राजीव गोयल
भारत में कार्यकारण सिद्धांत को बड़ा महत्व दिया जाता है। इसका मतलब यह मान्यता है कि हर कार्य का कोई न
कोई कारण होता है। कोई भी काम क्यों किया गया या क्यों किया जाएगा इसके पीछे एक तर्क होता है। बिना तर्क
या कारण के कुछ भी नहीं होता है। यह भी भारत की पुरानी मान्यता है और धार्मिक मान्यता भी है कि कोई भी
काम अनायास नहीं होता है। हर काम के पीछे कारण होता है या भगवान की कोई न कोई योजना होती है। यहीं
बात सरकारों या व्यक्तियों के कामकाज पर भी लागू होती है। सरकार अगर कोई फैसला करती है तो उसका कोई
कारण होना चाहिए या कोई ठोस आधार होना चाहिए। पर अफसोस की बात है कि कोरोना वायरस से लड़ाई में
लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक सरकार जो फैसले कर रही है उसमें कहीं कोई लॉजिक नहीं है। सारे काम ऐसे हो
रहे हैं, जैसे सरकार ने कैलेंडर बना लिया है और उस कैलेंडर के हिसाब से फैसलों को लागू कर देना है, चाहे हालात
जैसे भी हों।
केंद्र सरकार ने एक जुलाई से अनलॉक का दूसरा चरण शुरू किया था उस दिन भारत में पांच लाख के करीब
कोरोना के केसेज थे और हर दिन 20 हजार के करीब केसेज आ रहे थे। इसे देखते हुए अनलॉक दो में मेट्रो के
साथ साथ सिनेमा हॉल, जिम आदि बंद रखे गए और सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाई
गई। परंतु अनलॉक दो में जितनी चीजें खोली गईं उन्हीं की वजह से संक्रमण के मामलों में इतनी तेजी आई कि
कई राज्यों को अपने यहां नए सिरे से लॉकडाउन करना पड़ा। असम से लेकर बिहार, बंगाल और पूर्वोत्तर के छोटे
राज्यों में लॉकडाउन किया गया। कहीं लगातार हफ्ते-दो हफ्ते का तो कहीं हफ्ते में एक दिन या दो दिन का
लॉकडाउन लागू हुआ। इसके बावजूद संक्रमण काबू में नहीं आया और अब हर दिन 50 हजार के करीब केसेज आ
रहे हैं।
एक जुलाई को अनलॉक का दूसरा चरण शुरू होने के बाद बाद देश में 11 लाख के करीब नए केसेज आए हैं। एक
महीने में 11 लाख नए केसेज आए। इसके बावजूद एक अगस्त से अनलॉक का तीसरा चरण लागू हो रहा है।
सवाल है कि जब अनलॉक के दूसरे चरण में संक्रमितों की संख्या का रोजाना औसत 20 से बढ़ कर 50 हजार हो
गया है तो क्यों तीसरा चरण लागू किया जाना चाहिए? यह सही है कि अनलॉक के तीसरे चरण में भी ज्यादातर
चीजों पर पाबंदी लगी रहेगी। सरकार मेट्रो नहीं चालू कर रही है या घरेलू उड़ानों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है या
सिनेमा हॉल आदि नहीं खुल रहे हैं। पर सवाल है कि जिम और योग संस्थान भी क्यों खोले जा रहे हैं? गौरतलब
है कि अनलॉक दो में पांच अगस्त से जिम और योग क्लासेज शुरू करने का फैसला किया गया है।
क्या भारत सरकार की कोरोना वायरस से बात हो गई है कि वह पांच अगस्त के बाद योग क्लासेज और जिम में
लोगों को संक्रमित नहीं करेगा? जिम और योग संस्थानों में एक जगह ज्यादा लोग इकट्ठा होते हैं और उनमें
शारीरिक दूरी का ध्यान रखना भी मुश्किल होता है। तभी एक जुलाई को अनलॉक के दूसरे चरण में इन्हें नहीं
खोला गया था। सवाल है कि क्या अब यह स्थिति बदल गई है? अब भारत में जिम संचालकों या योग क्लास
चलाने वालों ने बड़े बड़े हॉल ले लिए हैं और वहां अपने जरूरी उपकरण लगा लिए हैं? आखिर किस वजह से
सरकार ने इन गतिविधियों को मंजूरी दी? क्या सिर्फ इसलिए कि अनलॉक का तीसरा चरण शुरू करना है तो कुछ
न कुछ तो खोलना होगा! क्या ऐसा करके सरकार अपने नागरिकों का जीवन खतरे में नहीं डाल रही है? जब एक
जुलाई के मुकाबले एक अगस्त को हालात ज्यादा बिगड़े हुए हैं, संक्रमित ज्यादा आ रहे हैं और मरने वालों की
संख्या ज्यादा हो गई है तो फिर जो चीजें एक जुलाई को नहीं खुली थीं, उन्हें एक अगस्त को किस तर्क से खोला
जा रहा है?
सरकार ने नाइट कर्फ्यू भी खत्म करने का ऐलान किया है। सबसे पहले तो यह सवाल है कि नाइट कर्फ्यू किस
सोच के साथ लगाई गई थी? जब सारे संस्थान, दुकानें, होटेल, रेस्तरां, मॉल, सिनेमा हॉल आदि बंद थे तो रात
में कर्फ्यू लगाने का क्या मतलब था? सरकार को क्या लग रहा था कि रात में निकल कर लोग कहां जाएंगे? जो
लोग दिन भर कोरोना के भय से घरों में बंद रहेंगे वे रात में निकल कर क्या करने लगते, जिसे रोकने के लिए
सरकार ने कर्फ्यू लगाया था? अब चाहे जिस तर्क से लगा दिया तो लगा दिया पर अब हटा किस तर्क से रहे हैं?
यहां भी वहीं बात है कि जब एक जुलाई को अनलॉक दो में नाइट कर्फ्यू नहीं हटाया गया तो अनलॉक तीन में क्या
बदल गया, जिसकी वजह से इसे हटाया जा रहा है? एक जुलाई के मुकाबले एक अगस्त को तीन गुने से ज्यादा
मरीज हो चुके हैं और अगस्त में मरीजों की संख्या रिकार्ड स्तर पर जाने का अंदेशा है। फिर भी जुलाई में नाइट
कर्फ्यू रहा और अगस्त में इसे हटा दिया जाएगा। ऐसा क्यों किया जाएगा इसका कोई तर्क नहीं है सिवाए इस बात
के कि सरकार की कोरोना वायरस से बात हो गई हो कि अब वह रात में लोगों को संक्रमित नहीं करेगा। इन
फैसलों से ऐसा लग रहा है कि सरकार को जमीनी हालात से मतलब नहीं है उसे हर हाल में अपने फैसले लागू
करने हैं। इसी सोच के साथ उसने इलाज से लेकर टेस्टिंग तक के सारे फैसले किए हैं और लॉकडाउन से लेकर
अनलॉक तक के सारे फैसले भी इसी सोच में कर रही है।