नई दिल्ली। केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सीबीएसई 12वीं कक्षा
के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर क्रमश: 30:30:40
का फॉर्मूला अपनाएगी।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने
बताया कि मूल्यांकन के फार्मूले से असंतुष्ट सीबीएसई छात्रों को 12वीं कक्षा की परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा
जो महामारी के हालात में सुधार होने पर करायी जाएगी।
शीर्ष न्यायालय ने वेणुगोपाल से सीबीएसई की योजना में विवाद समाधान की व्यवस्था की रूपरेखा पेश करने को
कहा ताकि छात्रों की शिकायतों पर सुनवाई की जा सके। वेणुगोपाल ने पीठ को आश्वस्त किया कि छात्रों की किसी
भी चिंता के निदान के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि नतीजों की घोषणा और 12वीं कक्षा की प्रस्तावित परीक्षा कराने के लिए समयसीमा भी
स्पष्ट की जाए। न्यायालय ने कहा कि उसने कुछ याचिकाकर्ताओं की दलीलों को भी खारिज कर दिया है कि बोर्ड
परीक्षाएं रद्द कराने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय कोरोना वायरस महामारी की स्थिति के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और
काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) की 12वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कराने
का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
देश के पुनर्निर्माण की शुरुआत तब होगी जब प्रधानमंत्री अपनी 'गलतियां' स्वीकारेंगे: राहुल
नई दिल्ली, 17 जून (वेबवार्ता)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा
गरीबी भारत में बढ़ने संबंधी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और
कहा कि देश के पुनर्निर्माण की शुरुआत तब होगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी 'गलतियां' स्वीकार करेंगे और
विशेषज्ञों की मदद लेंगे।
उन्होंने एक रिपोर्ट साझा करते हुए ट्वीट किया, ''यह भारत सरकार के महामारी कुप्रबंधन का परिणाम है। परंतु
अब हमें भविष्य की ओर देखना है।''
कांग्रेस नेता ने कहा, ''हमारे देश के पुनर्निर्माण की शुरुआत तब होगी जब प्रधानमंत्री अपनी गलतियां स्वीकार करेंगे
और विशेषज्ञों की मदद लेंगे। नकारने की मुद्रा में बने रहने से किसी भी चीज का हल नहीं निकलेगा।''
राहुल गांधी ने जिस रिपोर्ट को साझा किया उसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में गरीबी
बड़े पैमाने पर बढ़ी है और इसमें भारत का सबसे अधिक योगदान है।