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हरी राम यादव
गुणगान करो, बखान करो, चाहे हो न कोई भी आधार।
खुशियां चूमेंगी कदम आपकेआ जायेगी जीवन में बहार ।
आ जायेगी जीवन में बहार, हार गले में फूलों का होगा।
मिलेगा पद पैसा और प्रतिष्ठा बस जय जय कहना होगा।
आइना दिखाने में क्या रखा है,उससे क्या हासिल होगा।
अब निंदक नगर में नहीं चाहिए,हरी बने चाटुकार ही शोभा।।