नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने रेलवे की लगभग 782.81 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण का संज्ञान लेते हुए रेल मंत्रालय से कहा है कि वह न्यायालयों में लंबित अतिक्रमण के मामलों को छोड़कर अन्य सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करे और इस बारे में उसे अवगत कराता रहे।
संसद में आठ अगस्त को पेश ‘रेल भूमि विकास प्राधिकरण का कार्य निष्पादन’ विषय पर रेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इस समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के सांसद राधा मोहन सिंह हैं। समिति इस बात से पूरी तरह से अवगत है कि 31 मार्च 2022 तक विभिन्न क्षेत्र में रेलवे की लगभग 782.81 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण है।
समिति के समक्ष रेल मंत्रालय द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक मध्य रेलवे की 52.50 हेक्टेयर, पूर्व रेलवे की 21.94 हेक्टेसर, पूर्व मध्य रेलवे की 1.35 हेक्टेयर, उत्तर रेलवे की 157.89 हेक्टेयर, उत्तर मध्य रेलवे की 40.98 हेक्टेयर, पूर्वोत्तर रेलवे की 23.31 हेक्टेयर का अतिक्रण किया गया है।
इसी प्रकार से पूर्वोत्तर सीमा रेलवे की 93.19 हेक्टेयर, उत्तर पश्चिम रेलवे की 18.34 हेक्टेयर, दक्षिण रेलवे की 55.15 हेक्टेयर, दक्षिण पूर्व रेलवे की 140.60 हेक्टेयर, दक्षिण मध्य रेलवे की 14.34 हेक्टेयर, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की 41.41 हेक्टेयर, दक्षिण पश्चिम रेलवे की 16.26, पश्चिम रेलवे की 50.59 हेक्टेयर, पश्चिम मध्य रेलवे की 36.23 हेक्टेयर और उत्पादन इकाइयों की 5.69 हेक्टेयर भूमि अवैध कब्जे में है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह भारतीय रेल द्वारा अपनी भूमि पर अतिक्रमण रोकने और इसे हटाने के लिए उठाये गए विभिन्न कदमों की सराहना करती है जिसमें सरकारी स्थान (अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम 1971 के उपबंध के तहत अतिक्रमण को हटाना, इसकी संभावना वाले संवेदनशील स्थानों पर चारदीवारी का निर्माण करना, इसकी जांच के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की तैनाती करना और फील्ड अधिकारियों के माध्यम से अतिक्रमण की संभावना वाली खाली पड़ी भूमि की निगरानी करना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया हे कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भूमि एक अतिमूल्यवान संसाधन है और अतिक्रमण की गई जमीन में विभिन्न महानगरों में रेलवे की भूमि भी शामिल है, समिति का यह स्पष्ट मत है कि अतिक्रमण और अनधिकृत कब्जे को हटाने के लिए स्थानीय निकायों और प्राधिकरणों के साथ सहयोग करने के ठोस प्रयास किये जाने चाहिए।
समिति ने अतिक्रमण की गई भूमि को पुन: प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने को भी कहा है। इसके अनुसार, ‘‘समिति सिफारिश करती है रेलवे फील्ड अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से सर्वेक्षण किए जाने तथा सर्वेक्षणों के कार्यकरण एवं परिणामों की जांच के लिए एक उचित निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।”
समिति ने कहा कि रेल मंत्रालय को ऐसे अतिक्रमण के मामलों से निपटने के लिए फील्ड अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण देने पर विचार करना चाहिए तथा ऐसे मामलों की जांच के लिए भूमि प्रबंधन प्रकोष्ठ का समुचित उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए। समिति मंत्रालय से आग्रह करती है कि वह न्यायालयों में लंबित अतिक्रमण के मामलों को छोड़कर अन्य सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करे और इस बारे में उसे अवगत कराता रहे।