दूत के रूप में समाज को नई दिशा देने के लिए महान लोगों का इस धरती पर जन्म हुआ | इस धर्म का विश्वास है की धरती के सभी मनुष्य एक समान है इनमे किसी भी आधार पर किसी तरह का भेद-भाव नहीं होना चाहिए | इस धर्म की यह भी मान्यता है की बिना किसी के प्रभाव में आये सभी लोगों को सत्य की खोज स्वयं करना चाहिए | शिक्षा और विज्ञान व आध्यात्मिकता का समन्वय की अनिवार्यता पर यह विशेष बल देता है | इस धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इस धर्म का मुख्य लक्ष्य विश्व शांति स्थापित करना है तथा शांति और न्याय इसका मजबूत आधार है | सादगी और अनुकूलनशीलता पर भी यह बल देता है |
आज दुनियांभर में बहाई धर्म के अनुयायी आपको देखने को मिल जायेगे जिनकी संख्या लगभग 8 मिलियन के करीब है दिल्ली में स्थित लोटस टेम्पल इसी धर्म की देन है | इसका मुख्य केंद्र हाइफा, इज़राइल में विद्यमान है | यह धर्म खासकर उन लोगों के बीच लोकप्रिय है जो शांति और एकता के संदेश से जुड़ाव महसूस करते हैं | अब प्रश्न यह भी उठता है की यह धर्म पहले से चल रहे अनेकों धर्म के होते हुए भी इसकी स्वीकार्यता क्यों बढ़ रही है इसके पीछे का कारण यह है – इस धर्म की मान्यता के अनुसार सभी प्रमुख धर्म ईश्वर से ही उत्पन्न हुए है और उन धर्मों के संस्थापक ईश्वर के दूत रहें है जिनका मुख्य उद्देश्य मानव को समयानुसार सही मार्ग प्रसस्त करना रहा है जबकि इस धर्म के पूर्व के कई धर्म अपने को एकमात्र सत्य या अंतिम सत्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं | एक तरफ जहाँ बहाई धर्म आधुनिक सामाजिक मुद्दों जैसे लैंगिक समानता, शिक्षा का अधिकार, गरीबी उन्मूलन और विश्व शांति पर जोर देता है और यह विज्ञान और धर्म के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है वही अन्य धर्म कई पारंपरिक धर्मों में सामाजिक नियम प्राचीन संदर्भों पर आधारित हैं और आधुनिकता के साथ उनका समन्वय समय के साथ व्याख्या के माध्यम से हुआ है | यह धर्म व्यक्तिगत रूप से ईश्वर से संबंध स्थापित करने पर जोर दिया जाता है | इस धर्म के शुरुआत से ही इसे एक वैश्विक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो मानवता की एकता और विश्व सरकार जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा देता है | इसका लक्ष्य एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां राष्ट्र, संस्कृतियाँ और लोग एकजुट हों जबकि कई धर्मों की शुरुआत स्थानीय या क्षेत्रीय संदर्भ में हुई और बाद में वे वैश्विक हुए | इसमें जटिल अनुष्ठान, मूर्तिपूजा या धार्मिक प्रतीकों का व्यापक अभाव है | प्रार्थना, ध्यान और सामुदायिक सभाएँ (19-दिवसीय भोज) इसकी मुख्य प्रथाएँ हैं और अन्य धर्मो से यह अधिक लचीला भी है |
यह धर्म स्वयं को मानव इतिहास के वर्तमान युग के लिए एक नया धर्म मानता है, जो पिछले धर्मों को पूर्ण करने के बजाय उनके संदेश को आगे बढ़ाता है जबकि अधिकांश धर्म प्राचीन हैं और अपनी उत्पत्ति को हजारों साल पुरानी परंपराओं से जोड़ते हैं | सबसे खास बात इस धर्म की यह है की इस धर्म में शराब और नशीले पदार्थों का सेवन पूरी तरह निषिद्ध है, जो इसे कुछ अन्य धर्मों से अलग करता है जहां यह व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है | यदि देखा जाय तो बहाई धर्म अन्य धर्मों से मुख्य रूप से अपनी समावेशी प्रकृति, आधुनिकता के प्रति झुकाव, और वैश्विक एकता के संदेश के कारण यह अलग धर्म है | यही मुख्य वजह भी है की अनेकों प्रमुख धर्मो के होते हुए भी लोगों ने तेजी से इस धर्म को स्वीकार किया है | यह एक ऐसा धर्म है जो न तो किसी एक धर्म का सुधार है और न ही उसका विरोध करता है, बल्कि सभी को एक व्यापक ईश्वरीय योजना का हिस्सा मानता है | परिणाम स्वरुप यह आसानी से लोगों को प्रभावित भी कर रहा है | बहाई धर्म के अनुयायी रोज़ प्रार्थना करते हैं, जिसमें बहाउल्लाह द्वारा लिखित प्रार्थनाएँ शामिल हैं | साल में 19 दिनों का उपवास (2 मार्च से 20 मार्च तक) रखते हैं | बहाई मंदिर (जिन्हें “मशरिक़ुल-अज़कार” कहा जाता है) सभी धर्मों के लोगों के लिए खुले होते हैं | शराब और नशीले पदार्थों का सेवन इस धर्म में निषिद्ध है | यह धर्म अपनी उत्पत्ति के पश्चात् से ही वैश्विक एकता और मानवता में भेद-भाव को न करने के कारण दुनियाभर में तेजी से इसके अनुयायी जुड़ रहें है | एक तरफ जहाँ मौजूदा कई धर्मो के होने के बावजूद इस धर्म ने अपने कम समय में अपने अनुयायी की संख्या में वृद्धि किया है वही इस धर्म के उद्देश्य निसंदेह मानवता के विकास के लिए समर्पित है | इस धर्म की खास पहचान यह भी है की सभी धर्मों को यह एक ही ईश्वर से निकला हुआ मानता है और जिसका उद्देश्य मानव का कल्याण करना है | समय और ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ इस धर्म के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि होना स्वाभाविक है | धर्म के आधार पर नफरत और भेदभाव करने वाले सभी लोगों को इस धर्म से मानव में समानता और वैश्विक एकता की स्वीकार्यता को जरुर सीखना चाहिए जिससे मानव जीवन की अधिकांश समस्याओं का समाधान हो जायेगा | अपनी खास बातों और प्रभावशाली कार्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है की भविष्य में इस धर्म के अनुयायियों की संख्या में दुनियां भर में व्यापक वृद्धि हो सकती है | सबसे खास बात इस धर्म की यह भी है की यह धर्म किसी भी धर्म का प्रतियोगी नहीं है | इन्ही कारणों से कई प्रमुख धर्मों के रहने के बावजूद इस धर्म को लोग स्वीकार कर रहें है और यदि देखा जाए तो यह धर्म आधुनिकता और परम्परागत ढंग से चल रहे धर्मों से अलग भी है जिसका मुख्य उद्देश्य सभी धर्मों की तरह मानव कल्याण करना है पर किसी भी धर्म की यह उपेक्षा नहीं करता है | यही कारण है की इस धर्म की लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हो रहा है |


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