पूरी दुनिया में इस समय करीब सवा लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही
है। वहीं, भारत में भले ही अब तक कोरोना अन्य देशों की भांति विकराल रूप धारण नहीं कर पाया है लेकिन
इसका खतरा कम होने की बजाय जिस प्रकार लगातार बढ़ रहा है, उसकी अनदेखी किया जाना बेहद खतरनाक हो
सकता है। इस समय भारत में 130 मरीज पाए गए है व सबसे ज्यादा 39 महाराष्ट्र में है। इसी वजह से सरकार
द्वारा तमाम जरूरी उपाय किए जा रहे हैं और सारी तैयारियों की पांच-छह स्तरों पर मॉनीटरिंग भी की जा रही है।
एक ओर जहां चीन के अलावा इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, जर्मनी जैसे
देश कोरोना वायरस के फैलाव और उससे होने वाली मौतों को रोकने में असफल सिद्ध हुए हैं, वहीं सवा अरब से
अधिक आबादी वाले भारत में अब तक मिले मरीजों में से 80 फीसदी ऐसे हैं, जो विदेशों से कोरोना संक्रमित
होकर भारत आए। इसलिए अभी तक इसे लेकर थोड़ी राहत जरूर महसूस की जा सकती है लेकिन जिस तेजी से
कोरोना दुनियाभर में फैलता जा रहा है और लोगों की मौतों का आंकड़ा निरन्तर बढ़ रहा है, ऐसे में समय रहते
सचेत होना समय की बड़ी मांग है।
कोरोना के प्रकोप को टीका विकसित करके ही खत्म किया जा सकता है। टीके के विकास के लिए चीन, अमेरिका
सहित कई देशों में शोध चल रहे हैं। भारत में भी इसके लिए प्रयास चल रहा है। पहले भी असरदार टीकों के दम
पर ही भारत चेचक व पोलियो मुक्त हुआ। इसके अलावा कई संक्रामक बीमारियों पर अंकुश लगा है। इसलिए टीके
घातक बीमारियों से जीवनरक्षा में वरदान साबित हुए हैं लेकिन कोरोना का टीका विकसित होने में एक साल से डेढ़
साल समय लग सकता है। जब हम टीके के विकास की बात करते हैं तो उसका मतलब दो चीजें होती हैं। पहला
इनफ्लुएंजा जैसी बीमारी के टीके जो पहले से मौजूद है फिर भी हर साल नया टीका तैयार करना पड़ता है।ऐसे टीके
का विकास आसान होता है। क्योंकि उसके स्ट्रेन के बारे में पहले से मालूम है। नोवेल कोरोना वायरस दुनिया में
नया वायरस है। दिसंबर से पहले इस वायरस के बारे में किसी को बिल्कुल मालूम हीं नहीं था। इसलिए नए टीके
का विकास इतना आसान काम नहीं है। शोध में कई चीजों का ध्यान रखना होता है। सबसे अहम बात यह है कि
टीका वायरस को बढ़ने न दे। वह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो। टीका तैयार होने के बाद पहले जानवरों पर परीक्षण
करना पड़ता है कि वह प्रभावी है भी या नहीं। फिर इंसानों पर क्लीनिकल परीक्षण कर यह देखना होता है कि
उसका इस्तेमाल कितना सुरक्षित है।
कोरोना से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में इसके लक्षण उभरने में 5 से 14 दिनों तक का समय लगता है और
यही कारण है कि संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आने वाले लोगों को कम से कम 14 दिनों के लिए अलग रखा
जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी कभी कोरोना जैसी महामारियां उभरकर दुनिया के सामने
आती हैं, लोगों में उनसे लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र विकसित नहीं होता। इसी कारण ऐसी महामारियां देखते ही
देखते कुछ ही समय में बहुत बड़ा विनाश कर जाती हैं। हालांकि कई देशों में कोरोना के लिए वैक्सीन बनाने के
लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि अभी इसमें काफी लंबा समय लगेगा और तब तक कोरोना
दुनियाभर में कितना कहर बरपाएगा, कह पाना मुश्किल है।
विश्वभर में महामारी बनकर उभरे कोरोना के कारण एक ओर जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था को बहुत भारी नुकसान हो
