नई दिल्ली। संसद के स्पेशल सेशन के एजेंडे का मोदी सरकार ने खुलासा कर दिया है। 18 से 22 सितंबर तक प्रस्तावित संसद के स्पेशल सेशन में चार विधेयक पेश किए जाएंगे। उधर, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार ने आखिरकार सोनिया गांधी की चिट्ठी के बाद 5 दिन के स्पेशल सेशन के एजेंडा का खुलासा किया है। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार की ओर से जारी एजेंडे में कुछ खास नहीं है। बुधवार को मोदी सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि स्पेशल सेशन के पहले दिन दोनों सदनों में संसद के 75 साल की यात्रा पर चर्चा होगी। इसके बाद मोदी सरकार सदन में चार विधेयक पेश करेगी।
अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 और प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 राज्यसभा में पारित किया जा चुका है। अब इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 और डाकघर विधेयक 2023 को भी राज्यसभा में पेश किया गया था। अब स्पेशल सेशन के दौरान इस विधेयक पर लोकसभा में चर्चा होगी। दरअसल, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने 31 अगस्त को संसद के स्पेशल सेशन की घोषणा की थी। स्पेशल सेशन को लेकर केंद्र सरकार की ओर से एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया था, जिसके बाद विपक्षी दलों की ओर से मोदी सरकार को घेरा जा रहा था, मांग की जा रही थी कि सरकार स्पेशल सेशन बुलाए जाने के एजेंडे का खुलासा करे।
स्पेशल सेशन की घोषणा के बाद अटकलें थी कि मोदी सरकार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और देश का नाम इंडिया की जगह भारत करने के संबंध में प्रस्ताव ला सकती है। हालांकि मोदी सरकार की ओर से एजेंडे का खुलासा कर दिया गया है, जिसमें दोनों अटकलों का कोई उल्लेख नहीं है। स्पेशल सेशन का एजेंडा सामने आने के बाद कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया दी गई है। जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार के घोषित किए गए एजेंडा में कुछ खास नहीं है। जो चार विधेयक पेश किए जाने की बात की गई है, उसके लिए शीतकालीन सत्र का इंतजार किया जा सकता था। उन्होंने ये भी कहा कि पर्दे के पीछे कुछ और है। जयराम रमेश ने CEC विधेयक को घातक बताते हुए कहा कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस विधेयक का सदन में विरोध करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि आखिरकार सोनिया गांधी की ओर से लिखी गई चिट्ठी के दबाव में केंद्र सरकार ने पांच दिनों तक चलने वाले स्पेशल सेशन के एजेंडे का खुलासा किया है।