अमृतकाल में शान से फहराएं तिरंगा

asiakhabar.com | August 13, 2023 | 4:48 pm IST
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-प्रभुनाथ शुक्ल-
राष्ट्रीय ध्वज हमारे गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक है। दुनिया का कोई भी देश अपने राष्ट्रीय ध्वज को जान से भी अधिक सम्मान देता है। राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लाखों लोग बलिदान हो चुके हैं। भारत में राष्ट्रीय ध्वज विशेष अवसरों पर फहराया जाता है। बचपन में जब हम स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे उस दौरान स्वाधीनता और गणतंत्र दिवस पर प्रभातफेरी निकाली जाती थी। उस दौरान स्कूली बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर यह गीत गाया करते थे ‘विजयी विश्व तिरंगा, प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा’। राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना सबसे पहले पिंगली वेंकैया ने की थी। यह आजादी का अमृतकाल है। देश के हर व्यक्ति को गौरव के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहिए। ऐसा करने अपने भीतर अपना देश, अपनी माटी की अकल्पनीय अनुभूति होती है और राष्ट्रीय भावना और मजबूत होती है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से बना है। सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी हमारी ताकत को दर्शाती है। सफेद रंग की पट्टी शांति और सत्य का प्रतीक है। सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी विकास, उर्वरता और समृद्धि का द्योतक है। सफेद रंग की पट्टी के मध्य स्थापित ‘चक्र’ अशोक स्तंभ से लिया गया है। चक्र के भीतर कुल 24 से तीलियां है। यह भारत के निरंतर प्रगति का संकेत देती हैं। संविधान सभा की बैठक में 22 जुलाई 1947 को इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता मिली। हालांकि इसके पूर्व भी कई तरह के झंडे देश और विदेश में फहराए गए, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अंगीकार नहीं किया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में कोई गुस्ताखी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यह हमारे गौरव, स्वाभिमान और सम्मान का प्रतीक है। इसके सम्मान की हर हालत में रक्षा की जानी चाहिए। तिरंगे का अपमान राष्ट्र का अपमान समझा जाता है। फटे-पुराने एवं कटे हुए तिरंगे को नहीं फहराया जाना चाहिए। संविधान सभा की ओर से राष्ट्रीय ध्वज के रूप में इसे अंगीकार किए जाने के बाद अभी सिर्फ एक बदलाव किया गया जिसमें चरखे की जगह अशोक स्तंभ के ‘चक्र’ का उपयोग किया गया। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज में कोई भी बदलाव नहीं हुआ।
राष्ट्रीयध्वज के रोहण के लिए भी नियम बनाए गए हैं। भारतीय ध्वज संहिता यानी ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ में सब वर्णित है। भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को प्रभावी हुई है। भारतीय ध्वज संहिता 2002 को पुन:30 दिसंबर 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया है। जिसमें राष्ट्रीय ध्वज हाथ से कते और बुने हुए या मशीन से कते कॉटन, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम या फिर खादी की पट्टी से बनाया जा सकता है।
भारत का कोई भी नागरिक अपने निजी या सार्वजनिक स्थान, कार्यालय या घर पर तिरंगा फहरा सकता है। हालांकि इसके पूर्व यह अनुमति नहीं थी, लेकिन दिसंबर 2002 में संविधान संशोधन के जरिए अनुमति दी गयी। साल 2009 में रात्रि में भी तिरंगे को फहराने की अनुमति दी गई। पूरे भारत में 21 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा तिरंगा सिर्फ तीन स्थानों पर फहराया जाता है इसमें कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र में पनहाला किला और मध्य प्रदेश का ग्वालियर किला शामिल है।
जब हम ध्वजारोहण करते हैं तो हमें हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि हमारे दाहिने तरफ ध्वज होना चाहिए। हमारी ध्वज संहिता में प्लास्टिक का झंडा फहराने पर रोक है। लेकिन बदली परिस्थितियों और व्यापारिक स्थितियों में खूब प्लास्टिक के झंडे का उपयोग किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई 3:2 के अनुपात में होनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज पर कोई भी चित्र या लेखन नहीं होना चाहिए। तिरंगे का उपयोग व्यवहारिक कार्यों में किसी भी तरीके से नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज कभी भी जमीन से नहीं छूना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के पास किसी भी धार्मिक या अन्य संस्था के झंडे को नहीं लगाया जा सकता है।
राष्ट्रीय ध्वज पर किसी भी प्रकार कि कशीदाकारी, कुशन, रूमाल, नैपकिन नहीं बनायीं जा सकती है। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग सजावट के लिए नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी वस्तु को लपेटने, कोई वस्तु प्राप्त करने या वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी वाहन की साइड्स, पृष्ठ भाग और ऊपर का भाग ढंकने के लिए नहीं किया जाएगा । इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक हर मौसम में सभी दिनों में फहराया जा सकता है। झंडे को तेज गति से फहराया जाना चाहिए और धीरे-धीरे नीचे उतारा जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज पानी, जमीन, फर्श या पगडंडी को नहीं छूना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी ऐसे तरीके से प्रदर्शित या बांधा नहीं जाएगा, जिससे उसे कोई क्षति होने की संभावना।
राष्ट्रीय ध्वज उल्टा करके कभी भी प्रदर्शित नहीं किया जाएगा अर्थात केसरिया पट्टी को नीचे की पट्टी के रूप में नहीं रखना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी समय नीचे नहीं झुकना चाहिए। किसी भी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या उसके अगल-बगल में नहीं रखा जाएगा। किसी तरह की फूल माला या प्रतीक के साथ कोई वस्तु नहीं रखी जाएगी। ‘राष्ट्रीय सम्मान’ के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग निजी स्तर पर की जाने वाली अंत्येष्टि अथवा अंत्येष्टि के दौरान आवरण के रूप में नहीं किया जा सकता।
देश में राष्ट्रीय शोक की स्थिति में तिरंगा झुकाया जाता है। देश में जीतने दिन का राष्ट्रीय शोक रहता है तिरंगा तब तक झुका रहता है। राष्ट्रीय शोक खत्म होते ही तिरंगा को अपनी ऊंचाई पर सम्मानित कर दिया जाता है। देश के राष्ट्रॉध्यक्षों और सैनिकों के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर अंतिम विदाई दी जाती है। बाद में ध्वज को सम्मान किसी नदी या गुप्ता स्थान पर नष्ट कर दिया जाता है। स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सभी भारतीयों को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में कोई गुस्ताखी नहीं करेंगे और जीवन पर्यन्त उसका सम्मान करेंगे। तिरंगा समूचे भारतीयों के लिए गौरव का विषय है। पूरी निष्ठा, ईमानदारी के साथ राष्ट्र के सम्मान में हमें ध्वजारोहण करना चाहिए। अंतिम सांस तक उसके सम्मान की रक्षा का हमें संकल्प भी लेना चाहिए।


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