रहा है, वहीं करोड़ों छात्रों की पढ़ाई भी चौपट हो गई है। चीन के अलावा इटली, ईरान, जापान सहित कई देशों ने
अपने वहां के स्कूलों को फिलहाल बंद कर दिया है। भारत में भी दिल्ली सहित कुछ जगहों पर प्राथमिक स्कूलों को
31 मार्च तक बंद कर दिया गया है। और तो और बड़े बड़े मंदिरों को भी बंद कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के
अनुसार विश्वभर में करीब 30 करोड़ छात्र अपने घरों में ही रहने को विवश हैं। चीन से बाहर कोरोना के बड़ी तेजी
से फैलने और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण वैश्विक मंदी का खतरा बढ़
गया है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार जहां कोरोना के प्रकोप के कारण दुनियाभर में घरेलू मांग में कमी आएगी,
वहीं भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ना तय है। हालांकि कोरोना पर नियंत्रण पाने के निकट
भविष्य में दूर-दूर तक कोई आसार दिखाई नहीं देते, फिर भी मूडीज का कहना है कि यदि इस वायरस के प्रभाव
को काबू में कर भी लिया गया, तब भी दूसरी तिमाही में इससे वैश्विक गतिविधियां प्रभावित होंगी। भारत के संदर्भ
में ब्रिटेन की ब्रोकरेज कम्पनी ‘बार्कलेज’ का कहना है कि लोगों के एकांत में रहने जैसे निवारक उपायों के चलते
यहां की आर्थिक वृद्धि दर में दो फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।
शुरूआत में भारत में मिले तीन कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद अब जिस प्रकार देशभर में कोरोना संक्रमितों
की संख्या लगातार बढ़ रही है, उससे देश में भी चिंता का माहौल बन गया है। भारत में कोरोना का प्रसार रोकने
के लिए सरकार द्वारा कड़े कदम उठाते हुए सभी देशों के वीजा निलंबित करते हुए राजनयिकों तथा कुछ विशेष
लोगों के अलावा विदेशों से आने वाले तमाम लोगों के भारत में प्रवेश पर 15 अप्रैल तक के लिए प्रतिबंध लगा
दिया गया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एडवाइजरी जारी करते हुए यह भी कहा गया है कि किसी भी देश से
यात्रा करके भारत आए यात्री अपने स्तर पर अपनी जांच करें और सरकार द्वारा जारी की गई जरूरी हिदायतों पर
गौर करें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जो लोग चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, जापान, इटली, थाईलैंड,
सिंगापुर, मलेशिया, ईरान, फ्रांस, स्पेन अथवा जर्मनी की यात्री करके लौटे हैं, वे स्वयं ही 14 दिनों के लिए अपने
आप को अलग-थलग कर लें। प्रधानमंत्री के निर्देश के पश्चात् देशभर में कोरोना को लेकर व्यापक जन-जागरण
अभियान भी शुरू कर दिया गया है ताकि लोग कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक हों और भारत में इस महामारी
को फैलने से रोका जा सके।
भारत में संक्रमण फैलने की स्थिति में उससे निपटने में सबसे बड़ी बाधा यहां फैलने वाला अफवाहों का बाजार बन
सकता है क्योंकि हमारे यहां बहुत सारे लोग सही-गलत पहचानने में अपने विवेक और बुद्धि का इस्तेमाल करने के
बजाय सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहों पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं और खुद भी बिना सोचे-विचारे ऐसे
संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। इसलिए बेहद जरूरी है कि हर नागरिक अफवाहों से बचते हुए कोरोना संक्रमण से
बचने के लिए तमाम जरूरी सावधानियां अपनाए। अगर हम जरूरी सावधानियां बरतें तो बहुत जल्द भारत को
कोरोना के खतरे से बाहर निकालने में सक्षम हो सकते हैं।