हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर को दी क्लीन चिट

asiakhabar.com | August 8, 2020 | 3:30 pm IST
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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन को उनके
8 जुलाई के उस आदेश के लिए क्लीन चिट दे दी है जिसमें जांच के दौरान एक समुदाय विशेष के आरोपियों की
गिरफ्तारी को लेकर विशेष सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने कहा कि
इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर वह आदेश पारित किया गया। कोर्ट ने 31 जुलाई को प्रवीर रंजन को निर्देश दिया
था कि वह दो दिन के अंदर अपने पूर्ववर्ती अफसरों की ओर से जारी ऐसे पांच पत्रों को दिखाएं जो किसी इनपुट या
शिकायत के आधार पर जारी किए गए हों। याचिका दिल्ली हिंसा के दौरान अपने पिता को खो चुके साहिल परवेज
ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता के पिता
मोहम्मद सईद सलामी को दंगाईयों ने उसके घर के पास मौत के घाट उतार दिया। उसके घर में घुसकर दंगाईयों
ने उसकी बड़ी मां को पीट-पीटकर मार डाला। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर
रंजन ने 8 जुलाई को दंगे की जांच कर रही पुलिस टीम को एक पत्र लिखकर एक खास समुदाय के आरोपियों को
गिरफ्तार करने में सावधानी बरतने का निर्देश दिया। प्रवीर रंजन ने पत्र में लिखा था कि खास समुदाय के युवकों
की गिरफ्तारी से उस समुदाय में नाराजगी है, इसलिए उस समुदाय से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले जांच
टीम को एहतियात बरतने का आदेश दिया। प्रवीर रंजन ने अपने पत्र में चांदबाग और खजूरी खास इलाके से मिले
इंटेलिजेंस इनपुट को आधार बनाया था। पत्र में कहा गया था कि समुदाय विशेष के प्रतिनिधियों ने नाराजगी को
वजह बताया गया है। समुदाय के प्रतिनिधियों का आरोप है कि बिना किसी ठोस साक्ष्य के गिरफ्तारियां की जा रही
हैं। इसलिए ऐसी गिऱफ्तारियां करने से पहले स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर से मशविरा जरूर करें। याचिका में कहा
गया था कि प्रवीर रंजन का ये पत्र जांच टीम को एक गलत मैसेज देगा। इससे पुलिस अधिकारियों की ओर से की
जा रही जांच प्रभावित हो सकती है। ऐसा आदेश जारी करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान
जब कोर्ट ने प्रवीर रंजन से पूछा था कि इस पत्र को जारी करने की क्या जरूरत थी। कोर्ट ने पूछा कि क्या दूसरे
केसों के मामले में भी ऐसे ही पत्र जारी किए गए हैं। प्रवीर रंजन ने कहा कि ये अधिकारियों को संवेदनशील बनाने
के लिए अपनाई जानेवाली एक सामान्य प्रैक्टिस है ताकि वे ज्यादा सावधानी बरत सकें। प्रवीर रंजन ने कहा कि
जब कभी उनकी जानकारी में कोई शिकायत या इनपुट आती है तो उसे उसी तरह जारी किया जाता है जैसा 8
जुलाई के पत्र जारी करते समय किया गया। न केवल दंगों के केस में बल्कि दूसरे केसों में भी ऐसे पत्र जारी किए
जा चुके हैं।


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