दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू अध्ययन केंद्र द्वारा महर्षि कणाद भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। “हिन्दू धर्म में विज्ञान एवं मनोविज्ञान” विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में लगभग 160 श्रोतागण उपस्थित रहे। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एवं विशेष अतिथि प्रो. बी. एन. मिश्र, संस्थापक एवं निदेशक, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने कहा की विशेष प्रौद्योगिकी के लिए विशेष विज्ञान की आवश्यकता है जो कि एक सुदृढ़ समाज से आएगा और ऐसे समाज का निर्माण धर्म के सिद्धांत के आधार पर ही किया जा सकता है। महर्षि कणाद को परमाणु भौतिकी का जनक बताते हुए उन्होंने नासदीय सूक्त में सृजन पर आधारित पश्चिम द्वारा दी गई बिग बैंग के सिद्धांत पर भी चर्चा की। उन्होंने डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत का उद्भव विष्णु पुराण के दशावतार से बताया।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धनंजय जोशी ने अपने भाषण में “विज्ञान और मनोविज्ञान” के विषय पर प्रकाश डालते हुए हिंदू धर्म में इनकी महत्ता को स्थापित किया। उन्होंने गीत गोविंद, भगवद् गीता एवं रामायण में उल्लिखित मनोविज्ञान पर प्रकाश डाला। भारतीय मनोविज्ञान आई.क्यू और ई.क्यू से एस.क्यू अर्थात धार्मिक कोश के विकास की चर्चा करता है। प्रो. जोशी ने भारतीय मनोविज्ञान को विद्या, वाणी, वपु, वेश, मनसा, वाचा, कर्मणा, श्रवण, मनन, एवं निद्यासन पर आधारित बताया। अपने अमूल्य दृष्टिकोण को साझा करते हुए प्रतिभागियों को विचारशीलता ,तार्किकता, एवं धार्मिक संस्कारों के विकास पर अपने जीवन को आधारित करने हेतु मार्गदर्शन भी दिया।
प्रो. श्री प्रकाश सिंह, निदेशक, दक्षिणी दिल्ली परिसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया और सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का अपने वक्तव्य से मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में भारतीय संस्कार एवं पारिवारिक कर्तव्यों से सजग होने के लिए उपस्थित नौजवानों को प्रेरित किया। उन्होंने शांति पर्व में भीष्म, युधिष्ठिर संवाद की चर्चा के माध्यम से आधुनिक मंत्री परिषद से अवगत कराया। सम्मेलन का प्रारंभ हिंदू अध्ययन केंद्र की उप निदेशिका एवं संयोजिका डॉ प्रेरणा मल्होत्रा द्वारा सभी अतिथियों एवं आगंतुकों का अभिनंदन एवं स्वागत करके किया गया।