विकास गुप्ता
हम अंधविश्वास को लेकर कितनी ही जागरुकता भरी बातें कर लें लेकिन इस दंश से हम अब तक भी नही उभर
पाए हैं। इस होली पर भी टोने-टोटके ने लोगों की जान ली। दिल्ली, मेरठ, पंचकुला व बंगाल में दर्जनभर लोग
अंधविश्वास की बलि चढ़े। ऐसी खबरें डिजिटल युग को मुंह चिढ़ा रही हैं। इस पूरे प्रकरण की अहम बात यह है कि
इसमें आर्थिक व मानसिक रुप से कमजोर ही नही बल्कि शिक्षित वर्ग भी इसका शिकार हो रहा है। अखबार में
छोटी सी खबर व चैनलों में फटाफट वाले कार्यक्रम दिखाई जाने वाली ऐसी खबरों को प्रमुखता से न दिखाएं लेकिन
मानव जीवन की अप्राकृतिक हानि की ऐसी घटनाएं बेहद चिंताजनक है।
पूरे देश में तांत्रिकों का मक्कड जाल फैला हुआ है। कानूनी तौर पर यह धंधा पूर्ण रुप से अवैध है लेकिन बावजूद
इसके यह बडे स्तर पर सक्रिय है। तांत्रिकों के जाल में ऐसी विचित्र घटनाओं के तमाम उदाहरण है। इस होली पर
जो घटनाओं में एक ने मानवता को शर्मसार कर दिया,बंगाल के चौबीस परगना में एक व्यक्ति की पत्नी मानिसक
रुप से अस्वस्थ थी, इस बात से परेशान उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को तीन दिन के लिए किसी तांत्रिक के पास
छोड दिया जहां उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। पूरी घटना पुलिस को पता चली तो पति समेत सबको गिरफ्तार
कर लिया गया व अंत में पता चला तो वह डिप्रेशन का शिकार थी।
ज्ञात हो कि कुछ समय पूर्व दिल्ली के बुराडी इलाके मे एक ही परिवार के ग्यारह लोगों की रहस्मयी मौत हो गई
थी। मंजर इतना खतरनाक था कि उस घटना से पूरा देश हिल गया था। हमारे देश मे आज भी लोग टाने-टोटके
जैसी चीजों पर भरपूर विश्वास करते है। तांत्रिकों के व्यापार का स्तर बड़े पैमाने मे कार्यरत है। यदि आप किसी
लाल बत्ती पर देखोगे तो तांत्रिकों के कार्ड आपको देने के लिए लोग आ जाते है। मनचाहा प्यार,काम-धंधे मे
बाधा,बच्चे पैदा होने मे परेशानी को दूर करना,पडोसी को काबू करना आदि अन्य कई मूर्खताभरी भरी बातें उनके
कार्ड पर लिखी होती है। परेशान लोग इन धूर्तों के चक्कर मे आ जाते है और स्वंय अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते
है।ऐसी घटनाओं से रोजाना सैंकडों लोग पीड़ित होते है।
कुछ दिनों पहले भी पुणे से एक मामला सामने आया था जहां आईसीयू मे इलाज करा रही एक महिला के लिए
किसी डॉक्टर ने तांत्रिक को बुलाकर इलाज करवाया था । दो दिन तक उस तांत्रिक ने कई इलाज-उपचार किए
लेकिन उसकी मौत हो गई। ऐसी कई घटनाएं हैं आपको बताने के लिए लेकिन यह अहम इसलिए है क्योंकि इस
प्रकरण मे डॉक्टर था जो निश्चित तौर पर पढ़ा-लिखा ही होगा। लेकिन वो भी इन टोने-टोटको की दुनिया मे बहुत
विश्वास करता है। जरा आप खुद ही सोचिए कि यदि यह लोग तांत्रिकों,बाबाओं या मुल्ला-मौलवियों पर विश्वास
करेगें तो आम आदमी का क्या होगा और लोग डॉक्टर के पास न जाकर केवल इस तरह के लोगों के पास ही
जाएगें। पहले ऐसे लोगों की संख्या कम थी, और यह मिथा केवल अशिक्षित व आर्थिक तौर से कमजोर लोगों तक
सीमित थी लेकिन अब हर वर्ग का व्यक्ति इनका शिकार होने लगा।
यह बात लोगों को आजतक समझ नही आई कि तांत्रिक विधा करने वाले लोग अपना भला तो कर नही पाए वो
दूसरों का हल कैसे निकालेगें। कई बार तो यह भी देखा गया है कि अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए
लोग अपने बच्चों की बलि तक भी दे देते है। उत्तर प्रदेश के किसी इलाके मे एक दंपत्ति ने बेटे की चाह मे तांत्रिक
के कहने से अपनी तीन बेटियों की बलि तक दे डाली थी।इसके सिवाय भी ऐसे कई दर्दनाक किस्से है जिससे कई
परिवार व जिंदगियां बर्बाद हो गई। ऐसे धंधे हमारे देश मे पूर्ण रुप से गैर-कानूनी है बावजूद इसके यह खूब पनप
रहे हैं। आखिर इस तरह का काम करने से ऐसे लोग क्या साबित करना चाहते हैं,यदि आपको भक्ति में लीन होना
है तो इसके तमाम सुगम रास्ते हैं।
दरअसल कुछ लोग ढोंगियों के चक्कर में आकर अधूरा ज्ञान व अपनी आस्थाओं की शक्ति प्रदर्शन करने के चक्कर
में अपनी जान दे देते हैं।आपको और हमें ऐसी घटनाओं को रोकना होगा क्योंकि आस्था के नाम ऐसे किसी जान
जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। किसी भी धर्म में मानव की बलि का निषेध है व किसी भी धार्मिक पुस्तक में ऐसा कोई जिक्र
नही है जहां किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए इंसान को मरना पडेगा। इस होली पर जिन घटनाओं को देखा
व पढ़ा,उनको देखकर ऐसा लगा कि दुखी व्यक्ति अपना भले करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है लेकिन वह
यह भूल जाता है कि अपनी या अपनों की जिंदगी खत्म करके वह ऐसा क्या प्राप्त कर लेगा जो उसके बाद सुखी
रह पाएगा। हमें यह समझना पडेगा कि हर किसी के जीवन में चुनौतियां होती है जिसका सामना करना करना
चाहिए।