अभिनेता से सेवा का महानायक

asiakhabar.com | August 26, 2020 | 5:08 pm IST

राजीव गोयल

कोरोना महामारी में लॉकडाउन के कारण मुंबई में फँसे हजारों प्रवासी मजदूरों और विद्यार्थियों को देश के विभिन्न
भागों में गंतव्य तक पहुँचाने वाले फिल्म अभिनेता सोनू सूद की प्रशंसा समग्र देश में हो रही है। असहाय, निरुपाय
एवं विवश लोगों का उनके प्रति विश्वास इतना बढ़ गया है कि अन्य शहरों में फँसे लोगों ने भी उनसे सहायता की
याचना की और उन्हें भी समय रहते सकुशल घर पहुँचाया गया। केरल में ओडिशा की 177 लड़कियां जो कपड़ा
फैक्ट्री में काम करती थीं, जब सहायता के सभी मार्ग बंद हुए तो उन्होंने सोनू सूद को फोन किया और सोनू सूद
की टीम ने उन्हें हवाई जहाज द्वारा उनके गंतव्य तक पहुँचवाया।

इस फिल्म अभिनेता के सेवाकार्य से जनता के स्वयंभू मसीहा और युवा हृदय सम्राट कहलाने वाले तथाकथित
नेताओं को भी यह समझ आ गया होगा कि जनसेवक होने के लिए किस प्रकार कार्य किया जाता है। चुनाव के
समय यूपी-बिहार सहित पूरे देश के नेता अपने-अपने मतदाताओं को दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद आदि शहरों से
वातानुकूलित बसों में बिठाकर लाते हैं और ससम्मान उन्हें वापस भी छुड़वाते हैं। किन्तु महामारी के समय किसी
भी जनप्रतिनिधि ने अपने मतदाताओं के प्रति ऐसी सहानुभूति नहीं दिखाई, सभी सरकारों का मुँह तकते रहे।
वंशानुगत राजनीति करने वाले अरबपति नेताओं ने भी अपनी जेब ढीली नहीं की। मजदूरों के गिरते-पड़ते या दम
तोड़ते दृश्य चैनलों और सोशल मीडिया में रात-दिन तैरते रहे किन्तु स्वयं को राष्ट्रीय नेता कहने वाले व्यक्तियों या
दलों ने ऐसा कोई अनुकरणीय कार्य नहीं किया जिसे समाज सदैव स्मरण करता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अगर
छोड़ दें तो पूरे देश में एकसाथ सेवा करने के लिए अन्य कोई स्वयंसेवी संगठन दृष्टिगोचर नहीं हुआ।
देश में लाखों स्वयंसेवी संगठन चलते हैं, इन्हें करोड़ों रुपये का देशी और विदेशी अनुदान मिलता है किन्तु महामारी
के समय देशभर में फैले इन तथाकथित स्वयंसेवी संगठनों से कई गुना अधिक सेवाकार्य आम जनता ने स्वयं के
संसाधनों से किये। हर गली-मोहल्ले में रहने वाले नवयुवकों ने अपनी क्षमता से भी अधिक श्रम किया और
आसपास रहने वालों को भोजन कराया। गुरुद्वारा कमेटियों और मंदिरों ने तन-मन-धन से सेवाकार्य किये किन्तु
हमारे देश के राजनीतिक दलों ने ऐसे समय में भी कोई अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया।
यह अत्यंत विचारणीय प्रश्न है कि जो राजनीति समाजसेवा का माध्यम हुआ करती थी वह अब केवल सत्ता प्राप्ति
का माध्यम बनकर रह गई। अन्यथा लाखों सदस्य संख्या वाले दल यों हाथ पर हाथ धरे न बैठते। घोर विपत्ति के
समय में एक अभिनेता अपने निज सहायकों को लेकर सेवाकार्य में जुट गया और देखते-देखते वह देशभर में आशा
की किरण बन गया। यह कार्य अनुकरणीय और अभिनंदनीय है। सोनू सूद से उन खिलाड़ियों/सेलिब्रिटी को भी सीख
लेनी चाहिए जिन्हें देश सिर-माथे रखता है और संन्यास लेते ही राजनीतिक दल राज्यसभा भेजने की होड़ में आगे-
पीछे घूमने लगते हैं।
यदि सोनू सूद की भाँति देश में सौ-पचास लोग उठ खड़े हों तो लोगों की राजनेताओं पर निर्भरता टूट सकती है।
आज भी महानगरों में पहुँचने वाले निर्धन विवश लोग दलालों द्वारा ठगे जाते हैं। दिल्ली और मुंबई में उपचार
अथवा रोजगार हेतु गए लोगों को भोजन, आवास और धन की कमी के कारण अपने-अपने सांसदों के बंगलों पर
चक्कर काटने पड़ते हैं। इनमें भी कुछ तो ऐसे सांसद हैं जिनके यहाँ आनेवालों को पानी तक के लिए नहीं पूछा
जाता। यद्यपि कुछ अपवाद भी हैं। मुरैना सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ग्वालियर-चम्बल से पहुँचने
वाले लोगों के लिए अपने बंगले पर भोजन और विश्राम की अनुकरणीय व्यवस्था कर रखी है। कुछ अन्य नाम भी
हैं पर संख्या में कम ही हैं। यदि सभी राजनेता इसी प्रकार अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की चिंता करना आरंभ कर दें
तो जनता का बड़ा हित हो सकता है।
राजनेताओं के पास कार्यकर्ताओं का बड़ा समूह होता है किन्तु वे इसका प्रयोग समाजसेवा के स्थान पर अपनी सेवा
के लिए ही करते हैं इसीलिए सोनू सूद जैसा एक अभिनेता महामारी के समय में देशभर के तथाकथित समाजसेवी
संगठनों और राजनेताओं से अधिक लोकप्रिय हो जाता है। आज सोनू सूद समाजसेवा के महानायक के रूप में देखे
जा रहे हैं। उनके ट्विटर, फेसबुक और ईमेल पर हजारों लोग प्रतिदिन उनसे सहायता माँगते हैं।

पंजाब में जन्मे सैंतालीस वर्षीय इस युवा अभिनेता ने बॉलीवुड के लिए भी प्रेरक उदहारण प्रस्तुत किया है। अभी
कोरोना महामारी से पिंड छुड़ाने में पूरी दुनिया को कुछ माह और लगने की संभावना है, तबतक प्रवासी मजदूरों के
सामने उनके गृहनगर में भी अनेक चुनौतियाँ आएँगी। देशभर के समृद्ध और संपन्न लोगों के समक्ष उदारता
दिखाने का यही उचित समय है। निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के सामने भी बहुत बड़ी चुनौती उत्पन्न हो
गई है, अपना समग्र जीवन कंपनी/संस्था को देने वालों को साल-छह माह काम बंद होने पर ही नौकरी से निकाल
देने वाली सक्षम संस्थाओं, जिनके पास हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति है, इस युवा अभिनेता से प्रेरणा लेनी चाहिए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *