-नईम कुरेशी-
अमेरिका व सोवियत रूस द्वारा पाले गये अफगानिस्तान के छात्रों यानी तालेबान की सरकार को दुनिया भर के
सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है कि हमें दुनिया के लोग और उनकी सरकारें आखिर मान्यता क्यों नहीं दे रही हैं।
मान्यता दिये बगैर कट्टरपंथी तालेबानी छात्रों को अफगानिस्तान की आम जनता को सर्द मौसम से बचाने व खाने
पीने की दवाओं तक के लाले पड़े हुये हैं।
अफगानिस्तान के इस्लाम के कथित मानने वालों की सरकार बताई जाती हैं जो सरासर गलत है क्योंकि इस्लाम
दुनिया का ऐसा पहला धर्म माना जाता है जो आम इंसानों और इंसानियत की भलाई की बात कहता और करता
आया है। इस्लाम का पहला उसूल है बिना भेदभाव बिना सियासत ऊँच नीच के सभी से बराबर का बर्ताव करना
खासतौर से औरतों के सारे अधिकार दुनिया में इस्लाम से ही दिये जाने की बातें सामने आयी हैं। तालेबानी लोग
औरतों को पढ़ाई लिखाई से मेहरूम रखकर उन्हें देश दुनिया से काट देना चाहते हैं। पढ़ाई लिखाई से ही आम इंसान
तरक्की के रास्तो पर चलता आया है जिसे तालेबानी जाहिल मक्कार लोग सिरे से खारिज करते आ रहे हैं। आम
लोगों का खून बहाना उनका शौक सा बन गया है। तालेबानी व अमेरिकियों ने सिर्फ अपने खुद के फायदे व
मौजमस्ती के लिये वहां की सरकार को उखाड़ा है व दहशतगर्दी को बढ़ाया है। पाकिस्तान व चीन ने उन्हें शुरू से
ही बढ़ावा दिया है। तालेबानियों की अंतरिम सरकार सिर्फ आतंकवादियों, शरारतियों का एक गिरोह भर दिखाई देता
है जिन्होंने अपने प्यारे मुल्क अफगानिस्तान को बर्बाद और तबाह कर दिया। अमेरिका ने भी उनका हमेशा की तरह
इस्तेमाल भर किया, अफीम चरस के दम पर ये लोग दुनिया में सरकार चलाना चाहते हैं। इस्लाम के उसूलों को ये
लोग गलत ढंग से व्याख्या करते आये हैं। आमतौर से बराबर व तालीम देना दिलाना इस्लाम का पहला हुक्म है।
कुरान शरीफ का पहला हुक्म इकरा भी तालीम (शिक्षा) की बात करता है। तालीम याफता लोगों के चलने फिरने की
जगहों पर फरिश्तों को सफाई करने तक का हुक्म दिया जाना लिखा गया है। सच्चाई के लिये कुर्बानी देकर शहीद
हो जाना भी इस्लाम में दूसरा हुक्म कहा व सुना गया है। भाईचारा की जिंदगी जीना भी यहां खास माना जाता है।
तालेबानी लोग इस तरफ ध्यान न देकर उसके उल्टा करते दिखाई दे रहे हैं। अफगानिस्तान से जल्दी उनको भगाया
जाना भाईचारे व दुनिया भर में शांति के लिये जरूरी है।