अक्षरधाम मन्दिरः कला व कल्पना का बेजोड़ नमूना

asiakhabar.com | December 15, 2018 | 2:03 pm IST
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने हिन्दुओं के सबसे बड़े मन्दिर का दर्जा दिया है यमुना तट पर बने दिल्ली के स्वामी नारायण अक्षरधाम मन्दिर को। यह मन्दिर इंसान की कला व कल्पना का बेजोड़ नमूना है। 8 नवम्बर 2000 को इस मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ और 6 नवम्बर 2006 को मुख्य स्वामी महाराज, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की संयुक्त उपस्थिति में अक्षरधाम संकुल का भव्य उदघाटन समारोह हुआ।

100 एकड़ की भूमि पर बना यह भव्य मन्दिर 5 वर्ष में बन कर पूरा हुआ।अक्षरधाम मंदिर में भारत की 10 हजार साल पुरानी रहस्यमय सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है।इस मंदिर में 234 खंभे, नौका विहार की सुविधा, सिनेमाघर और करीब 20 हजार मूर्तियां हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनाती हैं।इस मंदिर में कहीं भी कंक्रीट या स्टील का इस्तेमाल नहीं हुआ है। मंदिर का पूर्ण निर्माण लाल-गुलाबी सेन्ड स्टोन तथा सफेद संगमरमर से हुआ है, जो 141 फीट ऊंचा, 316 फीट चैड़ा तथा 356 फीट लम्बा है। अक्षरधाम में नक्काशीदार 234 स्तम्भ, 9 विशाल गुम्बद, 20 शिखर तथा 20000 से भी अधिक तराशी हुई मनमोहक कलाकृतियां हैं।

मंदिर परिसर में सामने ही भगवान स्वामी नारायण की स्वर्ण मंडिंत बड़ी सी प्रतिमा है और साथ ही उनके शिष्यों की भी जिन्होंने उनके पंथ को आगे बढ़ाया। मंदिर की दूसरी मंजिल पर भगवान स्वामी नारायण के जीवन से जुड़ी वस्तुएं रखी हैं, जिनमें बैल गाड़ी से लेकर चमड़े की थैली, बर्तन, और उनका दांत भी है। उनके दांत में दर्द होने पर एक सोनार से उन्होंने दांत निकलवाया था। यह दांत सोनार के परिवारवालों ने संस्थान को भेंट किया। मंदिर वास्तु एवं शिल्प का उत्कृष्ट नमूना है। इसका विशाल स्वरुप मनमोहक है। मंदिर परिसर में लाईट एन्ड साऊंड शो दिखाया जाता है लेजर लाईट के साथ। भारत में पर्यटन की उपयुक्त क्षमता है और सभी प्रकार के देशी-विदेशी पर्यटकों को,आकृष्ट करने के लिए अक्षरधाम सही आकर्षण हैं। मंदिर में नए अनुभव, ज्ञान और मनोरंजन के ढेरों साधन उपलब्ध हैं।

क्या देखें:-

अक्षरधाम मंदिर:- भगवान स्वामीनारायण को समर्पित एक पारंपरिक मंदिर भारत की प्राचीन कला, संस्कृति और शिल्पकला की सुंदरता और आध्यात्मिकता की झलक प्रस्तुत करता है।

नीलकण्ठ वर्णी अभिषेक:- एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक परंपरा, जिसमें वैश्विक शांति और व्यक्ति, परिवार और मित्रों के लिए अनवरत शांति की प्रार्थनाएं की जाती हैं जिसके लिए भारत की 151 पवित्र नदियों, झीलों और तालाबों के पानी का उपयोग किया जाता है।

प्रदर्शनियां:-

हॉल 1 -हॉल ऑफ वैल्यूज (50 मिनट)

अहिंसा, ईमानदारी और आध्यात्मिकता का उल्लेख करने वाली फिल्मों और रोबोटिक शो के माध्यम से चिरस्थायी मानव मूल्यों का अनुभव।

हॉल 2 -विशाल पर्दे पर फिल्म (40 मिनट)

नीलकण्ठ नामक एक ग्यारह वर्षीय योगी की अविश्वसनीय कथा के माध्यम से भारत की जानकारी लें, जिसमें भारतीय रीति-रिवाजों को संस्कृति और आध्यात्मिकता के माध्यम से जीवन-दर्शन में उतारा गया है, इसकी कला और शिल्पकला का सौंदर्य तथा अविस्मरणीय दृश्यावलियों, ध्वनियों और इसके प्रेरक पर्वों की शक्ति का अनुभव करें।

हॉल 3 -कल्चरल बोट राइड (15 मिनट)

भारत की शानदार विरासत के 10,000 वर्षों का सफर कराती है। भारत के ऋषियों-वैज्ञानिकों की खोजों और आविष्कारों की जानकारी लें, विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला देखें, अजंता-एलौरा की गुफाओं से होकर जाएं और प्राचीन काल से ही मानवता के प्रति भारत के योगदान की जानकारी लें।

संगीतमय फव्वारा -जीवन चक्र (सूर्योदय के बाद सायंकाल में -15 मिनट)

एक दर्शनीय संगीतमय फव्वारा शो, जिसमें भारतीय दर्शन के अनुरूप जन्म, जीवनकाल और मृत्यु चक्र का उल्लेख किया जाता है।

गार्डन ऑफ इंडिया

साठ एकड़ के हरे-भरे लॉन, बाग और कांस्य की उत्कृष्ट प्रतिमा, भारत के उन बाल-वीरों, वीर योद्धाओं, राष्ट्रीय देशभक्तों और महान महिला विभूतियों का सम्मान किया गया है, जो मूल्यों और चरित्र के प्रेरणास्रोत रहे हैं।

लोटस गार्डन

कमल के आकार का एक बागीचा उस आध्यात्मिकता का आभास देता है, जो दर्शनशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और लीडरों द्वारा व्यक्त की जाती है।

 


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