अश्लीलता का अनैतिक कारोबार

asiakhabar.com | July 28, 2021 | 5:28 pm IST
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-डा. वरिंदर भाटिया-
हाल ही में बॉलीवुड से जुड़े एक बड़े नामचीन को पोर्न फिल्म बनाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। यह
गिरफ्तारी बताती है कि अब अपने देश में पोर्न एक इंडस्ट्री का रूप लेती जा रही है और इसमें बड़े लोग पैसा लगा
रहे हैं, पैसा बना रहे हैं। पोर्न या एडल्ट फिल्में अपने दर्शकों यानी टीनएजर्स, महिलाओं और पुरुषों के लिए
सेक्सुअल फैंटेसीज को एक्सप्लोर करने का एक माध्यम होती हैं। एक ओर जहां पोर्न फिल्में कामेच्छा को बढ़ाती हैं
और अंतरंग संबंधों को बेहतर करती हैं, वहीं इसके कई दुष्प्रभाव भी हैं। पोर्न फिल्में देखने का स्वास्थ्य पर बहुत
बुरा असर पड़ता है। दुनियाभर की पॉर्न इंडस्ट्री करीब 100 बिलियन डॉलर से कहीं ज्यादा की है। इसका लगभग
10 फीसदी अकेले अमरीका से आता है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में पोर्न इंडस्ट्री कितनी बड़ी है। इसका
एक लाइन में जवाब है कि भारत में कोई पोर्न इंडस्ट्री नहीं है। इसके बावजूद यहां पोर्न देखने वालों की संख्या
इतनी ज्यादा है कि यूएस और यूके के बाद भारत तीसरे नंबर पर है। यह आंकड़ा साल 2018 का है। जब सरकार
ने पोर्न वेबसाइट्स को बैन किया तो भारत 15वें स्थान पर आ गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पोर्न फिल्में
देखने के लिए यूजर्स इंडियन वाइफ, इंडियन कॉलेज, इंडियन भाभी देवर, इंडियन टीचर, इंडियन भाभी, इंडियन विथ
हिंदी ऑडियो, देसी जैसे की-वर्ड सर्च करते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पॉर्न कंटेंट में कैसे डिमांड है।
ऐसी डिमांड पूरी भी की जाती है। 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में पोर्न वेबसाइट पर एक विजिटर
एवरेज 10 मिनट 13 सेकंड देता है। भारत में ये एवरेज 8 मिनट 23 सेकंड है। यानी भारत में एक व्यक्ति एवरेज
8 मिनट 23 सेकंड तक पोर्न साइट पर रहता है।
सबसे ज्यादा 39 फीसदी ट्रैफिक दिल्ली से है। यानी यहां के लोग सबसे ज्यादा पोर्न देखते हैं। दिल्ली के लोगों का
पोर्न देखने का एवरेज 9 मिनट 29 सेकंड है। भारत में लॉकडाउन के दौरान यानी साल 2020 के अप्रैल के महीने
में एडल्ट साइट्स पर 95 फीसदी स्पाइक देखा गया। भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने कई एडल्ट साइट्स को ब्लॉक
कर दिया। इसके बाद भी उन साइट्स को मिरर डोमेन्स के जरिए देखा गया। भले ही भारत में पोर्न पर बैन है,
लेकिन यहां बन भी रहा है, देखा भी जा रहा है और लोग कमाई भी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या
भारत में पोर्न पर बैन जारी रखना चाहिए या फिर इसे रेगुलेट करने की जरूरत है। भारत में आईपीसी की धारा
292 के तहत पोर्न बनाना और बेचना जुर्म है। अगर किसी पोर्न क्लिप को आप एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते
हैं यानी शेयर करते हैं तो वह भी गैर कानूनी है। मजे की बात यह है कि भारत में पोर्न देखना, पढ़ना या सुनना
कानूनी है, वहीं बच्चों के लिए अलग नियम हैं। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 67-बी के तहत पूरे
देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी गैर कानूनी है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी गैर कानूनी है। सत्य है कि अनेक भारतीय
सेक्सुअल कंटेंट की तलाश करते हैं। क्योंकि हमारे पास भारत में पोर्न इंडस्ट्री नहीं है, इसलिए यह मांग अमरीकी
और बाकी देशों के एक्टर और एक्ट्रेस द्वारा पूरी की जाती है। देश में पोर्न को बैन किया जाए या फिर रेगुलेट
करने की जरूरत है, यह सवाल महत्त्वपूर्ण है। भारत में पोर्न इंडस्ट्री जैसा कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। फिर भी चोरी-छुपे
भारत के ही विभिन्न हिस्सों में शूट किया जाता है। दूसरे शब्दों में भारत में पोर्न इंडस्ट्री तो है, लेकिन दो नंबर में
चलती है। यह साफ है कि बैन कारगर नहीं है। अवैध तरीके से पोर्न इंडस्ट्री चलने के कारण कई दिक्कतें हैं।
असुरक्षित तरीके से इंडस्ट्री चल रही है। इसमें बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि इंडस्ट्री रेगुलेट होगी तो
नियम कायदों के साथ सुरक्षा से चलेगी।

