सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ की अभिनेत्री और ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ की किशोर गायिका के किरदार को जीने
वाली अदाकारा ने अचानक फिल्मों से तौबा करने का ऐलान किया है। बॉलीवुड और अभिनय छोड़ने का
फैसला जायरा वसीम का अपना है कि वह अपनी जिंदगी कैसे जिए। वह पांच साल तक फिल्मी दुनिया
में रहीं। सिर्फ दो फिल्मों से ही जायरा को शोहरत मिली, पहचान बनी, प्यार और पैसा भी खूब बरसे।
उन्हें ‘दंगल’ के लिए राष्ट्रीय अवॉर्ड से नवाजा गया। फिल्मफेयर समेत कुछ और अवॉर्ड भी झोली में
आए। एक गुमनाम और मासूम-सी कश्मीरी लड़की अचानक शख्सियत बन गई। जायरा के फैसले पर
किसी को कोई आपत्ति नहीं है, कोई सवाल भी नहीं किया जा सकता। यह मुद्दा बहसतलब इसलिए है,
क्योंकि जायरा ने मजहब, अल्लाह और ईमान की बात कही है। जायरा ने सोशल मीडिया की अपनी
पोस्ट में लिखा है कि बीते पांच सालों के दौरान बॉलीवुड का हिस्सा रहकर वह अपनी अंतरात्मा से
लड़ती रही। इस्लाम और अल्लाह से भटकन महसूस करती रही और जिंदगी में बरकत भी कम होने
लगी। जायरा का कहना है कि छोटी-सी जिंदगी में वह इतनी लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकती, लिहाजा
बॉलीवुड को अलविदा कहने का फैसला लिया। कशमकश के लिए पांच साल का अंतराल भी लंबा होता है।
अभी जायरा ने जोया अख्तर की फिल्म ‘दि स्काई इज पिंक’ की शूटिंग पूरी करने के बाद यह ‘मजहबी
धमाका’ किया है। जायरा मात्र 17 साल की उम्र में ही ‘दंगल’ फिल्म से बॉलीवुड में आई थीं। हालांकि
वह मासूमियत और अल्हड़पन की उम्र होती है, लेकिन जो लड़की इंडस्ट्री के सुपरस्टार आमिर खान के
साथ फिल्म कर रही थी और विख्यात पहलवान गीता फोगाट का किरदार निभाया था, उसे इतना
एहसास जरूर होगा कि इस्लाम उस पेशे की इजाजत देता है अथवा नहीं? जायरा का ‘दंगल’ में किरदार
ऐसा था कि उन्हें बाल कटाने पड़े और निक्करनुमा कपड़े पहनने पड़े थे। तब मुस्लिम कठमुल्लाओं ने
खूब शोर मचाया था। उनके पेशे और लिबास को इस्लाम-विरोधी करार दिया गया था। अंततः जायरा ने
माफी मांग कर उस बवाल को शांत कराया। सवाल है कि फिल्मों में काम करते हुए किसी ने उन्हें
नमाज अदा करने और रमजान के पवित्र महीने के दौरान रोजे रखने से रोका या रोड़ा अटकाया था? यदि
नहीं, तो फिर जायरा किस ‘मजहबी ईमान’ की बात कर रही हैं? अल्लाह और इबादत के बीच बॉलीवुड
कैसे मौजूद रहा? पांच साल के दौरान जो था, अब भी वैसा ही होगा। अथवा किसी स्तर पर जायरा को
‘समझौते’ करने पड़े? ये सवाल भी साफ किए जाने चाहिएं। फिल्म इंडस्ट्री पूरी तरह ‘धर्मनिरपेक्ष’ है, वह
किसी के धर्म या मजहब के आड़े नहीं आती। दरअसल जायरा की दलीलें बेतुकी हैं। शायद कोई और
मसला होगा या उनकी शादी की बात चल रही होगी, जिसके मद्देनजर उन्हें बॉलीवुड से तौबा करना पड़
रहा है। फिल्मी दुनिया में मीनाकुमारी, मधुबाला, वहीदा रहमान से लेकर शबाना आजमी और जीनत
अमान तक मुस्लिम अदाकाराओं की एक पूरी फेहरिस्त है। उन्होंने संजीदगी से अपने किरदारों को जिया,
गंभीर भी बनी और ग्लैमरस रोल भी किए, लेकिन ऐसा भटकाव महसूस नहीं किया, जो उन्हें इस्लाम
और अल्लाह से दूर करता रहा हो। मजहब की आड़ में फिल्मी करियर छोड़ने का ऐलान कर जायरा ने
अपने से पहले की अदाकाराओं की जमात को अपमानित करने की कोशिश की है। जायरा बॉलीवुड छोड़
रही हैं, उसकी चिंता नहीं है, लेकिन मजहब को कारण बनाना सवालिया है। सवाल यह भी किया जाना
चाहिए कि क्या जायरा पर किसी का दबाव था या उसे खौफजदा किया गया, जिसके मद्देनजर उन्हें यह
फैसला लेने को विवश होना पड़ा? जायरा और विवाद साथ-साथ चलते रहे हैं। जब विमान की बिजनेस
क्लास में सफर करते हुए किसी ने पीछे से पांव के जरिए उन्हें छूने की कोशिश की थी, तो उन्होंने
उसका वीडियो बनाकर सार्वजनिक किया। वह मुद्दा भी राष्ट्रीय बवाल बना। लोगों ने जायरा की आंखों में
आंसू देखे, तो सहानुभूति बहने लगी, सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं से भर गया, लेकिन वह विवाद अंततः
फर्जी साबित हुआ। जायरा ने प्राथमिकी तक दर्ज क्यों नहीं कराई? इसी सवाल के आधार पर बॉलीवुड से
विदाई का यह ऐलान भी ‘पब्लिक स्टंट’ तो नहीं है? इनसान और नागरिक होने के नाते यह फैसला
करने को जायरा आजाद हैं, लेकिन वह सार्वजनिक शख्सियत भी हैं, उनके लाखों फैंस भी हैं, लिहाजा
उन्हें असली कारण पता होना चाहिए।