नई दिल्ली। दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। इसमें भी अपराधी नाबालिगों से बदसलूकी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। नाबालिग से दुष्कर्म का एक ओर मामला बदरपुर से सामने आया हैं, जहां पर आरोपी ने सातवी की एक छात्रा को अपना शिकार बनाया है।
आरोपी बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और फिर उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। पुलिस ने आरोपी को उत्तर प्रदेश के हाथरस से गिरफ्तार कर लिया है।
निर्भया कांड के बाद भी हालत खराब –
गौरतलब है कि 2012 में देश को झकझोर देने वाली निर्भया घटना के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। पिछले एक एनजीओ की ओर से आरटीआई के तहत दायर अर्जी पर मिले जवाब से खुलासा हुआ है कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर रोज औसतन 11 महिलाओं का अपहरण हुआ था।
16 दिसंबर की रात पांच दरिंदों ने 23 वर्षीया निर्भया के साथ क्रूरतम तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान निर्भया को शारीरिक रूप से काफी नुकसान पहुंचा था और फिर निर्भया ने मौत से 13 दिन तक जूझते हुए इलाज के दौरान सिंगापुर में दम तोड़ दिया था। इस भयानक हादसे के बाद राजधानी को दुष्कर्म कैपिटल की संज्ञा दी जाने लगी है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पुलिस के दावों को आइना दिखाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों की तुलना में पिछले वर्ष दिल्ली में दुष्कर्म की 1996, मुंबई में 712, पुणे में 354 व जयपुर में 330 दुष्कर्म की वारदातें हुईं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी दिल्ली में सबसे अधिक 79 वारदातें हुईं। दूसरे नंबर पर मुंबई में सामूहिक दुष्कर्म की 14 वारदातें हुईं।
बंधक बनाकर कई दिनों तक दुष्कर्म करने की घटना भी केवल दिल्ली व अहमदाबाद में हुई। इन दोनों शहरों में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने की एक-एक घटनाएं हुईं। दुष्कर्म के प्रयास के मामले में भी देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों में सबसे अधिक 29 वारदातें दिल्ली में हुईं। गाजियाबाद का स्थान दूसरे नंबर पर है।
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट –
उधर निजी संस्था प्रजा फाउंडेशन ने जब सर्वे करवाया तो पाया कि दिल्ली की 60 फीसद जनता महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए शहर को सुरक्षित नहीं मानते। सर्वे के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार वृद्धि हो रही है। सन 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3969 मामले दर्ज हुए थे।
वहीं, अपहरण के मामले में करीब 60 फीसद घटना की शिकार महिलाएं हुई थीं। फाउंडेशन के मुताबिक दिल्ली में पॉक्सो एक्ट (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराध पर लगाया जाने वाला विशेष कानून) के तहत होने वाले अपराध की संख्या ज्यादा है।
पुलिस विभाग में कर्मियों की भारी कमी –
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस विभाग में कर्मियों की भारी कमी है। वहीं, राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं होने से महिला अपराध पर लगाम नहीं लग पा रही है। निर्भया कांड की घटना के बाद बने निर्भया फंड से दिल्ली पुलिस को हर वर्ष अतिरिक्त बजट मिलता है।
इसके तहत सुनसान स्थान पर कैमरे लगाए जाने के अलावा महिला पुलिस कर्मियों की अलग से तैनाती, महिला हेल्प डेस्क सहित महिला सुरक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अन्य व्यवस्था करनी थी। लेकिन इनपर पुख्ता कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है।