इस रेगुलेशन के परिणाम ठीक नही होंगे और हमारे संस्कार इसकी इजाजत नहीं देंगे। भारत में पोर्न बैन करवाने
के पीछे अनेक तर्क हैं। पोर्न बैन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यह है कि यह सेक्स को लेकर विकृत मानसिकता को
बढ़ावा देता है। यौन अपराध के लिए प्रेरित करता है। साल 2013 की बात है। इंदौर हाईकोर्ट के एक वकील ने
भारत में पोर्न वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए एक जनहित याचिका लगाई। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने तर्क
दिया कि इन एडल्ट साइटों को ब्लॉक कर देना चाहिए, क्योंकि ये महिलाओं के प्रति हिंसा को बढ़ावा देती हैं और
सेक्स क्राइम को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने अपनी याचिका में लिखा कि पोर्न हिंसा और बच्चों के शोषण को
प्रोत्साहित करता है। महिलाओं की गरिमा को कम करता है। ऑनलाइन पोर्नोग्राफी देखने का महिलाओं के खिलाफ
अपराधों से सीधा संबंध है। जुलाई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर की गोपनीयता में घर के अंदर पोर्नोग्राफी
देखना पूरी तरह से कानूनी है। इसे अपराध के रूप में नहीं गिना जाता है। हालांकि अगस्त 2015 में इसके ठीक
विपरीत हुआ। भारत सरकार ने 857 पोर्न साइटों को ब्लॉक करने का आदेश दे दिया। साल 2018 में देहरादून में
बलात्कार के एक आरोपी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में कहा कि उसे पोर्न फिल्म देखने के बाद अपराध करने का
प्रोत्साहन मिला। इसके बाद कोर्ट ने पोर्न वेबसाइटों को बैन करने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चों के
मन पर प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए पोर्न साइटों तक पहुंच पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। ऐसा मुमकिन नहीं
हो पाया है। तभी तो यह धंधा गंदा होने के बावजूद फलता-फूलता है। कड़वा सच यह है कि भारत में पोर्न और
सेक्स को लेकर सिर्फ एक ही अहम बात है और वह यह कि ये किसी के सामने नहीं दिखना चाहिए।
अपने यहां इसको चाहने वाले कहां मानते हैं। चाहे ऊपर से जितनी भी निंदा करें, परंतु इसके बिना अनेकों को
शायद नींद भी नहीं आती। इस बहुचर्चित मामले के सामने आने के बाद चारों तरफ एक ही सवाल तैर रहा है कि
इस अश्लीलता से जुड़े कारोबार की कानूनी पोजीशन क्या है? भारत में पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफिक कंटेंट को लेकर
बड़ा सख्त काननू है। इस मामले के बाद लोगों के मन में ये सवाल घूमने लगे हैं कि क्या भारत में अश्लील फिल्में
देखना भी गैर कानूनी है? अगर कोई व्यक्ति अपने मोबाइल या लैपटॉप पर ऐसी कोई फिल्म देख रहा है, तो क्या
वो कोई जुर्म कर रहा है? इसका जवाब साफ नहीं है, मगर कानून के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अवैध है। वहीं
अगर आप इस तरह की गंदी फिल्में प्रकाशित और शेयर कर रहे हैं तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और आप
पर कार्रवाई हो सकती है। कुछ वेबसाइट्स को छोड़ दें तो भारत में पोर्नोग्राफी पूरी तरह बैन है, लेकिन सरकार की
तमाम कोशिशों के बाद भी तमाम बेवसाइट्स ये कंटेंट दिखाती हैं। भारत में ये लीगल भी नहीं है। लेकिन अगर
आप निजी डिवाइस पर इस तरह का कंटेंट देख रहे हैं तो कोई जुर्म नहीं। हां, अगर आप किसी को जबरदस्ती
अश्लील फिल्म बनाने या उसे देखने के लिए कह रहे हैं तो यह अपराध है। इस तरह के कंटेंट को आप सेव करके
नहीं रख सकते। यह भी अपराध की श्रेणी में आता है। सिफारिश है कि अश्लीलता के अनैतिक कारोबार पर कड़ी
नुकेल डाली जाए और भारतीय संस्कारों की हर कीमत पर रक्षा की जाए।


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